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खनन नीति में प्रस्तावित बदलाव के विरोध में झारखंड

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा रोजगार और अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा नकारात्मक असर

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 02:05 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 05:16 AM (IST)
खनन नीति में प्रस्तावित बदलाव के विरोध में झारखंड
खनन नीति में प्रस्तावित बदलाव के विरोध में झारखंड

राज्य ब्यूरो, रांची : खनन क्षेत्र में सुधार को लेकर केंद्र सरकार के खान मंत्रालय द्वारा राज्यों को सौंपे गए पर मसौदे पर झारखंड सरकार ने आपत्ति जताई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर राज्य सरकार की आपत्तियों को साझा किया है। उन्होंने कहा है कि ऐसे प्रयासों से रोजगार और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने अवैध खनन की व्याख्या से भी असहमति जताई है। सीएम ने कहा कि इन बदलावों का सामाजिक-आर्थिक असर व्यापक होगा और इसको समझने के लिए सिर्फ 10 दिनों का समय बहुत ही कम है। केंद्र सरकार ने सिर्फ 10 दिनों में सुझाव मांगे हैं। राज्य सरकार ने अवैध खनन को लेकर प्रस्तावित परिभाषा का भी विरोध किया है।

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राज्य सरकार ने अपनी आपत्तियों से केंद्र सरकार को अवगत कराया है। बिदुवार भारत सरकार को भेजे गए जवाब में राज्य सरकार ने एमएमडीआर एक्ट में सुधार के सुझाव समेत किए गए अन्य प्रावधानों को राज्य हित में नहीं बताया है। राज्य सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि जो ड्राफ्ट भेजा गया है। उसमें भी बहुत सी बातें अस्पष्ट है।

प्रेषित जवाब में झारखंड की ओर से स्पष्ट किया गया है कि झारखंड एक खनन बहुल राज्य है। राज्य की अर्थव्यवस्था बहुत कुछ खनन पर निर्भर है, प्रस्तावित सुझाव पर यदि अमल किया गया इससे राज्य को आर्थिक हानि हो सकती है। खनिजों के मूल्य निर्धारण के लिए नेशनल मिनिरल इंडेक्स के सुझाव से भी राज्य सरकार इत्तफाक नहीं रखती। खनिजों के मूल्य के निर्धारण के लिए आईबीएम की वर्तमान पद्धति को ही राज्य में उपयुक्त माना है। कहा गया है कि रोजगार सृजन के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत खनिज पट्टा आवंटन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा रहा है। राज्य सरकार का जवाब सटीक प्रस्तावित संशोधन पर निर्भर करेगा। केंद्र सरकार की ओर से अवैध खनन की प्रस्तावित परिभाषा पर असहमति जताते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में स्थिति स्पष्ट की है। राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से सहमत है। राज्य सरकार ने केंद्र के उस संशोधन प्रस्ताव को भी मानने से मना कर दिया है जिसमें स्टांप ड्यूटी का युक्तीकरण करने का दावा है। खान एवं भूतत्व विभाग का कहना है कि स्टांप ड्यूटी राज्य सरकार के दायरे में आता है और इसके निर्धारण में राज्य सरकार सक्षम है। स्टांप ड्यूटी एमएमडीआर एक्ट 1957 में नहीं आता। इस केंद्र सरकार के स्तर से किसी प्रकार का बदलाव संघीय ढांचा पर प्रहार होगा।


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