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टेरर फंडिग के अभियुक्त मनोज कुमार व प्रदीप की जमानत याचिका खारिज

रांची झारखंड हाई कोर्ट से टेरर फंडिग के अभियुक्त मनोज कुमार व प्रदीप राम को बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने दोनों को जमानत देने से इन्कार कर करते हुए इनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। पूर्व में सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 01:40 AM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 01:40 AM (IST)
टेरर फंडिग के अभियुक्त मनोज कुमार व प्रदीप की जमानत याचिका खारिज
टेरर फंडिग के अभियुक्त मनोज कुमार व प्रदीप की जमानत याचिका खारिज

रांची : झारखंड हाई कोर्ट से टेरर फंडिग के अभियुक्त मनोज कुमार व प्रदीप राम को बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने दोनों को जमानत देने से इन्कार कर करते हुए इनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। पूर्व में सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। दरअसल, मनोज कुमार व प्रदीप राम ने हाई कोर्ट में अपील याचिका दाखिल कर जमानत देने की गुहार लगाई थी।

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बता दें कि गिरिडीह जिले के डुमरी थाना क्षेत्र से 21 जनवरी 2018 को मनोज कुमार को छह लाख रुपये व संदिग्ध दस्तावेज के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस जांच में मनोज ने स्वीकार किया था कि वह माओवादियों के रीजनल कमेटी सदस्य कृष्णा उर्फ कृष्णा हांसदा उर्फ अविनाश के लिए लेवी वसूलता है। इसके बाद इस मामले को एनआइए ने टेकओवर कर जांच शुरू की।

एनआइए की जांच में खुलासा हुआ कि मनोज कुमार रामकृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कर्मचारी था। वह माओवादियों व ठेकेदारों के बीच में मध्यस्थता का काम करता था। माओवादियों के रीजनल कमांडर कृष्णा के लिए ठेकेदारों से लेवी वसूलता था। यह भी जानकारी मिली कि माओवादी लेवी के रुपयों से हथियार व कारतूस तथा विस्फोटक खरीदते रहे हैं और इसी राशि से अपने संगठन का विस्तार तथा नए कैडर को बहाल करते रहे हैं। यह कृत्य भारत की सुरक्षा, संप्रभुता व गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है। इस खुलासे के बाद ही एनआइए ने रामकृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन कंपनी के दफ्तर में छापेमारी की थी।

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