Move to Jagran APP

राजेंद्र भवन को खाली करने का एचईसी का आदेश सही : हाई कोर्ट

Jharkhand. अदालत ने बेस इंटरप्राइजेट कंपनी की याचिका खारिज की। वर्ष 2016 में कंपनी को मिला था लीज पर नहीं हुआ एग्रीमेंट।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 08:46 PM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 08:46 PM (IST)
राजेंद्र भवन को खाली करने का एचईसी का आदेश सही : हाई कोर्ट
राजेंद्र भवन को खाली करने का एचईसी का आदेश सही : हाई कोर्ट

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट ने रांची के धुर्वा के सेक्टर-2 स्थित राजेंद्र भवन का एलओआइ रद किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका सोमवार को खारिज कर दी। अब राजेंद्र भवन को खाली करना होगा। जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि एचईसी का राजेंद्र भवन को खाली करने का आदेश सही है। हालांकि, अदालत ने प्रार्थी को क्षतिपूर्ति और इससे जुड़े विवाद के लिए उचित फोरम इस्तेमाल करने की छूट प्रदान की है।

loksabha election banner

दरअसल, एचईसी ने पिछले साल 16 अगस्त को राजेंद्र भवन का एलओआइ (लेटर ऑफ इंटेंट) रद करते हुए 14 नवंबर तक उसे खाली करने का आदेश दिया। राजेंद्र भवन एचईसी की संपत्ति है, जिसे वर्ष 2016 में बेस इंटरप्राइजेज को लीज पर देने के लिए एलओआइ दिया था। लेकिन कंपनी की ओर से एलओआइ के एक माह के अंदर एग्रीमेंट नहीं कराया गया। इसके अलावा, राजेंद्र भवन में अतिरिक्त निर्माण करने और शर्त एवं नियमों का पालन नहीं करने पर बेस इंटरप्राइजेज को नोटिस जारी करते हुए एचईसी ने एलओआइ रद कर दिया था और परिसर खाली करने का आदेश दिया था।

एचईसी के इसी आदेश को बेस इंटरप्राइजेज ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान बेस इंटरप्राइजेज की ओर से कहा गया कि राजेंद्र भवन को लीज पर लेने के लिए वर्ष 2016 में टेंडर निकला गया था। शर्तों को पूरा करने के बाद ही टेंडर में उनकी कंपनी का चयन हुआ था। इसके बाद एलओआइ जारी किया गया। यहां जो भी निर्माण किए गए हैं, वह शर्तों के अनुरूप हैं।

इसमें करीब चार करोड़ खर्च किए गए हैं। इसलिए राजेंद्र भवन का लीज भी उन्हें ही दिया जाए। एचईसी के अधिवक्ता मुकेश कुमार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि प्रार्थी को एग्रीमेंट कराने के लिए कई बार अवसर दिया गया, लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया। साथ ही, वहां पर सिर्फ भवन का जीर्णोद्धार करना था, लेकिन इन्होंने कई अतिरिक्त निर्माण कराया है, जो कि टेंडर की शर्तों का उल्लंघन है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने बेस इंटरप्राइजेज की याचिका खारिज कर दी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.