आजीवन कारावास की सजा काट रहा कैदी हाई कोर्ट से बरी Ranchi News
HC ने कहा कि निचली अदालत ने सजा सुनाते समय कई अन्य तथ्यों पर गौर नहीं किया है। इसलिए दोषी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट ने मोहंथी हेंब्रम हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए चुंडा मुर्मू को बरी कर दिया है। जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए उक्त आदेश दिया है। पाकुड़ की निचली अदालत ने दिसंबर 2001 में चुंडा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने इस मामले में अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज को न्याय मित्र बनाया था।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि इस मामले में मोहंथी हेंब्रम की पत्नी शर्मीला मुर्मू को चश्मदीद गवाह बनाया गया है। इनके ही बयान के आधार पर अदालत ने सजा सुनाई है, लेकिन उनके बयान में समानता नहीं है। उन्होंने कहा है कि इस मामले में अभियोजन की ओर से उनके देवर छोटे हेंब्रम और जांच अधिकारी (आइओ) का बयान दर्ज ही नहीं कराया गया है। निचली अदालत ने सजा सुनाते समय कई अन्य तथ्यों पर भी गौर नहीं किया है। इसलिए सजायाफ्ता चुंडा को बरी किया जाए। इसके बाद अदालत ने दोषी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
वर्ष 1998 में मोहंथी हेंब्रम की हुई थी हत्या
अपराजिता भारद्वाज ने बताया कि 25 अगस्त 1998 की शाम साढ़े सात बजे आपसी विवाद में मोहंथी हेंब्रम की लाठी से पिटाई की गई थी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मोहंथी की पत्नी शर्मिला ने पाकुडिय़ा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए चुंडा मुर्मू को आरोपित बनाया था। निचली अदालत ने सुनवाई के बाद 18 दिसंबर 2001 को चुंडा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद चुंडा की ओर से हाई कोर्ट में अपील याचिका दाखिल की गई थी।