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हाई कोर्ट ने पूछा, क्या आरोपित की पहुंच इतनी कि उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता

रांची झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में शुक्रवार को हजारीबाग की एक नाबालिग लड़की को एसिड पिलाने के मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले में अब तक हुई जांच पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि सरकार के जवाब विरोधाभासी हैं। इससे प्रतीत हो रहा है कि पुलिस मामले की लीपापोती और आरोपित को बचाने का प्रयास कर रही है। क्या आरोपित की पहुंच इतनी है कि उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 02:03 AM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 06:13 AM (IST)
हाई कोर्ट ने पूछा, क्या आरोपित की पहुंच इतनी कि उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता
हाई कोर्ट ने पूछा, क्या आरोपित की पहुंच इतनी कि उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता

रांची : झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में शुक्रवार को हजारीबाग की एक नाबालिग लड़की को एसिड पिलाने के मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले में अब तक हुई जांच पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि सरकार के जवाब विरोधाभासी हैं। इससे प्रतीत हो रहा है कि पुलिस मामले की लीपापोती और आरोपित को बचाने का प्रयास कर रही है। क्या आरोपित की पहुंच इतनी है कि उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। अदालत ने यहां तक कहा कि अगर लगा कि इस मामले में जांच सही दिशा में नहीं है, तो जांच सीबीआइ को सौंपी जा सकती है। इसके बाद अदालत ने हजारीबाग के एसपी और मामले के जांच अधिकारी (आइओ) को 28 अगस्त को अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए हाजिर होने का निर्देश दिया।

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सुनवाई के दौरान अदालत ने डीजीपी को भी हाजिर होने को कहा, लेकिन उनके होम क्वारंटाइन होने की वजह से उन्हें छूट प्रदान कर दी। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि इस मामले में सरकार की ओर से दाखिल शपथ पत्र विरोधाभासी हैं। पहली बार में पुलिस ने कहा था कि मामले का मुख्य आरोपित फरार है। वहीं, दूसरी बार में कहा कि आरोपित ने पॉलीग्राफी टेस्ट कराने की सहमति प्रदान की है। क्या आरोपित की इतनी पहुंच है कि उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। इस दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि अब तक की जांच में पुलिस को आरोपित के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है कि उसे हिरासत में ले कर पूछताछ करने की जरूरत पड़े। अदालत ने कहा कि इससे प्रतीत होता है कि पुलिस की जांच सही दिशा में नहीं है।

कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान यह बताया गया था कि एक सप्ताह में जांच पूरी कर ली जाएगी, लेकिन अभी तक नामजद आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार तक नहीं किया है। अगर आरोपित फरार है, तो अब तक इश्तेहार व कुर्की जब्ती की कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अदालत ने सरकारी अधिवक्ता से कहा कि इस मामले में दस साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा होने वाली धाराओं में मामला दर्ज किया गया, तो क्या नामजद आरोपित को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है। यह पुलिस की जांच पर प्रश्नचिह्न लगाता है। इसके बाद अदालत ने डीजीपी, हजारीबाग के एसपी और जांच अधिकारी को अदालत में हाजिर होकर जवाब देने को कहा। इस पर महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि डीजीपी अभी होम क्वारंटाइन हैं। इस कारण उन्हें हाजिर होने से छूट मिलनी चाहिए। इसके बाद अदालत ने डीजीपी को हाजिर होने से छूट प्रदान करते हुए एसपी और जांच अधिकारी को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया।

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यह है मामला :

दिसंबर 2019 में हजारीबाग की एक नाबालिग स्कूली छात्रा को कुछ लोगों ने एसिड पिला दिया था। छात्रा का कई जगहों पर इलाज हुआ। एसिड पिलाने के कारण वह दो माह तक कुछ बोल नहीं पा रही थी। अखबारों में खबर प्रकाशित होने के बाद अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने चीफ जस्टिस का पत्र लिखा था। इसके बाद अदालत इस पर संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रही है।

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