Move to Jagran APP

राज्‍यपाल बोलीं, संताली भाषा को राजभाषा का दर्जा देने पर न‍ियमानुसार कार्रवाई करे झारखंड सरकार

Jharkhand News संताली भाषा की ल‍िप‍ि को ओल च‍िकी कहते हैं। झारखंड के रहने वाले पंड‍ित रघुनार्थ मुर्मू इसके जनक रहे हैं। झारखंड ही नहीं देश के कई राज्‍यों में तथा व‍िदेश में भी यह भाषा बोली जाती है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 02:09 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 02:11 PM (IST)
राज्‍यपाल बोलीं, संताली भाषा को राजभाषा का दर्जा देने पर न‍ियमानुसार कार्रवाई करे झारखंड सरकार
झारखंड की राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू। फाइल फोटो

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड की राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू ने ह‍िन्‍दी के साथ संताली भाषा को भी झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा देने को लेकर न‍ियमानुसार कार्रवाई करने के न‍िर्देश राज्‍य सरकार को द‍िया है। राज्‍यपाल के न‍िर्देश पर उनके प्रधान सच‍िव शैलेश कुमार स‍िंह ने आदि‍वासी सेंगेल अभि‍यान की मांग पर नियमानुसार कार्रवाई करने को लेकर मुख्‍य सचि‍व को पत्र ल‍िखा है।

loksabha election banner

उन्‍होंने आदिवासी सलाहकार परिषद के गठन तथा इसकी बैठक बुलाए जाने को लेकर भी आवश्‍यक कार्रवाई करने का अनुरोध क‍िया है। मालूम हो क‍ि झारखंड से सटे ओड‍िशा से राज्‍यसभा के सदस्‍य सरोजिनी हेम्ब्रम ने भी प‍िछले द‍िनों राज्यसभा में पहली बार संताली भाषा में अपनी बात रखते हुए इसे सम्‍मान देने की बात कही थी। शून्‍यकाल में उन्‍होंने इस भाषा से जुड़ी समस्‍याओं को उठाया था।

संताली भाषा भारत, नेपाल, बांग्‍लादेश और भूटान में बोली जाती है। करीब साठ लाख लोग इस भाषा को बोलते हैं। भारत में यह भाषा झारखंड, ओड‍िशा, ब‍िहार, पश्‍च‍िम बंगाल, असम व त्र‍िपुरा आद‍ि राज्‍यों में बोली जाती है। इस भाषा की ल‍िप‍ि को ओल च‍िकी कहा जाता है। इसे पंडित रघुनाथ मुर्मू ने तैयार क‍िया था। वह लंबे समय तक झारखंड के पूर्वी स‍िंंहभूम ज‍िले के जमशेदपुर शहर में भी रहे थे।

आज भी समूचे झारखंड में लोग उन्‍हें श‍िद्दत से याद करते हैं। वर्ष 1925 में उन्‍होंने इस भाषा की लिपि तैयार कर दी थी। पंडित रघुनाथ मुर्मू को भारत रत्‍न उपाध‍ि से नवाजने की मांग भी लंबे समय से होती आ रही है। उनकी जयंती पर हर साल यह मांग उठती है। झारखंड के कई व‍िश्‍वव‍िद्यालयों में संताली भाषा की पढ़ाई भी होती है। पंडित रघुनाथ मुर्मू को सांस्‍कृत‍िक योद्धा के रूप में झारखंड के लोग जानते हैं।

संताली भाषा में न स‍िर्फ साह‍ित्‍य ल‍िखे जा रहे हैं, बल्‍क‍ि कई फ‍िल्‍में भी बन चुकी हैं। खुद पंडित रघुनाथ मुर्मू ने दर्जन भर से अध‍िक रचनाएं इस भाषा में की थी। पर्याप्‍त सरकारी संरक्षण के अभाव यह भाषा धीरे-धीरे लुप्‍त होती जा रही है। ब्रिट‍िश सरकार के दौरान संताली भाषा रोमन ल‍िप‍ि में ल‍िखी जाती थी। संताल समुदाय के आद‍िवासी संताल भाषा में ही बातचीत करते हैं। झारखंड में संताल समुदाय की अच्‍छी-खासी आबादी है। संताली भाषा बोलने वाले वक्‍ता को संताड़ी कहा जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.