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Jharkhand Cricket: धौनी के शहर में क्रिकेट का बुरा हाल, अंतर स्कूल के बदले अंतर अकादमी टूर्नामेंट

Jharkhand Cricket रांची जिला अंतर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट के अंडर 14 टूर्नामेंट में 55 टीमें भाग ले रही है। इसमें 12 टीमें स्कूल की जबकि 43 अकादमी की टीमें शामिल हैैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 11:14 AM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 11:21 AM (IST)
Jharkhand Cricket: धौनी के शहर में क्रिकेट का बुरा हाल, अंतर स्कूल के बदले अंतर अकादमी टूर्नामेंट
Jharkhand Cricket: धौनी के शहर में क्रिकेट का बुरा हाल, अंतर स्कूल के बदले अंतर अकादमी टूर्नामेंट

रांची, संजीव रंजन। Jharkhand Cricket भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने 2016 में जेएससीए स्टेडियम में रांची जिला क्रिकेट संघ के पुरस्कार वितरण समारोह में कहा था कि क्रिकेट को आगे बढ़ाना है तो इसे स्कूल स्तर से बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा था कि स्कूल स्तर से ही अच्छे खिलाड़ी तैयार हो सकते हैं। लेकिन रांची जिला क्रिकेट संघ (आरडीसीए) शायद अलग ही कहानी तैयार करने पर लगा हुआ है। यही कारण है कि पिछले तीन साल की तरह इस बार भी अंडर-14 अंतर स्कूल टूर्नामेंट में 55 टीमों में मात्र 12 स्कूल की टीमें हैं। पिछली बार आरडीसीए के इस निर्णय के कारण महेंद्र सिंह धौनी का स्कूल (जवाहर विद्या मंदिर) ने टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया था। हालांकि इस बार आरडीसीए के पदाधिकारियों द्वारा उनकी कंफ्यूजन को दूर करने का प्रयास किया गया और जेवीएम की टीम इस टूर्नामेंट में भाग ले रही है। लेकिन कई स्कूल की टीमें आज भी आरडीसीए के इस गलत निर्णय के कारण टूर्नामेंट में भाग नहीं रही है।

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सूत्रों के अनुसार स्कूल प्रबंधकों का मानना है कि अंडर-14 ग्र्रुप में अकादमी को डालना कहीं से उचित नहीं है। अकादमी में अधिक उम्र के बच्चे भी कम उम्र बताकर खेल लेते हैं जबकि स्कूल में सही उम्र के बच्चे ही खेल पाते हैं। ऐसे में टीमों का मुकाबला सही नहीं हो पाता है। स्कूलों का मानना है कि जब बच्चों को ही सही एक्सपोजर नहीं मिल पाएगा तो खेलने से क्या फायदा।

पिछले तीन साल से अंतर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट के अंडर-14 में अकादमी टीमों की इंट्री दी जा रही है। सात साल पूर्व इस वर्ग में 40 स्कूलों की टीमें नियमित रूप से भाग लेती थीं और मैच भी शहर के विभिन्न मैदानों में होते थे। लेकिन आज स्थिति उलट गई है। स्कूलों की संख्या घट गई है और मैच धुर्वा में ही सिमट कर रह गया है।

ओवरएज की समस्या

अकादमी के खिलाड़ी ओवरएज भी पाए जाते हैं। सूत्रों की मानें तो अकादमी के खिलाड़ी उम्र को कम या अधिक करा कर इंट्री ले लेते हैं जबकि स्कूल में ऐसी गुंजाइश नहीं होती है। परिणाम यह होता है कि मैच एकतरफा हो जाता है।

आरडीसीए के पदाधिकारियों ने स्कूल के प्राचार्यों ने टूर्नामेंट शुरू होने से पूर्व विभिन्न स्कूलों के प्राचार्यों से भेंट कर टीम को भेजने का आग्र्रह किया था। लेकिन यह प्रयास रंग नहीं लाया और स्कूलों की संख्या कम रही।

ओवरएज को खेलने से रोकने के लिए बनाया नियम

हालांकि रांची जिला क्रिकेट संघ ने ओवरएज के खिलाडिय़ों को खेलने से रोकने के लिए नियम बना रखा है। इस नियम के तहत किसी खिलाड़ी का अंक 120 ( वजन व लंबाई जोड़ कर) से अधिक होता है वह इस टूर्नामेंट में नहीं खेलेगा। अंपायर को यह अधिकार दिया गया है कि जिस खिलाड़ी पर शक हो उसका वजन व लंबाई को तत्काल माप कर बाहर कर सकता है और टीम पर कार्रवाई कर सकता है।

अंतर स्कूल में अकादमी की टीमों को डालना मजबूरी थी। कम स्कूल होने के कारण उन्हें रखा गया है। फिर भी स्कूल का अलग ग्र्रुप बनाया गया है। अगले वर्ष से अकादमी के लिए अलग से टूर्नामेंट आयोजित करने पर विचार किया जाएगा।-सुनील पाल, सह सचिव, रांची जिला क्रिकेट संघ


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