फर्जी हस्ताक्षर मामले में डीजीपी को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश
रांची झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने डीजीपी को राची के तत्कालीन एसएआर पदाधिकारी मतियस विजय टोप्पो की शिकायतों पर प्राथमिकी दर्ज कर जाच शुरू करने का निर्देश दिया है। आदेश के साथ ही अदालत ने विजय टोप्पो की याचिका को निष्पादित कर दिया।
रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने डीजीपी को राची के तत्कालीन एसएआर पदाधिकारी मतियस विजय टोप्पो की शिकायतों पर प्राथमिकी दर्ज कर जाच शुरू करने का निर्देश दिया है। आदेश के साथ ही अदालत ने विजय टोप्पो की याचिका को निष्पादित कर दिया। दरअसल टोप्पो पर एसएआर पदाधिकारी रहते हुए सीएनटी एक्ट की जमीन के हस्तातरण और मुआवजा निर्धारण में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू की गई थी। विभागीय कार्रवाई के दौरान जब टोप्पो के पास दस्तावेज भेज कर जवाब मांगा गया, उन्होंने दावा किया कि उसपर उनके हस्ताक्षर नहीं है। उन्होंने इसकी उपयुक्त जांच की मांग की थी।
इससे इतर उनकी शिकायतों पर न तो गौर किया गया और न ही जाच कराई गई। इसके बाद मतियस विजय टोप्पो ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर जाच कराने का आग्रह किया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने डीजीपी को टोप्पो की शिकायतों पर प्राथमिकी दर्ज कर जाच शुरू करने का निर्देश देने के बाद याचिका निष्पादित कर दी।
--------------- हाई कोर्ट में नियुक्ति को चुनौती वाली याचिका खारिज
रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के जवाब के बाद अदालत ने प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि विज्ञापन में दी गई शर्तो के अनुसार ही शैक्षणिक योग्यता होनी चाहिए। इस संबंध में चंद्रशेखर सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी की नियुक्ति के लिए उनके पास शैक्षणिक अर्हता थी, फिर भी जेपीएससी ने इसके लिए होने वाले साक्षात्कार में शामिल नहीं होने दिया, जो कि गलत है। जेपीएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल व प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि प्रार्थी के पास विज्ञापन में दी गई शर्तो के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं थी, इसी वजह से स्क्रूटनी के बाद उनके आवेदन को रद कर दिया गया। इसके बाद अदालत ने प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दिया।
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