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कृषि बाजार समितियों से SDO की छुट्टी, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को मिलेगी जिम्मेदारी; बाजार शुल्क भी वसूलने की तैयारी

Krishi Bazar Samiti Jharkhand News विभाग में प्रस्ताव तैयार है। एक बार फिर बाजार शुल्क वसूलने की तैयारी है। इसमें कई और बदलाव हैं। दो फीसद बाजार शुल्क वसूली के प्रस्ताव से सरकारी की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। वर्ष 2015 में सरकार के स्तर से व्यवस्था हटाई गई थी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 30 Jun 2021 01:50 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jun 2021 01:54 PM (IST)
कृषि बाजार समितियों से SDO की छुट्टी, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को मिलेगी जिम्मेदारी; बाजार शुल्क भी वसूलने की तैयारी
Krishi Bazar Samiti, Jharkhand News विभाग में प्रस्ताव तैयार है। एक बार फिर बाजार शुल्क वसूलने की तैयारी है।

रांची, [आशीष झा]। झारखंड सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर खुद को मजबूत करने के लिए एक बार फिर बाजार शुल्क वसूलने की तैयारी पूरी कर ली है और इससे भी अहम तैयारी है इसे प्रशासनिक निगरानी से मुक्त कराने की। अब तक कृषि बाजार समितियों में अनुमंडलाधिकारी के पास समस्त प्रशासनिक शक्तियां दी गई थीं जिसे हटाते हुए नई व्यवस्था में कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों अथवा राजनीतिक दलों के अनुभवी कार्यकर्ताओं को यह जिम्मा सौंपने की तैयारी की जा रही है। इस पद पर व्यक्ति का मनोनयन सरकार की ओर से किया जाएगा।

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माना जा रहा है कि इससे बाजार समितियों के विकास और आर्थिक ढांचे में सुधार आएगा। कृषि विभाग ने यह प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट की बैठक के लिए आगे बढ़ा दिया है। इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने में अभी कम से कम एक महीना लगेगा। बाजार समितियों से एसडीओ को मुक्त करते हुए सरकार इसकी आमदनी बढ़ाने और उस राशि का उपयोग परिसंपत्तियों की देखभाल एवं सुदृढ़ीकरण के लिए करना चाहती है।

भारत सरकार की ओर से जारी मॉडल एक्ट 2017 में भी एक से दो फीसद तक बाजार शुल्क वसूली का प्रावधान किया गया है। झारखंड राज्य विपणन पर्षद एवं इसके अधीन बाजार समितियों के पास 413 एकड़ भूमि एवं व्यापक आधारभूत संरचनाएं उपलब्ध हैं। कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार प्रस्ताव तैयार कर विभागीय मंत्री की सहमति प्राप्त कर ली गई है। इसके बाद कैबिनेट, विधि और वित्त विभाग में प्रस्ताव को समीक्षा के लिए भेजा गया है। दोनों विभागों से जो सुझाव मिलेंगे, उसे भी कृषि विभाग अपने प्रस्ताव में शामिल कर सकता है।

झारखंड में पहले भी बाजार शुल्क वसूलने की व्यवस्था रही है। अप्रैल 2015 में तत्कालीन सरकार ने इसे खत्म करते हुए बाजार शुल्क वसूली को बंद कर दिया था। इसके पूर्व बाजार समितियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद प्रशासनिक निगरानी के लिए एसडीओ को अहम जिम्मेदारी दी गई थी। इस संदर्भ में पिछले दिनों कृषि मंत्री बादल की अध्यक्षता में मार्केटिंग बोर्ड की बैठक में चर्चा भी हुई थी। उसी बैठक में मंत्री ने बाजार शुल्क और इससे जुड़े विकल्पों को लेकर प्रस्ताव तैयार करने का आदेश बोर्ड के अधिकारियों को दिया था।

हालांकि इसे बंद करने के पूर्व व्यापारियों के उस तर्क को सही माना गया था, जिसके अनुसार इस शुल्क के कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा था। मालूम हो कि कृषि बाजार अधिनियम के तहत यह शुल्क लगाए जाने का प्रविधान है। सरकार ने प्रस्ताव में यह सुनिश्चित करने की बात कही है। बाजार शुल्क से होने वाली आमद किसान के हित में व्यय की जाती है।


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