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Jharkhand: सरना धर्म कोड पर झारखंड सरकार रेस, विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी; केंद्र को भेजा जाएगा

Jharkhand Government Sarna Dharam Code राज्‍य में अरसे से इसकी मांग की जाती रही है। आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की वकालत सभी दल करते रहे हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 11:13 PM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 08:04 AM (IST)
Jharkhand: सरना धर्म कोड पर झारखंड सरकार रेस, विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी; केंद्र को भेजा जाएगा
Jharkhand: सरना धर्म कोड पर झारखंड सरकार रेस, विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी; केंद्र को भेजा जाएगा

रांची, [प्रदीप सिंह]। Sarna Dharam Code झारखंड सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में सरना धर्म कोड पर प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। अरसे से इसकी मांग हो रही है और सभी राजनीतिक दलों के एजेंडे में यह मांग है। विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर वर्ष 2021 की जनगणना में आदिवासी समुदाय के लिए अलग से सरना धर्म कोड शामिल करने की मांग की जाएगी। विगत विधानसभा चुनाव में भी सभी प्रमुख दलों के घोषणापत्र में यह शुमार था।

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बड़े पैमाने पर इस मांग के प्रति समर्थन को देखते हुए राज्य सरकार ने आदिवासियों के लिए पृथक धर्म कोड की अनुशंसा की कवायद आरंभ की है। ईसाई वोट बैंक में रसूख रखने वाले नेता मुखर होकर अलग धर्म कोड की मांग करते रहे हैं। आरएसएस और हिंदू संगठनों द्वारा आदिवासियों को आदि हिंदू बताने पर भी वे तीखी प्रतिक्रिया देते हैं।

कांग्रेस ने भी इस संबंध में राज्य सरकार से आग्रह किया है। प्रस्ताव को विधानसभा के मानसून सत्र में सदन के पटल पर रखने की तैयारी की जा रही है। सरकार प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को प्रेषित करेगी, जिसमें आग्रह किया जाएगा कि जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड का प्रावधान किया जाए।

2016 में केंद्र सरकार ने कर दिया था इन्कार

विभिन्न संगठनों द्वारा सरना धर्म कोड की मान्यता को केंद्र सरकार वर्ष 2016 में ठुकरा चुकी है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने इससे इन्कार करते हुए कहा था कि पृथक धर्म कोड, कॉलम या श्रेणी व्यावहारिक नहीं होगा। आदिवासी सरना महासभा को भेजे गए पत्र में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के तत्कालीन सहायक निदेशक ने बताया था कि फिलहाल जनगणना में छह धर्मों के कॉलम हैं।

उन्होंने आशंका व्यक्त की थी कि इसके अतिरिक्त नया कॉलम या धर्म कोड आवंटित हुआ तो बड़ी संख्या में पूरे देश में ऐसी और मांगें उठेंगी। आश्वासन दिया गया था कि 2021 में होने वाली जनगणना के पूर्व यह मांग रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की तकनीकी सलाहकार समिति के समक्ष रखा जाएगा। यह भी स्पष्ट किया गया था कि जनगणना के पृथक कोड में आवंटित किए गए धर्म को कोई लाभ अथवा विशेष सुविधाएं प्राप्त नहीं होती है।

देशभर में जनजातीय समुदाय की आबादी 12 करोड़ से अधिक

देशभर के अलग-अलग हिस्सों में बसे जनजातीय समुदाय की जनसंख्या 12 करोड़ से ज्यादा है। वर्ष 2011 की जनगणना में पूरे देश में 40,75,246 लोगों ने अन्य के कॉलम में जाकर अपना धर्म सरना दर्ज कराया था। इसमें सर्वाधिक झारखंड में 34,50,523, ओडि़शा में 3,53,520, पश्चिम बंगाल में 2,24,704, बिहार में 43,342, छत्तीसगढ़ में 2450 और मध्य प्रदेश में 50 लोगों ने खुद को सरना धर्म का बताया था।

देश के दस से ज्यादा राज्यों में आदिवासी

देश के दस से ज्यादा राज्यों में आदिवासियों की संख्या है। ये झारखंड से राजस्थान और अंडमान से अरुणाचल तक फैले हैं। प्रमुख जनजातीय समुदायों में संताल, मुंडा, उरांव, बिरहोर, मीणा, भील, गोंड, बैगा, अबोर, आदी, अनगामी, एओ, अपातानी, बडागास, भोटिया, भूटिया, बोड़ो, चेनचुस, चूटिया, डांग, गड्डीस, गारोस, ग्रेट अंडमानी, इरूलस, जैनटिएस, जरावास, कचारिस, कानिस, कार्बी, खंपी, खासी, खोंड, कोल, कोटस, कुकी, लेपचास, लुसिएस, मैतिएस, मिसिंग, ओंगस, रबहास, रेंगमा, रोंगपा, सेमा, सेनटीनिलिस, सोमपेनस, तगिन, तोदास, यूरेलिस, जिलिंग आदि शामिल हैं।


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