New Guideline For Unlock 1: मॉल, रेस्टोरेंट, धार्मिक स्थल व ऑफिस के लिए नई गाइडलाइन, जानें क्या है नया नियम
राज्य से बाहर निकलने के लिए अब पास जरूरी नहीं होगी जबकि दूसरे राज्यों से आने के लिए ई-इंट्री पास की जरूरत पड़ेगी। कंटेनमेंट जोन के बाहर मूवमेंट के लिए सरकार ने आदेश जारी किया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। अब राज्य में कंटेनमेंट जोन के बाहर कार-टैक्सी से कहीं भी आने-जाने के लिए पास की जरूरत नहीं होगी। इस संदर्भ में परिवहन सचिव ने गुरुवार को आदेश जारी कर दिया है। हालांकि दूसरे राज्यों से प्रवेश के लिए ई-एंट्री पास की दरकार होगी। सरकार ने पूर्व की तरह यात्रियों की संख्या को सीमित रखने का निर्देश दिया है और 65 वर्ष से अधिक के बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं व 10 साल से छोटे बच्चों को अनावश्यक यात्रा नहीं करने की सलाह भी दी है।
गुरुवार को जारी आदेश के साथ ही पूर्व के निर्देश स्वत: समाप्त हो गए हैं। इस आदेश के बाद राज्य में कहीं भी आने-जाने और राज्य से बाहर निकलने के लिए किसी प्रकार के पास की जरूरत नहीं होगी। दूसरी ओर, राज्य में प्रवेश पर सख्ती बरकरार रखी गई है। ऐसे लोगों को ई-एंट्री पास लेकर आना होगा। इसके अलावा पूर्व की तरह वाहनों में लोगों की संख्या को सीमित रखा गया है।
पांच सीटर वाहनों में ड्राइवर के अलावा दो लोग और 6-7 सीटर कारों में ड्राइवर के अलावा तीन लोगों को परिवहन की अनुमति दी जाएगी। मास्क लगाने, वाहनो को सैनिटाइज करने और अन्य नियम जो पहले निर्धारित किए गए थे वे अभी भी जारी रहेंगे। ई-रिक्शा और ऑटो को लेकर एक जून को जारी आदेश फिलहाल जारी रहेंगे।
कपड़ा और जूता दुकान खोलने के आदेश पर सरकार करेगी पुनर्विचार
लॉकडाउन को लेकर राहत के बावजूद कपड़ा व जूता दुकानें नहीं खोलने के आदेश पर सरकार पुनर्विचार कर सकती है। गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बाबत संकेत दिए। व्यवसायियों की मांग को लेकर मिलने आए प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक डा. इरफान अंसारी को उन्होंने कहा कि कपड़ा व जूता व्यापारी अपनी बात रखें लेकिन इन मसलों पर आंदोलन ठीक नहीं है।
विधायक ने बताया कि ज्यादातर दुकानें खोलने का आदेश दिया गया है। राज्य सरकार को कपड़ा व जूता दुकानदारों के संबंध में भी सकारात्मक निर्णय करना चाहिए। अन्य व्यापारियों को इसमें छूट दी गई है जबकि महीनों से दुकानें बंद रहने के कारण कपड़ा व जूता व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों की स्थिति खराब है। छोटे व्यापारी भुखमरी की कगार पर हैैं। उन्हेंं परिवार के खर्च के साथ-साथ स्टाफ पेमेंट, बिजली बिल और बैंक का ब्याज भी देना पड़ रहा है।
लगभग 75 दिनों से दुकानों के बंद रहने के कारण महाजन भी अपने बकाया रकम के लिए दबाव बना रहा है। विधायक ने कहा जिस प्रकार पड़ोसी राज्य बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ के सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को खोलने का आदेश दिया गया है ठीक उसी प्रकार झारखंड में भी सरकार को इस मामले को संज्ञान में लेना चाहिए। इससे व्यापारी वर्ग में सरकार के प्रति अच्छा संदेश जाएगा। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि वे जल्द ही सकारात्मक निर्णय करेंगे।