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कोयला माफिया को मदद करने के मामले में डेढ़ साल बाद भी DSP प्राण रंजन ने नहीं दिया जवाब

कोयला माफिया को सहयोग करने और अनुसंधान को दिग्भ्रमित कर केस को कमजोर करने के मामले में अब गृह विभाग ने फिर से रिमाइंडर भेजा है विभाग अब तक कई रिमाइंडर दे चुका है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 05:56 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 03:56 PM (IST)
कोयला माफिया को मदद करने के मामले में डेढ़ साल बाद भी DSP प्राण रंजन ने नहीं दिया जवाब
कोयला माफिया को मदद करने के मामले में डेढ़ साल बाद भी DSP प्राण रंजन ने नहीं दिया जवाब

रांची, राज्य ब्यूरो। रामगढ़ जिले के गोला के पूर्व थानेदार (वर्तमान में गुमला के डीएसपी मुख्यालय) प्राण रंजन ने डेढ़ साल के बाद भी गृह विभाग को स्पष्टीकरण का जवाब नहीं दिया। गृह विभाग ने विभागीय कार्रवाई के पूर्व डीएसपी से उनका पक्ष मांगा था, ताकि उसकी समीक्षा की जा सके। गृह विभाग वर्ष 2018 से कई बार स्पष्टीकरण के लिए रिमाइंडर भेज चुका है, लेकिन प्राण रंजन ने किसी भी रिमाइंडर का जवाब नहीं दिया। डीएसपी प्राण रंजन कुमार पर गोला (रामगढ़) थानेदार रहते हुए कोयला माफिया को सहयोग करने, अनुसंधान को दिग्भ्रमित करने, केस को कमजोर करने का आरोप है। तत्कालीन आइजी की रिपोर्ट पर पुलिस मुख्यालय ने डीएसपी प्राण रंजन के खिलाफ गृह विभाग से विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की थी।  

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वर्ष 2008 में रामगढ़ के गोला थाने में दर्ज हुआ था मामला

रामगढ़ के गोला थाने में 25 फरवरी 2008 को दारोगा मानसिद्ध तिर्की के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसमें 15 आरोपितों किए गए थे। उनपर बरलंगा स्टेशन से गुजरने वाली मालवाहक ट्रेनों से गरीब मजदूरों को प्रलोभन देकर कोयला उतरवाकर कोयले को ट्रैक्टर व साईकिल से ढुलवाकर गोला थाना क्षेत्र से सटे झालदा थाना क्षेत्र के डाकागढ़ा में जमा करने व तस्करी करने का आरोप था। पुलिस ने इस तस्करी को पकड़ा था। इसके बाद गोला थाने में बोलू थानेदार, अनूप थानेदार, अरुण साव, भोको साव, भोला नायक, नारायण सिंह, किसुन सिंह, संतोष सिंह, पांडु सिंह, गोधू महतो, संजय अग्रवाल, अनिल गोयल, समीर उर्फ मुन्ना खां व नरेश गोसाईं तथा अन्य पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। 

जिनका आपराधिक इतिहास था, उन्हें असत्यापित दिखा दिया था अनुसंधानकर्ता ने

उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्र बोकारो के आइजी ने समीक्षा के दौरान पाया था कि कांड के अनुसंधानकर्ता गोला थाने के तत्कालीन थानेदार प्राण रंजन कुमार थे। उन्होंने प्राथमिकी अभियुक्त गोधू महतो, संजय अग्रवाल, अनिल गोयल, समीर उर्फ मुन्ना व नरेश गोसाईं को असत्यापित दिखाते हुए तथा 10 अन्य प्राथमिकी अभियुक्तों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल कर दिया था। आइजी ने पाया था कि जिन पांच अभियुक्तों को पुलिस ने असत्यापित दिखाया गया था, उनका अपराधिक इतिहास पाया गया था।

ये बड़े कोयला माफिया हैं, जिसपर रामगढ़ जिले के ही गोला थाने में कई कांड दर्ज थे। इसके अलावा धनबाद व बोकारो जिले के कई कोयला तस्करी में ये चार्जशीटेड हैं। इसके बावजूद अनुसंधानकर्ता प्राण रंजन कुमार ने न तो इनका सत्यापन किया और न हीं केस डायरी में आपराधिक इतिहास ही दर्ज किया। आइजी ने लिखा था कि प्राणरंजन ने लापरवाही बरती है, इसलिए उनपर विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया जाता है।


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