National Law University: नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड नहीं देने पर हाई कोर्ट नाराज, कहा-पैसे नहीं तो बंद कर दे सरकार
National Law University अदालत ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी राज्य का गौरव है। पूर्वी क्षेत्र में यूनिवर्सिटी ने अपनी पहचान बनाई है। पैसे के लिए यूनिवर्सिटी के कुलपति सरकार के अधिकारियों के पास हर दिन जा रहे हैं। कई दफ्तरों का चक्कर लगा रहे हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड देने के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद सरकार की ओर से नियमित फंड नहीं मिलने पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि यदि सरकार लॉ यूनिवर्सिटी नहीं चलाना चाहती तो इसे बंद कर दे। अदालत ने सरकार को आठ जनवरी तक यह बताने को कहा है कि वह एनएलयू को नियमित फंड देगी या नहीं।
अदालत ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी राज्य का गौरव है। पूर्वी क्षेत्र में यूनिवर्सिटी ने अपनी पहचान बनाई है। पैसे के लिए यूनिवर्सिटी के कुलपति सरकार के अधिकारियों के पास हर दिन जा रहे हैं। कई दफ्तरों का चक्कर लगा रहे हैं। कुलपति पद की गरिमा होती है लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। कोर्ट ने कहा कि जिस एक्ट के तहत यूनिवर्सिटी का गठन किया गया है, उसमें साफ है कि इसे चलाने के लिए सरकार, बार कौंसिल, बार एसोसिएशन और अन्य से आर्थिक मदद मिलेगी। ऐसे में सरकार इसे मदद करने से इन्कार नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि यह विश्वविद्यालय पीआइएल से बना है और यही स्थिति रही तो इसी पीआइएल से यह बंद भी हो जाएगी, इसलिए सरकार को गंभीरता से सोचना होगा।
इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि लॉ यूनिवर्सिटी को झारखंड सरकार ने एकमुश्त 50 करोड़ रुपये स्थापना के समय ही दिए हैं। इसके बाद कैबिनेट ने फैसला लिया था कि सरकार यूनिवर्सिटी को अब आर्थिक मदद नहीं कर सकती। इसके बाद फिर विश्वविद्यालय को 70 करोड़ जारी किया हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि जो पैसे जारी किए गए हैं उसमें 39 करोड़ तो पीडब्ल्यूडी के बकाए में ही चले जाएंगे। ऐसे में यूनिवर्सिटी के अन्य काम कैसे होंगे। दूसरे राज्यों में सरकार इस तरह के विश्वविद्यालयों को नियमित फंड देती है। यहां भी सरकार को नियमित फंड देने पर विचार करना होगा।
भवन, लाइब्रेरी और अन्य सुविधाओं की कमी
झारखंड हाईकोर्ट में बार एसोसिएशन ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि यूनिवर्सिटी को राज्य सरकार की ओर से सहयोग नहीं किया जा रहा है। इस कारण पुस्तकालय और अन्य भवनों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। यहां के छात्रों को काफी परेशानी हो रही है। यूनिवर्सिटी में सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
खाली जमीन पर चारदीवारी नहीं होने पर भी जवाब मांगा
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि यूनिवर्सिटी कैंपस के सामने विश्वविद्यालय की जमीन खाली है, लेकिन इसकी चारदीवारी नहीं की जा रही है। इस कारण कई परेशानी हो रही है। चारदीवारी नहीं होने पर भविष्य में यूनिवर्सिटी को परेशानी हो सकती है। कोर्ट ने इस मामले में भी सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।