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Jharkhand Budget Session: खासमहल जमीन पर मालिकाना हक को सरकार जल्‍द लेगी निर्णय

Jharkhand Budget Session. विधानसभा सत्र के दौरान राजमहल के विधायक ने सदन में रखा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव। इस पर मंत्री ने कहा कि सरकार करेगी विचार।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 07:59 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 07:59 PM (IST)
Jharkhand Budget Session: खासमहल जमीन पर मालिकाना हक को सरकार जल्‍द लेगी निर्णय
Jharkhand Budget Session: खासमहल जमीन पर मालिकाना हक को सरकार जल्‍द लेगी निर्णय

रांची, राज्य ब्यूरो। विधानसभा सत्र के दौरान राजमहल के विधायक अनंत कुमार ओझा ने सदन में ध्यानाकर्षण के जरिए खासमहल की जमीन का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि खासमहल की जमीन पर वर्षों से रह रहे लोगों को अब तक मालिकाना हक नहीं मिला। राज्य बनने के बाद से ही खासमहल कानून लागू है, जिसके चलते उक्त जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो रही है। यह समस्या सबसे ज्यादा साहिबगंज, पलामू आदि क्षेत्रों में है। खासमहल कानून को समाप्त करते हुए खासमहल की जमीन पर रह रहे लोगों को मालिकाना हक दिया जाए।

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उस जमीन का निबंधन हो। खासमहल की जमीन की दर भी कम की जाय, ताकि उसपर रहने वाले आसानी से निबंधन करा सकें, क्योंकि उस जमीन पर अधिकांश लोग 100 साल से भी अधिक समय से रह रहे हैं। तब उस जमीन की कीमत बहुत कम थी। विधायक के सवालों का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार इसपर विचार करेगी और जो सही निर्णय होगा, उसे किया जाएगा।

सहिया के लिए लंबित प्रोत्साहन राशि आवंटित

ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान ही झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने सहिया की समस्या को उठाया। उन्होंने कहा कि धनबाद में 29 सहिया में सिर्फ 16 को ही रखा गया, 13 को हटा दिया गया। सभी हटाईं गई 13 सहिया का सामंजन किया जाय। इतना ही नहीं 2015 से 2018 तक सहिया को प्रोत्साहन राशि भी नहीं मिली। इसपर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि सहिया की लंबित प्रोत्साहन राशि धनबाद जिले को भेज दी गई है। जहां तक 13 सहिया के सामंजन का प्रश्न है तो यह भारत सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद ही किया जा सकेगा। समायोजन की एक प्रक्रिया है, जिसका पालन किया जाएगा।

कल्याण विभाग के छात्रावास में व्यवस्थागत खामियां, न रसोइया, न ही चौकीदार

विधायक प्रदीप यादव ने राज्य में कल्याण विभाग के छात्रावासों पर गंभीर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि छात्रावासों की हालत बदतर है। वहां न रसोइया है, न चौकीदार। उन्होंने पोटका कॉलेज का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 400 बच्चों के लिए सिर्फ दो चापाकल ही हैं। विधायक ने विभागीय मंत्री से छात्रावास की संख्या, वहां प्रतिनियुक्त रसोइया व चौकीदार की संख्या, पेयजल एवं पुस्तकालय की व्यवस्था का लेखाजोखा मांगा।

इसपर विभागीय मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि उनके पास फिलहाल इससे संबंधित कोई डाटा नहीं है। कल्याण विभाग के छात्रावास में जो भी कमियां हैं, उसे दुरुस्त किया जाएगा। जो प्रस्ताव मिले हैं, उसे पूरा किया जाएगा। इसी प्रश्न पर विधायक स्टीफन मरांडी ने भी सरकार का ध्यान खींचा और कहा कि कल्याण विभाग के छात्रावास की समस्या को संजीदगी से लेने की जरूरत है।

अभ्रक खान के निविदा में पंचायत के हस्तक्षेप की मांग

कोडरमा की विधायक डा. नीरा यादव ने अभ्रक खदान पर सदन का ध्यान खींचा। उन्होंने मांग रखी कि अभ्रक के खनन में जो निविदा हो रही है, उसमें पंचायत का प्रतिनिधित्व नहीं है, जबकि अभ्रक के खनन से सर्वाधिक आम लोग ही प्रभावित होते हैं। ऐसी स्थिति में अभ्रक खदान से संबंधित निविदा में पंचायत का प्रतिनिधित्व हो। इसपर खनन मंत्री बादल ने कहा कि यह नीतिगत निर्णय है, जिसपर सरकार विचार करेगी। जहां तक निविदा की बात है तो वर्तमान सरकार तीन निविदा फाइनल कर चुकी है। सात निविदा में कोई आया ही नहीं।


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