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Jharkhand High Court: पेयजल कर्मचारियों के वेतनमान बढ़ोतरी मामले में अदालत का फैसला सुरक्षित

Jharkhand High Court दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई है। अदालत के आदेश से एक हजार से ज्यादा कर्मी होंगे प्रभावित।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 08:41 AM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 11:53 AM (IST)
Jharkhand High Court: पेयजल कर्मचारियों के वेतनमान बढ़ोतरी मामले में अदालत का फैसला सुरक्षित
Jharkhand High Court: पेयजल कर्मचारियों के वेतनमान बढ़ोतरी मामले में अदालत का फैसला सुरक्षित

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand High Court झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस सुजीत कुमार की खंडपीठ में प्रोन्नति अथवा वेतनमान में बढ़ोतरी की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। दरअसल, कृष्ण नंदन सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर प्रोन्नति अथवा वेतनमान में बढ़ोतरी की मांग की है। इस मामले में एकलपीठ ने वादी के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ सरकार की ओर से अपील दाखिल की गई है।

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सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि वादी कार्यभारित स्थापना में नियुक्त किए गए कर्मी हैैं। उनकी नियुक्ति पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में फिल्टर ऑपरेटर के पद पर की गई थी। बाद में जब इनको नियमित किया गया, तो यह शर्त निर्धारित थी कि वे अपने पद के साथ ही नियमित स्थापना में समायोजित किए होंगे, क्योंकि फिल्टर ऑपरेटर तथा फिल्टर ऑपरेटर ग्रेड-1 का पद विभाग में सृजित नहीं था।

अदालत को बताया गया कि वर्ष 1983 में निर्गत अधिसूचना सिर्फ भविष्य की नियुक्तियों के लिए मापदंड है, जो वादी के विभाग में लागू भी नहीं था। हाई कोर्ट की लार्जर बेंच के फैसले से भी वादी को किसी और पद पर अथवा फिल्टर ऑपरेटर ग्रेड-1 पर समायोजित नहीं माना जा सकता है। वादी को स्थायीकरण के बाद सभी लाभ मिले हैैं, इसलिए एकलपीठ का आदेश निरस्त करने योग्य है। इस मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता चंचल जैन व आकांक्षा ठाकुर ने सरकार का पक्ष रखने में सहयोग किया।

वादी की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार द्वारा वर्ष 1983 में जारी मापदंड ही वादी के पद का आधार है। साथ ही, पूर्व में हाई कोर्ट के फैसले में फिल्टर ऑपरेटर ग्रेड-1 के पद के सृजन की अनुशंसा की गई थी। ऐसे में वादी प्रोन्नति पर समायोजित होने अथवा वेतनमान में बढ़ोतरी पाने योग्य है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। बता दें कि हाई कोर्ट के आदेश से राज्य के करीब एक हजार कर्मी प्रभावित हो सकते हैैं।


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