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Jharkhand: मुकदमों में उलझती रही हैं नियुक्तियां, JPSC अध्‍यक्ष तक को जाना पड़ा जेल

Jharkhand Government Job 20 वर्षों के झारखंड में मुकदमों के दो दर्जन से अधिक मामले हैं। ऐसे मामलों में बड़े-बड़ों तक को जेल की हवा खानी पड़ी। प्रदेश में ज्‍यादातर अधिकारियों-नेताओं के परिजनों के बीच नौकरियां बंटी हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 12:09 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 05:19 PM (IST)
Jharkhand: मुकदमों में उलझती रही हैं नियुक्तियां, JPSC अध्‍यक्ष तक को जाना पड़ा जेल
रांची स्थित जेपीएससी कार्यालय के बाहर लगा संस्‍थान का बोर्ड। फाइल फोटो

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में नियुक्तियों में गड़बडिय़ों का पुराना इतिहास है और सगे-संबंधियों को नौकरी दिलाने से लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होते रहे हैं। यही कारण है कि यहां परीक्षा में कॉपियों की जांच करनेवालों से लेकर जेपीएससी अध्यक्ष तक को अलग-अलग मामलों में जेल तक का सफर करना पड़ा है। एक बार फिर ऐसी एक परीक्षा पर हाई कोर्ट के फैसले ने सवाल उठा दिया है।

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हाई कोर्ट ने पहले भी जेपीएससी के मामलों की जांच करने के आदेश दिए हैं। आश्चर्यजनक तौर पर झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर जेपीएससी द्वारा ली गई एक दर्जन नियुक्ति परीक्षाओं की जांच सीबीआइ से हो रही है। जेपीएससी परीक्षाओं में अनियमितता को लेकर तत्कालीन अध्यक्ष और सदस्य के अलावा सचिव के विरुद्ध भी कार्रवाई हुई है।

इससे पहले निगरानी जांच तथा बाद में सीबीआइ जांच में भी इन परीक्षाओं में भारी गड़बड़ी की पुष्टि हो चुकी है। सीबीआइ ने तो व्याख्याता नियुक्ति में गड़बड़ी की चार्जशीट भी दाखिल कर दी है। इधर, छठी सिविल सेवा परीक्षा पांच वर्ष से अधिक समय में भी पूरी नहीं हो पाई है। इस परीक्षा में बार-बार विवाद होने तथा राज्य सरकार के हस्तक्षेप के कारण इसकी प्रारंभिक परीक्षा में दो-दो बार संशोधन करना पड़ा।

तीन बार इसके परिणाम जारी हुए। हालांकि इस परीक्षा का साक्षात्कार हो चुका है और शीघ्र अंतिम परिणाम जारी होने की उम्मीद है। बात सिर्फ जेपीएससी की ही नहीं है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की परीक्षा में भी अभ्यर्थियों को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था।

वनरक्षी बहाली परीक्षा में धांधली के बाद परिणाम बदलने की नौबत आई और कई लोगों को नई सूची निकालकर नियोजित किया गया। इसके पूर्व भी विभिन्न प्रकार की बहालियों में लोग व्यक्तिगत स्तर पर न्याय के लिए कोर्ट तक पहुंचे। सामूहिक तौर पर भ्रष्टाचार के मामले कम ही सामने आए हैं।

अलग राज्य बनने के बाद विवादित परीक्षाएं

प्रथम सिविल सेवा परीक्षा

द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा

सहायक और कनीय अभियंता परीक्षा

विवि में डिप्टी रजिस्ट्रार नियुक्ति

व्याख्याता नियुक्ति परीक्षा

झारखंड पात्रता परीक्षा

प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति परीक्षा

प्रथम सीमित सिविल सेवा नियुक्ति परीक्षा

सहकारिता सेवा परीक्षा

चिकित्सक नियुक्ति परीक्षा

शिक्षक नियुक्ति,

वनरक्षी बहाली

बाजार पर्यवेक्षक नियुक्ति परीक्षा आदि।


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