Jharkhand Budget 2020: पीएम आवास योजना में सरकार देगी 50 हजार, बनेंगे 5000 नए आवास
Jharkhand Budget. लाभुकों को झारखंड की भौगोलिक पृष्ठभूमि को देखते हुए स्थानीय तरीके से घर बनाने की भी छूट दी जाएगी।
रांची, राज्य ब्यूरो। हेमंत सरकार का बजट गरीब व बेघरों पर मेहरबान है। सबके सिर पर छत और हर हाथ को काम बजट की विशेषता है। ग्रामीण विकास की दिशा में सरकार ने विशेष प्लान कर रखा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 में स्वीकृत किए जाने वाले आवासों के लिए राज्य सरकार भी अपने कोष से 50 हजार रुपये की अतिरिक्त राशि प्रत्येक लाभुक को देगी।
इतना ही नहीं, लाभुकों को झारखंड की भौगोलिक पृष्ठभूमि को देखते हुए स्थानीय तरीके से घर बनाने की भी छूट दी जाएगी। जो लाभुक प्रतीक्षा सूची में छूट गए हैं, उनके लिए बाबा साहेब भीमराव अंबेदकर आवास योजना के तहत पांच हजार आवास बनाए जाएंगे। इस योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में 4199 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनी है। मनरेगा के तहत उन्नति परियोजना दिसंबर-2019 से शुरू है।
वैसे परिवार जिन्होंने मनरेगा के तहत 100 दिन का कार्य पिछले वित्तीय वर्ष में पूरा किया है, उन परिवारों के एक व्यस्क सदस्य (जिसकी आयु 18 से 45 वर्ष के बीच हो) को कौशल विकास के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। राज्य योजना से वित्त पोषित जोहार परियोजना के तहत अब तक कुल 3423 उत्पादक समूह का निर्माण किया जा चुका है। इस योजना को आगामी वित्तीय वर्ष में जारी रखते हुए लगभग 50 हजार अतिरिक्त परिवारों को आजीविका से जोड़ा जाएगा।
आजीविका संवद्र्धन से जुड़ेंगे एक लाख और परिवार
आजीविका संवद्र्धन से आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 में एक लाख और परिवारों को जोडऩे का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत धान की खेती, बकरी पालन, वनोपज, मुर्गीपालन, सब्जी की उन्नत खेती व औषधीय पौधों के उत्पादन जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से ये परिवार जुड़ेंगे। राज्य के 50 प्रखंडों में कलस्टर फेसिलिटेशन टीम (सीएफटी) परियोजना का क्रियान्वयन भी किया जाएगा। इससे बड़े पैमाने पर मनरेगा की निधि से जलछाजन सिद्धांत पर कार्य कर ग्रामीणों को कृषि आधारित आजीविका से जोड़ा जाएगा।
झारखंड जलछाजन योजना के अंतर्गत 1.50 लाख हेक्टेयर भूमि का ट्रीटमेंट
झारखंड जलछाजन योजना (जेजेवाई) के अंतर्गत 1.50 लाख हेक्टेयर भूमि का ट्रीटमेंट किया जाएगा। इसके तहत कुल 30 प्रखंडों में 141 ग्राम पंचायत तथा 744 ग्राम सम्मिलित हैं। इसकी परियोजना लागत 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से 300 करोड़ रुपये प्रस्तावित है।
इतना ही नहीं राज्य योजना वित्त पोषित जापान इंटरनेशनल डेवलपमेंट एजेंसी (जेआइसीए) के माध्यम से माइक्रो ड्रिप सिंचाई योजना के माध्यम से बागवानी के प्रोत्साहन की योजना चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत प्रशिक्षण, टपक सिंचाई उपकरण, विपणन सहायता आदि प्रदान कर 30 प्रखंडों में कुल 45000 लाभुकों की आय में वृद्धि की जाएगी। इसपर चार करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है।