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बोले श‍िक्षा मंत्री जगरनाथ महतो- झारखंड में खतियान बने स्थानीयता का आधार, सिर्फ Tuition Fee लें स्कूल

jharkhand politics झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा साक्षरता एवं उत्पाद व मद्यनिषेध मंत्री जगरनाथ महतो ने दैन‍िक जागरण से बातचीत में कहा क‍ि एकीकृत बिहार में भी 1932 का खतियान ही था स्थानीयता का आधार। यह भी कहा क‍ि बाहरी भाषाएं थोपने का विपक्ष भी करे विरोध।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 05:00 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 05:00 AM (IST)
बोले श‍िक्षा मंत्री जगरनाथ महतो- झारखंड में खतियान बने स्थानीयता का आधार, सिर्फ Tuition Fee लें स्कूल
दैन‍िक जागरण से बातचीत करते श‍िक्षा मंत्री जगरनाथ महतो। जागरण

रांची, (प्रदीप स‍िंंह)। समर्थकों के बीच वे 'टाइगर' उपनाम से लोकप्रिय हैं। झारखंड के जमीनी मुद्दे और मसलों की जगरनाथ महतो गहरी समझ रखते हैं। कोरोना की पहली लहर में सक्रियता के कारण वे इस कदर बीमार हुए कि फेफड़े का प्रत्यारोपण कराना पड़ा। तबीयत ठीक होने के बाद उनकी सक्रियता पूर्व की भांति है। उन्होंने वर्षों से राज्य में चल रहे पारा शिक्षकों के आंदोलन के मद्देनजर उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने में कामयाबी हासिल की। पृथक झारखंड आंदोलन से जुड़े रहने की वजह से पूर्व में उन्हें कई दफा विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। वे राज्य से जुड़े सवालों पर पूरी मजबूती से अपना पक्ष रखते हैं और काम को बेहतर बनाने के लिए सुझाव भी मांगते हैं। उनका कहना है कि समेकित प्रयास से ही प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया जा सकता है।

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कोरोना काल में पठन-पाठन प्रभावित हुआ। आपने निजी विद्यालयों को निर्देशित किया था कि वे वार्षिक शुल्क, कंप्यूटर वर्ग आदि का शुल्क नहीं लें। निजी विद्यालयों ने इसका किस स्तर तक पालन किया?

देखिए, निजी विद्यालय सीधे हमारे नियंत्रण में नहीं हैं। हमने इस दिशा में काम आरंभ किया है और इसका परिणाम आपको जल्द दिखेगा। निजी विद्यालयों में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों की समस्याओं का निराकरण करेंगे। शिक्षा न्यायाधिकरण के गठन की फाइल आगे बढ़ी है। उसको पूरी तरह क्रियान्वित करेंगे। शिक्षण संस्था में राजनीति भी ठीक नहीं है, लेकिन जब उन्होंने छात्र-छात्राओं को पढ़ाया नहीं है तो फीस नहीं लें। सिर्फ ट््यूशन फीस लें। वार्षिक और अन्य फीस लेना ठीक नहीं है। शिक्षा न्यायाधिकरण इस दिशा में निर्णय लेने में भी सक्षम होगा।

डीवीसी की बिजली कटौती से लोग परेशान हैं। आप डीवीसी पर देशद्रोह का मुकदमा करने की मांग किस आधार पर कर रहे हैं?

डीवीसी का बकाया राज्य सरकार के पास है, लेकिन बिजली काटकर आम जनता को तंग करना कितना सही है, यह आप बताईए। क्या जनता को तंग करने से पैसा मिल जाएगा? डीवीसी आमलोगों को तंग कर रहा है। उसपर देशद्रोह का केस होना चाहिए। जनता की बिजली काटने से क्या मिलेगा? हमने ऊर्जा विभाग के सेक्रेट्री को बुलाया था। डीवीसी के चेयरमैन को बुलाने को कहा है। इसका समाधान करने की दिशा में प्रयास करने का निर्देश दिया है। बिजली जनता के सहूलियत की चीज है भाई। बंदी और हड़ताल में भी पानी, बिजली, स्वास्थ्य सुविधा को मुक्त रखा जाता है।

आप बोकारो-धनबाद में जिला स्तर पर होने वाली नियुक्तियों में बतौर भाषा भोजपुरी, मगही आदि को शामिल करने का विरोध कर रहे हैं। इसकी क्या वजह है?

