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झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- 48 घंटे के भीतर दिए जाएं कोरोना जांच रिपोर्ट, रिम्स में ऑक्सीजन की उपलब्धता नहीं होने पर जताई नाराजगी

झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में राज्य रिम्स की लचर व्यवस्था पर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने सरकार और रिम्स प्रबंधन को तालमेल के साथ सभी व्यवस्था समय से पूरा करने का निर्देश दिया। अदालत ने अस्पताल में...

By Vikram GiriEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 08:11 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 08:11 PM (IST)
झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- 48 घंटे के भीतर दिए जाएं कोरोना जांच रिपोर्ट, रिम्स में ऑक्सीजन की उपलब्धता नहीं होने पर जताई नाराजगी
झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- 48 घंटे के भीतर दिए जाएं कोरोना जांच रिपोर्ट। जागरण

रांची (राज्य ब्यूरो) । झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में राज्य रिम्स की लचर व्यवस्था पर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने सरकार और रिम्स प्रबंधन को तालमेल के साथ सभी व्यवस्था समय से पूरा करने का निर्देश दिया। अदालत ने अस्पताल में आक्सीजन की उपलब्धता नहीं होने पर नाराजगी जताई और कहा कि ट्रामा सेंटर समेत सभी वार्डों में ऑक्सीजन की निर्बाध सप्लाई सुनिश्चित किया जाए। इसके अलावा कोरोना से संबंधित सभी जांच रिपोर्ट 48 घंटे के अंदर दिए जाए ताकि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव के आश्वास के बाद कहा कि रिम्स के रिक्त सभी पदों को अविलंब भरा जाए।

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मामले में अगली सुनवाई छह नवंबर को निर्धारित करते हुए अदालत ने सरकार को प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव और रिम्स की प्रभारी निदेशक वीसी के जरिए अदालत में हाजिर हुए थे। अदालत ने इन्हें पेश होने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि रिम्स राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है। राज्य की बड़ी आबादी इसी अस्पताल के भरोसे है। लेकिन लोगों को यहां कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की ही हालत जर्जर हो रही है तो दूसरी स्वास्थ्य सेवाओं को कैसे बेहतर किया जा सकता है। रिम्स प्रबंधन को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि दवा और मेडिकल सप्लीमेंट के लिए मरीजों को रिम्स परिसर से बाहर नहीं जाना पड़े।

अदालत ने रिम्स में जांच मशीन सहित अन्य उपकरण की शीघ्र खरीदारी करने का निर्देश दिया। कहा कि वर्तमान समय में युद्ध जैसे हालात है। इससे निपटने के लिए जांच मशीनों की जरूरत है। ऐसे में अगर प्रविधानों में बदलाव की जरूरत हो तो ऐसा कर मशीनों की खरीदारी की जाए। इस दौरान स्वास्थ्य सचिव ने अदालत को बताया कि रिम्स निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके लिए साक्षात्कार ले लिया गया है और एक सप्ताह में नए निदेशक की नियुक्ति हो जाएगी। वहीं, रिम्स में रिक्त अन्य पदों पर एक माह में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करते हुए विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा।

इसके बाद अदालत ने प्रभारी निदेशक से पूछा कि रिम्स को सौ करोड़ रुपये सालाना दिया जाता है, तो उक्त राशि का क्या किया जाता है। प्रभारी निदेशक ने बताया कि उक्त राशि रिम्स में कार्यरत लोगों के वेतन और मेंटनेंस पर खर्च किया जाता है। इसपर अदालत ने कहा कि वर्तमान समय में तो रिम्स में आधे से ज्यादा पद रिक्त हैं, तो राशि कहां खर्च होती है। इस पर निदेशक स्पष्ट जवाब नहीं दे पायीं। इस पर अदालत ने सरकार और प्रबंधन को रिम्स के हालात सुधारने के लिए प्रयास करने का निर्देश दिया।


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