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झारखंड हाई कोर्ट का CBI को निर्देश, धनबाद जज हत्याकांड की जल्द शुरू करें जांच

Jharkhand News Dhanbad Judge Murder Case अदालत ने सरकार से पूछा कि पहले तो आप सीबीआइ जांच नहीं चाहते थे अब क्या हुआ। इस पर जवाब मिला कि मामले के तार दूसरे राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं इसलिए यह कदम उठाया।

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 12:58 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 06:34 AM (IST)
झारखंड हाई कोर्ट का CBI को निर्देश, धनबाद जज हत्याकांड की जल्द शुरू करें जांच
कोर्ट ने पूछा- सुबह 5:08 की घटना पर दोपहर 12:45 बजे क्यों दर्ज की गई प्राथमिकी। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डाॅ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत के मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले की सीबीआइ जांच जल्द शुरू करने का निर्देश दिया। सीबीआइ की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार की जांच की अनुशंसा का पत्र मिला है। चार अगस्त को सीबीआइ जांच की अधिसूचना जारी कर सकती है।

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इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिसूचना जारी होने के बाद सीबीआइ को तत्काल प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए। अदालत ने सरकार को केस के सभी दस्तावेज और अन्य लॉजिस्टिक सपोर्ट सीबीआइ को देने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि जब पिछली सुनवाई के दौरान इस मामले की जांच सीबीआइ को करने को कहा था तो महाधिवक्ता की ओर से कहा गया कि इससे पुलिस के अधिकारियों का मनोबल प्रभावित होगा। ऐसे में अब क्या हुआ कि सरकार अपनी ही बातों से पलट गई और सीबीआइ जांच की अनुशंसा की है।

महाधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि इस मामले में की जांच सीबीआइ को इसलिए सौंपी जी रही है कि इसके तार दूसरे राज्य से जुड़े हो सकते हैं। ऐसे में सीबीआइ ही इस मामले की जांच के लिए उपयुक्त एजेंसी है। इससे पहले एसआइटी की ओर से जांच की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट को पेश की गई। रिपोर्ट देख कर अदालत ने काफी असंतुष्टि जाहिर की। अदालत ने कहा कि घटना सुबह 5.08 बजे हुई तो प्राथमिकी दर्ज करने में विलंब क्यों किया गया। क्यों प्राथमिकी 12.45 बजे दर्ज की गई। जबकि सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट है कि जज को उठाकर इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है।

क्या पुलिस सिर्फ फर्द बयान के आधार पर ही प्राथमिकी दर्ज करती है। क्या पुलिस स्वत: प्राथमिकी दर्ज नहीं करती। आखिर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने में छह घंटे क्यों लग गए। पुलिस को तो हमेशा अपनी आंख और कान खुले रखने चाहिए। सबूत कभी चल कर नहीं आता है। अदालत ने कहा कि इसका लाभ बचाव पक्ष को निचली अदालत में मिलेगा। जब वह इन बातों को अदालत में उठा कर अभियोजन को परेशानी में डाल देगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया कि जज के सिर की बाईं तरफ गंभीर चोट है। ऐसे में जांच एजेंसी का काम है कि वह इसका खुलासा करे। जांच एजेंसी को इस मामले में पुख्ता सबूत एकत्र करने होंगे।

अदालतों और न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा बढ़ेगी

सुनवाई के दौरान अदालत ने डीजीपी को अदालतों की सुरक्षा सख्त करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस घटना के बाद न्यायिक अधिकारी अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी न्यायिक पदाधिकारी पर हमला हुआ है। इसको देखते हुए तत्काल धनबाद के न्यायिक पदाधिकारियों की सुरक्षा सख्त करनी चाहिए। उनके आवासीय क्षेत्र में पुलिस की तैनाती की जाए।

हाई कोर्ट समेत सभी न्यायालयों में कुशल प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों की तैनाती की जानी चाहिए। इस पर डीजीपी नीरज सिन्हा ने तत्काल अमल करने का आश्वासन दिया। बता दें कि धनबाद के जज उत्तम आनंद की हत्या मामले में धनबाद के प्रधान जिला जज ने हाई कोर्ट को पत्र लिखा था। इस पत्र को हाई कोर्ट जनहित याचिका में तब्दील कर सुनवाई कर रहा है।


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