34वां राष्ट्रीय खेल घोटाला: आरके आनंद व बंधु तिर्की पर चलेगा मुकदमा, सरकार ने दी स्वीकृति
Jharkhand. 28.34 करोड़ रुपये के इस घोटाले का अनुसंधान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कर रहा है। एसीबी ने सरकार से अभियोजन चलाने की अनुमति मांगी थी।
रांची, राज्य ब्यूरो। बहुचर्चित 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले में फंसे राष्ट्रीय खेल आयोजन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष आरके आनंद व राज्य के पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रदेश सरकार ने स्वीकृति दे दी है। इस घोटाले की जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को जब दोनों के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य मिले, तो उनपर चार्जशीट करने व अभियोजन चलाने के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी। यह सरकार के स्तर पर लंबित थी, जिसे अब स्वीकृति मिली है। अब एसीबी अदालत जाएगी, ताकि दोनों के विरुद्ध अभियोजन प्रक्रिया शुरू की जा सके।
28.34 करोड़ का है राष्ट्रीय खेल घोटाला
34वें राष्ट्रीय खेल के दौरान हुआ यह घोटाला 28.34 करोड़ रुपये का है। इसमें जरूरत से अधिक खेल सामग्री खरीदी गई थी। इसके साथ ही, सामग्री अधिक मूल्य पर भी खरीदी गई थी। खेल सामग्री खरीद के लिए निविदा समिति बनी थी। इसमें राष्ट्रीय खेल आयोजन समिति (एनजीओसी) के महासचिव एसएम हाशमी और कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक थे। वहीं, निदेशक पीसी मिश्रा थे। इस घोटाले में तीनों के विरुद्ध एसीबी पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। फिलहाल, सभी जमानत पर हैं।
आरके आनंद पर यह है आरोप
आरके आनंद एनजीओसी के कार्यकारी अध्यक्ष थे। उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था। खेल की तैयारी और इसके आयोजन के दौरान उन्हें अक्सर रांची आना पड़ता था। उन्हें राजकीय अतिथिशाला में ठहरने की व्यवस्था थी। सरकार ने ही परिवहन व सुरक्षा की व्यवस्था की थी। इसके बावजूद आरके आनंद राजकीय अतिथिशाला में नहीं ठहरते थे। वे एक होटल में कई बार ठहरे, जिस पर 9.81 लाख रुपये खर्च हुए।
इस राशि का भुगतान एनजीओसी ने किया। जांच रिपोर्ट में इसे सरकारी नियमों का उल्लंघन बताया गया। खेल घोटाले की जांच जब निगरानी को दी गई, तब आनंद के एक होटल में ठहरने से जुड़े कागजात भी उसके हाथ लगे थे। चार साल तक मामले की छानबीन की गई थी।
पूर्व मंत्री बंधु तिर्की पर आरोप
झारखंड सरकार के पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की पर आरोप है कि उन्होंने धनबाद में दो स्क्वैश कोर्ट के निर्माण में वित्तीय अनियमितता की। स्क्वैश कोर्ट के निर्माण की जिम्मेदारी मुंबई की एक कंपनी जाइरेक्स इंटरप्राइजेज को दी गई थी। कंपनी ने 1,44,32,850 रुपये का एस्टीमेट दिया था। इस प्रस्ताव पर आयोजन समिति के महासचिव एसएम हाशमी और तत्कालीन खेल निदेशक तथा सचिव की अनुशंसा के बाद फाइल तत्कालीन विभागीय मंत्री (खेल मंत्री) बंधु तिर्की के पास भेजी गई थी।
इस फाइल पर तत्कालीन मंत्री बंधु तिर्की ने नीतिगत निर्णय लेते हुए 20 अक्टूबर 2008 को इसे अनुमोदित कर दिया था। इसमें कंपनी को अग्रिम 50 लाख रुपये दिए गए थे, लेकिन बाद में बिना स्वीकृति के भुगतान के कारण वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हुई थी।
वर्ष 2010 में एसीबी ने दर्ज की थी प्राथमिकी
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले में निगरानी थाना कांड संख्या 49/2010 दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया था। इसमें आरके आनंद, बंधु तिर्की सहित कई आरोपित किए गए थे। आरोपितों पर राष्ट्रीय खेलों से संबंधित तैयारियों, समारोह के आयोजन व वस्तुओं के क्रय में अनियमितता की पुष्टि हुई थी। इस कांड में अप्राथमिक अभियुक्त सुविमल मुखोपाध्याय, एचएल दास, प्रेम कुमार चौधरी, शुकदेव सुबोध गांधी व अजीत जोइस लकड़ा के विरुद्ध भी आरोप पत्र समर्पित करने व अभियोजन चलाने के लिए संबंधित सक्षम प्राधिकारों से अभियोजन स्वीकृति मांगी जा चुकी है।
एसीबी ने इस कांड का अनुसंधान जारी रखते हुए प्राथमिकी अभियुक्त प्रकाश चंद्र मिश्र व सैयद मतलूब हाशमी के विरुद्ध 09 जनवरी 2015 को आरोप पत्र दाखिल किया था। वहीं, प्राथमिकी अभियुक्त मधुकांत पाठक के विरुद्ध 16 अप्रैल 2018 को आरोप पत्र दाखिल हुआ था।