यौन शोषण के अभियुक्त विधायक ढुलू महतो की जमानत पर फैसला सुरक्षित
रांची यौन शोषण के अभियुक्त भाजपा विधायक ढुलू महतो की जमानत पर सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट में बहस पूरी हो गई। सभी पक्षों की दलील पूरी होने के बाद जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। निचली अदालत से जमानत खारिज होने के बाद ढुलू महतो ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत की गुहार लगाई है।
रांची : यौन शोषण के अभियुक्त भाजपा विधायक ढुलू महतो की जमानत पर सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट में बहस पूरी हो गई। सभी पक्षों की दलील पूरी होने के बाद जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। निचली अदालत से जमानत खारिज होने के बाद ढुलू महतो ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत की गुहार लगाई है।
सुनवाई के दौरान ढुलू महतो की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में घटना के तीन साल बाद महिला ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। इससे प्रतीत होता है कि उन्होंने सोची समझी साजिश के तहत मामला दर्ज कराया है। इसके बाद उन्होंने ढुलू के खिलाफ धमकी देने का भी मामला दर्ज कराया है, ताकि उन्हें राजनीतिक फायदा मिल सके। इसके अलावा सरकार बदलते ही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते ढुलू महतो के खिलाफ लगातार कई केस दर्ज किए गए हैं। महिला की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि बाघमारा क्षेत्र में ढुलू महतो के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता है। अगर किसी ने ऐसा किया, तो उन्हें धमकाया जाता है या फिर पैसे से मैनेज कर लिया जाता है। इस मामले में भी समझौते के लिए महिला को दो करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया है। इन पर 35 केस चल रहे हैं, जिसमें दो में इन्हें सजा मिली है। ऐसे में ढुलू महतो को जमानत नहीं मिली चाहिए। वहीं, सरकार ने भी ढुलू महतो की जमानत का जमकर विरोध किया। सभी पक्षों की दलील पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
---------------- आवास खाली कराने के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे माननीय
रांची : भाजपा विधायक नवीन जायसवाल व विरंची नारायण ने अपने आवास खाली कराने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनकी ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने याचिका दाखिल की है। उन्होंने बताया कि याचिका में कहा गया है कि कोरोना काल में आवास खाली कराया जाना केंद्र सरकार के गाइडलाइन का उल्लंघन है। उक्त आवास में दोनों के बुजुर्ग माता-पिता रहते हैं। ऐसे में आवास खाली कराना उचित नहीं है, क्योंकि कोरोना संकट में बुजुर्गो को घर से बाहर निकलने की मनाही है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि जिस सक्षम पदाधिकारी ने आवास खाली करने के लिए आदेश निर्गत किया है, वह कानूनी रूप से गलत है और ऐसा पत्र जारी करना उक्त पदाधिकारी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। वहीं, इसके लिए सारी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है। दरअसल, इसके लिए भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता व रांची एसडीओ ने विधायकों को पत्र लिखकर आवास खाली करने को कहा है। अधिवक्ता चंचल जैन ने बताया कि नवीन जायसवाल तीन बार व विरंची नारायण दो बार से जनप्रतिनिधि हैं। ऐसे में राज्य सरकार दुर्भावना से प्रेरित होकर ऐसा कर रही है। दोनों विधायकों की ओर से उक्त पत्र को रद करने की मांग की गई है।
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