बच्चों को पालने में हैं असमर्थ तो अब सरकार उठाएगी खर्च, हर महीने मिलेंगे 2000 रुपये
Child Care. 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तीन साल तक यह सुविधा मिलेगी। ऐसे परिवार को हर माह दो हजार रुपये सरकार की ओर से सहायता राशि दी जाएगी।
रांची, मनोज कुमार सिंह। ऐसे परिवार जो अपने बच्चों के पालन-पोषण करने में असमर्थ हैं, या उनका बेहतर देखभाल नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे परिवारों के बच्चों के पालन-पोषण का खर्च राज्य सरकार उठाएगी। अधिकतम तीन साल तक प्रतिमाह दो हजार रुपये राज्य सरकार की ओर से दिए जाएंगे। इसके बाद उस परिवार के लिए ऐसी व्यवस्था की जाएगी, ताकि वो अपने परिवार व बच्चों का जीवनस्तर सुधार पाए।
सरकार की बाल प्रयोजन स्कीम के तहत बाल श्रम, मानव तस्करी सहित अन्य पीडि़त बच्चों को इसका लाभ मिलेगा। झालसा की ओर से ऐसे परिवारों को चिह्नित किया जा रहा है। इसके अलावा जिनके माता-पिता नहीं हैं या उन्हें छोड़ दिया हो। ऐसे बच्चों को पालने के लिए एक परिवार को भी गोद दिए जाने की योजना है। ऐसे बच्चों की हर तीन माह पर पालन-पोषण की स्थिति का जायजा लिया जाएगा।
पीएलवी को दें जानकारी : इसके लिए झालसा (झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी) की ओर से राज्य के सभी जिलों के विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव व पीएलवी (पारा लीगल वॉलेंटियर) को निर्देश दिया गया है कि वो अपने क्षेत्र में ऐसे परिवारों के बारे में जानकारी प्राप्त करें और इसकी सूची तैयार करें, ताकि उस परिवार के बच्चों को सरकारी सहयोग राशि दी जा सके। पीएलवी इसकी एक रिपोर्ट जिला विधिक प्राधिकार को देंगे और वहां से यह रिपोर्ट झालसा भी आएगी। दरअसल पीएलवी सरकारी योजनाओं के साथ-साथ लोगों में कानूनी जागरूकता भी फैलाते हैं। सबसे बड़ी बात है कि वो उस क्षेत्र के होने के नाते लोगों में घुलमिल जाते हैं, जिसकी वजह से परिवार की समस्या को जानने में सहायता मिलती है।
तीन बच्चों को मिलेगी सुविधा : सरकार की ओर से एक परिवार के अधिकतम तीन बच्चों को इस योजना का लाभ दिया जाएगा। समिति की ओर से परिवार का चयन होने के बाद उसे अधिकतम तीन साल तक दो हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा। लेकिन विशेष परिस्थिति में उच्चस्तरीय समिति की समीक्षा के बाद एक के लिए उक्त अवधि बढ़ाई जा सकती है। योजना का लाभ लेने वाले बच्चों की स्थिति की समीक्षा हर साल की जाएगी।
इनको मिलेगा लाभ : 18 साल से कम उम्र वाले बच्चों को इसका लाभ मिलेगा। जिनके परिवार की सालाना आय 75 हजार रुपये से ज्यादा नहीं है। जिनके माता-पिता की मृत्यु हो गई हो या फिर मां-बाप ने उसे त्याग दिया है, जो रिश्तेदारों की देखरेख में रह रहे हैं। जिनके माता-पिता गंभीर बीमारी से ग्रसित हों।