देखिए, हमने मुख्यमंत्री महोदय से निवेदन किया है। ये भोजपुरी और मगही तो बिहार की भाषा है। बिहार में भी इसको बहालियों में भाषा का दर्जा नहीं मिला है तो यहां क्यों होना चाहिए? पहले हम बिहार में ही थे। राज्य अलग हो गया तो यह यहां के लिए लोगों के लिए अलग हुआ। क्षेत्र के लोगों को परेशानी हो रही है तो इसपर मुख्यमंत्री पुनर्विचार करें। बोकारो में तो पांच विधायक हैं। दो भाजपा के, एक कांग्रेस और एक आजसू से हैं। सिर्फ अकेले मैं ही इसके बारे में कह रहा हूं। इन लोगों ने तो एक बार भी इस मुद्दे को सदन में नहीं रखा। वे विधायक हैं तो उनका भी दायित्व है कि लोगों की भावनाओं को सरकार के समक्ष रखें। रघुवर सरकार में भी इसे शामिल कर लिया गया था। विपक्ष को भी लगता है कि यह गलत है तो उसके नेता विरोध करें। हम भी सहयोग करेंगे। अगर इसपर कभी कैबिनेट के भीतर बात होगी तो हम अपना पक्ष रखेंगे।

इसी से जुड़ा एक मुद्दा स्थानीय और नियोजन नीति का भी है। इसका आधार क्या होना चाहिए। 1932 के खतियान को आधार बनाए जाने का पक्षधर आपका संगठन रहा है।

1932 के खतियान को ही स्थानीय व नियोजन नीति का आधार बनाना चाहिए। मेरा इसपर स्पष्ट मत है। एकीकृत बिहार में भी 1932 का खतियान ही आधार था। देखिए, अभी भी बिहार में निकलने वाली परीक्षाओं में केवल वहां के लोगों को मौका दिया जाता था, लेकिन झारखंड में सभी राज्यों के लोग आ जाते हैं। हम तो बिहार से ही अलग हुए, वह बड़ा भाई, हम छोटा भाई। इसका समाधान निकलना चाहिए।

पारा शिक्षकों की समस्याओं का समाधान आपने किया। इसे लेकर किस स्तर तक प्रयास करना पड़ा।

पारा शिक्षकों की पुरानी मांग थी और जब मैं विपक्ष में था तो भी उनके साथ खड़ा रहता था। वे साल में आठ महीने आंदोलन करते थे। पढ़ाई-लिखाई बाधित रहती थी। हमने शिक्षक संघों, सरकार और अधिकारियों को साथ बिठाया। सभी पक्ष का सहयोग मिला। मीडिया के साथियों से भी इस संबंध में सुझाव लिए कि कैसे पारा शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करने में सफलता मिलेगी। आखिरकार सबके सहयोग से हमें बेहतर परिणाम मिला।

आप उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग के भी मंत्री हैं। उत्पाद नीति में परिवर्तन कर छत्तीसगढ़ माडल को अंगीकार करने से क्या फायदा होगा?

अभी तक नई नीति को अंगीकार नहीं किया गया है। परामर्शी नियुक्त करने की प्रक्रिया चल रही है। परामर्शी बताएंगे कि इससे राज्य को फायदा होगा या नहीं। राज्य हित में ही सरकार सारे फैसले लेती है।

राज्य में महागठबंधन की सरकार में कांग्रेस और राजद भी है। तालमेल को लेकर आप क्या कहेंगे?

महागठबंधन को लेकर ज्यादा कुछ नहीं बोलेंगे, लेकिन साथी मंत्रियों का पूर्ण सहयोग मिलता है। पारा शिक्षकों की फाइल पर रात 12 बजे वित्त मंत्री जी ने हस्ताक्षर किया और मुझे फोन कर सूचित भी किया। ऐसे में सहयोग और तालमेल के स्तर पर किसी प्रकार की परेशानी नहीं है।


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