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Jharkhand: निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए 75% नौकरियां आरक्षित करने में जुटी सरकार

Jharkhand Government News सरकार के निर्देश पर कार्मिक और श्रम विभाग प्रस्ताव तैयार करने में जुटा है। इसके लिए अलग कमेटी बनेगी। अभी नए उद्योगों पर नियमावली प्रभावी होगी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 08:19 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 08:21 AM (IST)
Jharkhand: निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए 75% नौकरियां आरक्षित करने में जुटी सरकार
Jharkhand: निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए 75% नौकरियां आरक्षित करने में जुटी सरकार

रांची, [आशीष झा]। स्थानीयता को नए तरीके से परिभाषित करने में जुटी झारखंड सरकार अब निजी क्षेत्र में भी स्थानीय लोगों के लिए 75 फीसद नौकरियां सुनिश्चित करने की कवायद में जुट गई है। कार्मिक और श्रम विभाग संयुक्त रूप से इस मसौदे पर काम कर रहा है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार इस आरक्षण की व्यवस्था के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी, जो कानून तैयार करने तक दोनों विभागों का मार्गदर्शन करेगी।

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अभी प्राइवेट सेक्टर के लिए आरक्षण की यह व्यवस्था झारखंड में खुलने वाली नई कंपनियों पर लागू होगी। पहले से चल रही कंपनियों को अभी इससे मुक्त रखा जाएगा। हालांकि पुरानी कंपनियों में नई बहालियों पर इस व्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की तैयारी भी साथ-साथ चल रही है। निजी कंपनियों में आरक्षण की व्यवस्था के लिए बनाई जा रही हाई पावर कमेटी इस मामले के अलावा प्रदेश में लागू जाति आधारित आरक्षण की भी समीक्षा करेगी।

अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग को प्रदेश में मिल रहे आरक्षण पर भी कमेटी अपना मंतव्य देगी। बताया जा रहा है कि ऐसा करना आरक्षण को लागू रखने के लिए अनिवार्य भी है। आरक्षण प्रतिशत की समय-समय पर समीक्षा करने की आवश्यकता होती है। हाई पावर कमेटी संविदा के आधार पर प्रदेश में काम कर रहे लोगों को एक समान मानदेय देने और उनके लिए निर्धारित शर्तों में भी एकरूपता लाने के लिए भी अपनी अनुशंसा सरकार को देगी।

कमेटी का गठन शीघ्र करने की तैयारी है। सत्ता पक्ष का दावा है कि कोरोना संक्रमण के बीच सरकार अपने चुनावी वादों को पूरा करने में जुटी हुई है और घोषणापत्र पर अमल करना शुरू भी कर दिया है। हाई पावर कमेटी के स्वरूप पर कैबिनेट की बैठक में अंतिम फैसला होगा। कार्मिक विभाग के सूत्रों की मानें तो इसके लिए कैबिनेट की बैठक अगस्त महीने में ही की जा सकती है।

कई वर्षों से पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बढ़ाने के लिए सरकारों पर दबाव है। इतना ही नहीं, विभिन्न कार्यालयों में संविदा पर कार्यरत कर्मियों के लिए अलग-अलग मानदेय, अलग-अलग सुविधाएं, कार्य से संबंधित शर्तों और अवधि में अंतर को दूर करने की कवायद शुरू की गई है। इन सभी मामलों पर अब यही कमेटी सरकार को विस्तृत अनुशंसा भेजेगी।

मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाने पर हो रहा विचार

स्थानीय नीति को फिर से परिभाषित करने को लेकर अधिकारियों की कमेटी तो रहेगी ही, मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाने पर भी विचार हो रहा है। सूत्रों के अनुसार इस समिति की जिम्मेदारी स्थानीय नीति को फिर से परिभाषित करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को आरक्षण और संविदा कर्मियों की सेवा शर्तों में एकरूपता के लिए अनुशंसा करने की होगी।


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