निजी स्कूलों के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक Ranchi News
Jharkhand. सरकार द्वारा निजी स्कूलों के लिए तय मानकों को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। वादी ने कहा सरकार मानकों में बदलाव नहीं कर सकती है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा निजी स्कूलों के लिए तय मानकों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। एक्टिंग चीफ जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। साथ ही, अगले आदेश तक निजी स्कूलों के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी है। दरअसल, शिक्षा सचिव में तय मानकों को पूरा नहीं करने स्कूलों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
इस मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। इस संबंध में झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से राज्य सरकार द्वारा 25 अप्रैल 2019 को लागू की गई संशोधित नियमवाली को चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया है कि पूर्व से चल रहे या नए स्कूलों के संचालन के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। सरकार द्वारा तय किए गए मानकों को पूरा करने के बाद ही स्कूल संचालन की अनुमति दी जाएगी। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने आरटीई (शिक्षा का अधिकार) एक्ट बनाया है।
इसके तहत राज्य सरकार को नियमावली बनानी है और उसे लागू करना है, लेकिन राज्य सरकार ने एक्ट में तय मानकों में ही बदलाव कर दिया है, जो उचित नहीं है। राज्य सरकार को सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा तय मानकों के अनुपालन के लिए नियमावली बनाने का अधिकार है। राज्य सरकार किसी भी हाल में एक्ट के मानकों में बदलाव नहीं कर सकती है।
इसके अलावा सरकार का यह भी आदेश सही नहीं है कि जिस जमीन पर निजी स्कूल चल रहे हैैं या बनाया जाना है, अब स्कूल के नाम से सेल डीड या फिर तीस साल के लिए लीज पर जमीन लेनी होगी। वर्तमान में कई स्कूल भाड़े की जमीन, गिफ्ट डीड और ट्रस्ट की जमीन पर चल रहे हैैं। ऐसे में कई स्कूल बंद हो जाएंगे और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। बच्चों की पढ़ाई को देखते हुए अदालत ने पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी और सरकार से जवाब तलब किया है।
यह है मामला
दरअसल, सरकार ने 25 अप्रैल 2019 को आरटीई एक्ट-2009 के तहत बनी नियमावली में संशोधन किया है। इसके तहत शहरी क्षेत्र में एक से कक्षा आठ तक चलने वाले स्कूलों के पास 60 डिसमिल और ग्रामीण इलाकों में एक एकड़ जमीन उपलब्ध होना अनिवार्य है। इसी तरह एक से कक्षा पांच तक के लिए शहरी क्षेत्र में 40 डिसमिल और ग्रामीण इलाकों में 60 डिसमिल जमीन होना अनिवार्य किया गया है।
इसके अलावा छात्रों के अनुसार शिक्षक, क्लास रूम और प्ले ग्राउंड के भी मानक तय किए गए हैैं। इसको लेकर शिक्षा सचिव ने जुलाई 2019 में सभी उपायुक्त और डीएसई को पत्र लिखकर संशोधित नियमावली लागू करने का आदेश दिया है। कहा गया है कि अगर कोई स्कूल इस मानकों को पूरा नहीं करता है, तो उसे बंद कराया जाए।