झारखंड में अब सरकार की सलाह से होगी कुलपतियों की नियुक्ति
University. राज्य में पहली बार वीसी, प्रो वीसी की नियुक्ति में स्पष्ट प्रावधान किया गया है। इससे नियुक्ति में राजभवन और सरकार के बीच टकराव नहीं होगा।
रांची, नीरज अम्बष्ठ। राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा प्रति कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल सह कुलाधिपति द्वारा सर्च कमेटी से अनुशंसित पैनल से राज्य सरकार के परामर्श के बाद की जाएगी। राज्य सरकार पहली बार कुलपति तथा प्रतिकुलपति की नियुक्ति के लिए स्पष्ट प्रावधान कर रही है ताकि राजभवन और सरकार के बीच किसी तरह का टकराव न हो। राज्य सरकार इसके लिए झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन कर रही है। विधानसभा से पारित होने के बाद यह संशोधन विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया है।
राज्यपाल सह कुलाधिपति तीन सदस्यीय सर्च कमेटी द्वारा अनुशंसित नामों के पैनल (तीन से पांच नाम) में से राज्य सरकार के परामर्श से कुलपति की नियुक्ति करेंगे। यह पैनल एक वर्ष के लिए वैध होगा। एक वर्ष के भीतर कुलपति की मृत्यु, त्यागपत्र अथवा हटाए जाने पर राज्यपाल इस पैनल से ही राज्य सरकार के परामर्श के बाद कुलपति की नियुक्ति करेंगे।
संशोधन विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि सामान्यत: कुलपति का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। कुलपति के पद पर नियुक्ति के लिए अधिकतम आयु 65 वर्ष निर्धारित की गई है। कार्यकाल की समाप्ति के बाद राज्यपाल द्वारा राज्य सरकार के परामर्श पर अधिकतम तीन वर्ष या 70 वर्ष की आयु जो पहले हो के लिए फिर से नियुक्ति की जा सकेगी। प्रति कुलपति की नियुक्ति में वही प्रक्रिया अपनाई जाएगी जो कुलपति की नियुक्ति में अपनाई जाती है।
सिंडिकेट के आजीवन सदस्य बनने के लिए देने होंगे दस लाख : राज्यपाल की संतुष्टि के अनुसार कोई व्यक्ति दस लाख रुपये नगद अथवा समकक्ष मूल्य की संपत्ति विवि अथवा किसी कालेज को दी है वह ही विश्वविद्यालय के सिंडिकेट का आजीवन सदस्य बन सकता है। पहले यह राशि एक लाख रुपये ही निर्धारित थी।
जेपीएससी से होगी संबद्ध कालेजों के शिक्षकों की नियुक्ति : राज्य सरकार द्वारा गैर पोषित संबद्ध कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति झारखंड लोक सेवा आयोग की अनुशंसा पर शासी निकाय द्वारा की जाएगी। ऐसे कालेजों में शिक्षकों की सेवा मुक्ति या पदावनति शासी निकाय द्वारा जेपीएससी के परामर्श से किया जाएगा। शिक्षकों के निलंबन, वेतन वृद्धि पर रोक व अन्य जेपीएससी की परामर्श की आवश्यकता नहीं होगी।
ये होंगे सर्च कमेटी में : राज्यपाल द्वारा नामित एक व्यक्ति कमेटी का अध्यक्ष होगा तथा उनके द्वारा नामित एक ख्यातिप्राप्त शिक्षाविद तथा राज्य सरकार द्वारा मनोनीत एक पदाधिकारी सदस्य होंगे। कमेटी के सदस्य विश्वविद्यालय या उसके कालेजों से संबद्ध नहीं होने चाहिए।
सैयद अहमद व गीताश्री उरांव के बीच हुआ था टकराव : कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर स्पष्ट प्रावधान नहीं होने के कारण ही तत्कालीन राज्यपाल डा. सैयद अहमद तथा शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव के बीच टकराव हो गया था। उस समय लंबे विवाद के बाद किसी तरह कुलपतियों की नियुक्ति हो पाई थी।