Jharkhand: हेमंत पर रघुवर का सनसनीखेज खुलासा, पत्नी कल्पना सोरेन के बारे में कह दी बड़ी बात...
Jharkhand Hemant Soren News झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने आज एक बार फिर बड़ा धमाका किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर खदान लीज लेने के दस्तावेजी सबूतों के साथ संगीन आरोप लगाने के बाद पत्नी कल्पना सोरेन को 11 एकड़ जमीन देने का खुलासा किया।
रांची, जेएनएन। Jharkhand News, Hemant Soren News झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के नाम से बिजुबाड़ा, चान्हो ब्लॉक स्थित बरहे औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ औद्योगिक भूमि आवंटित की गई है। यह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सोहराय लाइफ प्राइवेट लिमिटेड को यह औद्योगिक भूमि आवंटित कराई है। यह कंपनी उनकी पत्नी के नाम पर है। मुख्यमंत्री स्वयं उद्योग विभाग के मंत्री हैं इसीलिए उन्हें इस विषय पर सफाई देनी चाहिए। उक्त बातें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने कहीं। वे आज प्रदेश भाजपा कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह आचरण भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत दंडनीय है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को औद्योगिक क्षेत्र में रियायती दर पर भूखंड मिलेंगे। इस घोषणा का लाभ उन्होंने अपने परिवार के लिए उठाया। उन्हें राज्य के गरीब और बेरोजगार आदिवासियों की चिंता नहीं है। चिंता है तो केवल अपने परिवार की। मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद के लिए भी मुख्यमंत्री ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर खदान की लीज ली है। अभिषेक प्रसाद को शिव शक्ति इंटरप्राइजेज के नाम पर साहिबगंज के पाकरिया ग्राम में 11.70 एकड़ भूमि पर खदान की लीज 10 वर्ष के लिए दी गयी है। सरकारी कागजातों के अनुसार उस पर 90 लाख रुपये का निवेश भी दिखाया गया है।
इसी तरह मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को महाकाल स्टोन के नाम से साहेबगंज जिले के गिला मारी मौजा में खदान आवंटित की गई है। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों ने आनन-फानन में सारी स्वीक-ति भी प्रदान की है। रघुवर दास कहा कि मुख्यमंत्री अभिषेक प्रसाद और पंकज मिश्रा को तत्काल अपने पद से हटाए। भाजपा इस मामले को लेकर राज्यपाल के पास जायेगी। दास ने कहा कि कानून के प्रावधान के तहत मुख्यमंत्री स्वयं या उनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी ठेका पट्टा, लीज नहीं ले सकता। यहां भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है।
उन्होंने कहा झारखंड में अबुआ राज के नाम पर एक परिवार का शासन चल रहा है। इसका नुकसान राज्य की जनता को उठाना पड़ रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान आदिवासी भाई बहनों को हो रहा है। सरना भाई-बहनों का हक छिना जा रहा है। उनकी सरकार ने अनुसूचित जाति व जनजातियों के प्रमाण पत्र में धर्म का कॉलम जोड़ा था, ताकि सरना आदिवासियों को लाभ मिले। मिशनरी के दबाव में इस वर्ष 24 फरवरी को कैबिनेट में हेमंत सरकार ने गुपचुप तरीके से इससे धर्म का कॉलम समाप्त कर दिया। इसका सीधा नुकसान सरना भाई-बहनों को होगा। नौकरी में उनके स्थान पर धर्मांतरित आदिवासियों को इसका लाभ होगा।
