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एमबीबीएस की तीन सौ सीटें बचाने में जुटी सरकार

रांची राज्य सरकार पलामू हजारीबाग तथा दुमका के तीनों नए मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की 300 सीटें बचाने में जुट गई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 02:23 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:08 AM (IST)
एमबीबीएस की तीन सौ सीटें बचाने में जुटी सरकार
एमबीबीएस की तीन सौ सीटें बचाने में जुटी सरकार

रांची : राज्य सरकार पलामू, हजारीबाग तथा दुमका के तीनों नए मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की 300 सीटें बचाने में जुट गई है। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) द्वारा तीनों मेडिकल कॉलेजों में 2020-21 सत्र के लिए नामांकन पर रोक लगाने के बाद गिनाई गई कमियां दूर करने की कवायद शुरू हुई है, जबकि एनएमसी ने इसके लिए मेडिकल कालेजों को पर्याप्त समय दिए थे।

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मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने एनएमसी द्वारा गिनाई गई कमियां दूर करने के लिए गुरुवार को स्वास्थ्य सचिव डा. नितिन मदन कुलकर्णी तथा भवन निर्माण सचिव सुनील कुमार व अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक की। स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, भवन निर्माण कारपोरेशन को 31 अक्टूबर तक तीनों मेडिकल कालेजों में लैब आदि के अधूरे कार्यों को पूरा करने का टास्क दिया है। उनके अनुसार, कारपोरेशन ने इस अवधि तक कार्य पूरा करने को कहा है। बताया जाता है कि एनएमसी ने तीनों मेडिकल कालेजों में अभी तक कई लैब तैयार नहीं होने तथा प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के अधिसंख्य पदों के रिक्त रह जाने के कारण नामांकन की अनुमति नहीं दी। प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के रिक्त पदों पर इस कारण नियुक्ति नहीं हो सकी, क्योंकि संविदा पर होनेवाली नियुक्त में मानदेय कम होने (क्रमश: 1.66 लाख व 1.02 लाख मासिक) होने के कारण चिकित्सक टर्न अप ही नहीं हुए। बता दें कि पिछले वर्ष तीनों नए मेडिकल कॉलेजों में पहले सत्र में भी सौ-सौ सीटों पर नामांकन की अनुमति नहीं मिली थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा तीन माह में तत्कालीन एमसीआइ द्वारा गिनाई गई कमियां दूर करने का अंडरटेकिग देने के बाद नामांकन की अनुमति प्रदान की। इस बार भी एनएमसी ने फरवरी माह में ही कमियां गिनाते हुए उन्हें दूर करने का मौका मेडिकल कालेजों को दिया था।

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सुनवाई में संतोषजनक पक्ष नहीं रख सके मेडिकल कालेज :

एनएमसी ने तीनों मेडिकल कालेजों को इसी 10 अक्टूबर को वीडियो कांफ्रेंसिग के क्रम में सुनवाई के दौरान कमियों के संबंध में पक्ष रखने का मौका दिया था, लेकिन तीनों मेडिकल कालेज के प्राचार्य तथा अधीक्षक संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इसके बाद एनएमसी ने तीनों मेडिकल कालेजों में नामांकन पर रोक लगा दी। एनएमसी ने प्राचार्यों को भेजे गए पत्र में यह भी जानकारी दी है कि अधिवक्ता को कालेजों की वर्तमान स्थिति से सर्वोच्च न्यायालय को अवगत कराने को कहा गया है।

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