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त्योहार में नहीं होगा वेतन संकट, एक हजार करोड़ का ऋण लेगी सरकार

लगातार दूसरे साल ऋण लेने की मजबूरी समय पर बंटेगा वेतन

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 01:18 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 01:18 AM (IST)
त्योहार में नहीं होगा वेतन संकट,  एक हजार करोड़ का ऋण लेगी सरकार
त्योहार में नहीं होगा वेतन संकट, एक हजार करोड़ का ऋण लेगी सरकार

राज्य ब्यूरो, रांची : झारखंड सरकार गंभीर वित्तीय संकट में फंसती जा रही है। हालात ऐसे हैं कि इस महीने वेतन बांटने के लिए सरकार के पास पैसे कम पड़ रहे हैं। हालांकि खजाना खाली होने जैसी बात नहीं है और ना ही सरकार की गतिविधियों से ऐसे कोई संकेत मिल रहे हैं। विभिन्न योजनाओं पर खर्च करने की सीमा बढ़ाकर सरकार ने बेहतर आर्थिक स्थिति के संकेत भी दिए हैं। सड़क और भवन की कई योजनाओं पर राशि खर्च करने की छूट दी जा रही है। साथ ही बिजली और पानी जैसी आवश्यक सुविधाओं पर भी खर्च बढ़ाने की बात चल रही है। इसके बावजूद, कहीं ना कहीं खजाने पर संकट है। सूत्रों की मानें तो अभी ऋण लेने का निर्णय इसलिए लिया गया है, क्योंकि सरकार समय पर कर्मियों को वेतन देना चाह रही है। पूर्व में भी पूजा के पहले अग्रिम वेतन देने का प्रावधान रहा है, लेकिन इस बार कुछ देर हुई तो पूजा तक वेतन देना संभव नहीं होगा। सरकार के पास शुक्रवार तक का समय ही बचा है।

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बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट के लिए एडवांस वेतन जारी करने के बाद सरकारी खजाने में 400 करोड़ रुपये के करीब ही बचे थे और ऐसी हालत में इस महीने का वेतन देना मुश्किल साबित हो रहा था। इसे देखते हुए सरकार ने रिजर्व बैंक से एक हजार करोड़ रुपये का ऋण मांगा है। झारखंड सरकार वेतन और पेंशन मद में सरकार हर महीने 1500 करोड़ रुपये के करीब खर्च करती है।

सरकार के सामने गंभीर आर्थिक संकट का यह दूसरा साल है। इसके पूर्व भी संकट के कई अवसर आए हैं। पिछले वर्ष चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार ने रिजर्व बैंक से तीन हजार करोड़ रुपये का ऋण लिया था, जिससे आर्थिंक स्थिति को संभाले रखने में सुविधा हुई थी। हालांकि पिछले साल केंद्र की ओर से जीएसटी की क्षतिपूर्ति राशि में किसी प्रकार की कटौती नहीं की गई थी। इस बार केंद्र ने राज्य सरकारों को इसके एवज में ऋण लेने की सलाह दी थी, जिसे राज्य मंत्रिमंडल ने पहले ही खारिज कर दिया है। जीडीपी के तहत ऋण पूर्व में बने कानून को देखते हुए लेने का प्रस्ताव दिया गया है, जिसके तहत राज्य सरकारें अपने जीडीपी के हिसाब से 3.5 फीसद तक ऋण बिना शर्त प्राप्त करती हैं। कोरोना संक्रमण के बाद केंद्र सरकार ने इस राशि को बढ़ाकर पांच फीसद तक कर दिया है। ऐसे में राज्य सरकार के पास चार हजार करोड़ रुपये तक ऋण लेने की सुविधा उपलब्ध है। इस ऋण के लिए केंद्र सरकार ही गारंटर होती है।


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