सरना भाई-बहनों के साथ साजिश के तहत उनका हक मारा जा रहा है। सरना मुख्यमंत्री के रहते ऐसा होना बहुत दुखद है। सत्ता के लालच में हेमंत सोरेन ने सरना भाई-बहनों के पेट पर लात मारने का काम किया है। राज्य में लव जिहाद और धर्मांतरण के द्वारा सरना समाज को टारगेट किया जा रहा है। यही स्थिति रही तो, झारखंड का सरना समाज अल्पसंख्यक हो जायेगा। धर्मांतरित आदिवासी सरना आदिवासियों का हक मारकर दोहरा लाभ ले रहे हैं। वे अल्पसंख्यक के साथ साथ आदिवासी का लाभ भी ले रहे हैं। नौकरियों में सरना आदिवासियों के स्थान पर धर्मांतरित आदिवासी ज्यादा लाभ ले रहे हैं।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने आज एक बार फिर बड़ा धमाका किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर खदान लीज लेने के दस्तावेजी सबूतों के साथ संगीन आरोप लगाने के बाद फिर से उन पर नया सनसनीखेज खुलासा किया। इससे पहले रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा माइनिंग लीज लेने की शिकायत राज्यपाल रमेश बैस से की थी। साथ ही ऑफिस ऑफ प्रॉफिट करने और जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 का उल्लंघन करने के मामले में उन्हें बर्खास्त करने की मांग की गई थी। राज्यपाल ने इस मामले में कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए पूरे मामले की जांच का जिम्मा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। इस मामले में 15 दिनों के अंदर राज्य के मुख्य सचिव से खदान लीज संबंधी सभी दस्तावेज भारत निर्वाचन आयोग ने तलब किया है।
इधर झारखंड हाई कोर्ट में भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा ऑफिस ऑफ प्रॉफिट करने के मामले में याचिका दाखिल की गई है। जिस पर महीने के अंत तक सुनवाई होनी है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में प्रारंभिक सुनवाई करते हुए इसे गंभीर मामला बताया, साथ ही हेमंत सोरेन के नाम पर लिए गए खदान लीज के तमाम दस्तावेज कोर्ट को सौंपने का निर्देश मुख्य सचिव को दिया है।
बहरहाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में बुरी तरह घिरते दिख रहे हैं। उनके ऊपर जाने-अनजाने विधायक और मुख्यमंत्री पद गंवाने का नया संकट छा गया है। झारखंड हाईकोर्ट व चुनाव आयोग की कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं। पक्ष-विपक्ष में सीधे टकराव से राज्य का राजनीतिक तापमान काफी चढ़ गया है। लोग-बाग में तरह-तरह की चर्चाओं के बीच सियासी अटकलों का दौर चल रहा है।
इधर, मुख्य विपक्षी दल भाजपा इस पूरे मामले पर पैनी निगाह रखते हुए अपने केंद्रीय नेताओं के संपर्क में है। वहीं राजनीतिक विश्लेषक पूरे घटनाक्रम को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला और निकट भविष्य में सियासी उथलपुथल का संकेत बता रहे हैं।
जमीन सरेंडर करने की बात आ रही सामने
सोहराय लाइवस्टाक कंपनी को चान्हो के बाढ़े स्थित औद्योगिक क्षेत्र में 11.85 एकड़ भूखंड 2020-21 में आवंटित हुए थे और ये भूखंड उसी वर्ष कुछ महीनों के बाद सरेंडर कर दिए गए थे। झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (जियाडा) के रांची क्षेत्रीय कार्यालय से चार प्लाट कंपनी आवंटित किए गए थे और ये चारों प्लाट पहले से ही अनुसूचित जनजाति अथवा अनुसूचित जाति के लाभुकों के लिए आवंटित थे। सूत्रों के अनुसार भूखंडों को एससी अथवा एसटी लाभुकों को आवंटित करने के लिए दिसंबर 2020 में अधिसूचित किया गया था और इसके कुछ महीनों के अंदर ही जमीन का आवंटन कंपनी को किया गया और जल्द ही कंपनी ने यह सरेंडर कर दिया। जियाडा के रिजनल डायरेक्टर अजय कुमार के अनुसार यह प्लाट लगभग दो वर्ष पूर्व सरेंडर किया जा चुका है।