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हंगामा है क्‍यूं बरपा...इनके इस्‍तीफे की कम, इस्‍तीफे की चिट्ठी की ज्‍यादा हो रही चर्चा; पढ़ें पूरी चिट्ठी

झारखंड में कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष डॉ अजय कुमार के इस्‍तीफे से कांग्रेस कठघरे में खड़ी है। उन्‍होंने अपराधियों को वरिष्‍ठ नेताओं और सहयोगियों से बेहतर बताकर तूफान ला दिया है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 11:17 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 11:17 AM (IST)
हंगामा है क्‍यूं बरपा...इनके इस्‍तीफे की कम, इस्‍तीफे की चिट्ठी की ज्‍यादा हो रही चर्चा; पढ़ें पूरी चिट्ठी
हंगामा है क्‍यूं बरपा...इनके इस्‍तीफे की कम, इस्‍तीफे की चिट्ठी की ज्‍यादा हो रही चर्चा; पढ़ें पूरी चिट्ठी

रांची, [जागरण स्‍पेशल]। झारखंड कांग्रेस आपसी कलह में इस कदर उलझी है कि उसका एजेंडा नेता-कार्यकर्ता तक को नहीं पता चल पा रहा। विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच जहां कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष डॉ अजय कुमार ने इस्‍तीफा दे दिया है। वहीं उनके इस्‍तीफे की चिट्ठी की चर्चा देशभर में हो रही है। जिस तरह उन्‍होंने अपनी चिट्ठी में वरिष्‍ठ नेताओं की बखिया उधेड़ी हैं, वह बीते तीन दिनों से मीडिया की सुर्खियों में है। इस चिट्ठी में डॉ अजय ने अपराधियों को झारखंड के नेताओं से बेहतर बताया है।

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डॉ अजय कुमार ने अपनी चिट्ठी में क्‍या कुछ लिखा है, यहां पढ़ें...

प्रिय श्री राहुल जी
विषयः झारखंड प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफे का पत्र
पिछले डेढ़ सालों से, मैं झारखंड में काग्रेस पार्टी को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए अथक प्रयास कर रहा हूं। मेरा काम, जैसा कि आपके द्वारा सौंपा गया था, ब्लॉक से लेकर राज्य तक सभी स्तरों पर एक मजबूत संगठनात्मक ढांचा तैयार करना था। हालांकि, मेरे सर्वोत्तम और ईमानदार प्रयासों के बावजूद , झारखंड में कांग्रेस पार्टी को सुधारने की दिशा में मेरे सभी प्रयास, चंद लोगों के निहित स्वार्थों के कारण अवरूद्ध होते रहे। पार्टी के प्रवक्ता के समय से ही, मेंने कांग्रेस पार्टी को आगे ले जाने के लिए अपना दिल और आत्मा पार्टी में लगाने की कोशिश की है।

जब मैंने झारखंड में पार्टी की कमान संभालने की जिम्मेदारी ली तो मैंने जो पहला लक्ष्य रखा था वह पार्टी को व्यक्तिवाद, क्षुद्र लक्ष्य और स्वार्थी मानसिकता से बाहर निकालकर एक एकीकृत और जिम्मेदार संगठन की तरफ ले जाना था। पहले-पहल यह देखा गया कि अधिकांश कार्यकर्ता बजाय पार्टी के वफादार होने के केवल अपने संबंधित नेताओं के प्रति वफादार थे और ऐसे में मैंने पार्टी का जमीनी स्तर से पुनर्निर्माण करने का दृढसंकल्प लिया और मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि इस संबंध में हम सफल रहे हैं और पंचायत और ब्लॉक के स्तर पर पार्टी को मजबूत किया है। जमीनी ताकत की यह स्थिति पहले दूर - दूर तक मौजूद नहीं थी ।

पिछले 16 महीनों में, मैंने व्यक्तिगत रूप से हर जिले के प्रत्येक ब्लाक का दौरा किया है और कम सीटों पर लड़ने के बावजूद हमारा वोट शेयर काफी बढ़ गया है। इसी तरह, 33 विभाग जो केवल कुछ महीने पहले तक महज कागज पर मौजूद थे, वो अब पूरी तरह कार्यात्मक हैं और असाधारण काम कर रहे हैं। यदि आप जमीन पर वास्तविक कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच एक सर्वेक्षण करते हैं, तो मुझे विश्वास है कि हम जो हासिल कर पाए हैं, उसकी वास्तविकता आपके लिए स्पष्ट होगी। यही कारण है कि, 2019 के लोकसभा चुनावों में, खूंटी को मात्र 1000 मतों से और लोहरदगा को 7000 मतों से हारना मेरे लिए अत्यंत हृदय विदारक था।

मेरी राय में लोकसभा चुनावों में झारखंड की 6 कांग्रेस सीटें एक अत्यंत वास्तविक संभावना थी, यदि केवल हमारे नेताओं ने पार्टी के हित को निजी हित के ऊपर रखा होता। दुर्भाग्य से, जैसा कि मैं अब बहुत स्पष्ट रूप से देख रहा हूं , हमारी पार्टी के कुछ नेता यथा सुबोधकांत सहाय, रामेश्वर उरांव, प्रदीप बलमुचु, चंद्रशेखर दुबे, फुरकान अंसारी और कई अन्य वरिष्ठ नेता केवल राजनीतिक पदों को हथियाने में लगे हैं तथा क्षुद्र व्यक्तिगत लाभ के लिए पार्टी हित को ताक पर रखने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं ।

इन अवरोधों के बावजूद और 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 'तथाकथित नेताओं' के सहयोग के बगैर भी 2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में कांग्रेस पार्टी के वोट शेयर में 12% का उछाल था। चूंकि मुझे लक्ष्य से डिगाना इतना आसान नहीं है इसलिए मैंने अबतक उन सभी अपमानों और बाधाओं को नजरअंदाज किया है। पर मेरे धैर्य की कठिन परीक्षा का पल तब आया जब मेरे ही पार्टी के सदस्यों ने मुझ पर पार्टी कार्यालय में हमला करने के लिए गुंडों को काम पर रखा।

सुबोधकांत सहाय जैसे तथाकथित कद्दावर नेता का प्रदेश पार्टी मुख्यालय में किन्नरों से उत्पात मचाने के लिए प्रोत्साहित करना, एक बेहद स्तरहीन और घटिया हरकत थी। इस समस्या की जड़ें बेहद गहरी है। पिछले कुछ महीनों में, मुझे कई मोर्चों पर हस्तक्षेप का सामना करना पड़ा है। चाहे वह गठबंधन का मुद्दा हो, कांग्रेस कार्यकर्ताओं के संबंध में दोहरे मापदंड का हो, पीसीसी के गठन के न होने का हो या फिर बेईमान लोगों को पदों पर रखने के लिए गैर वाजिब प्रयास हो। इसने मुझे इस दुर्भाग्यपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचा दिया है कि मैं जो भी प्रयास करता हूं वह इन भद्दे और शरारती तत्वों द्वारा दुष्प्रभावी कर दिया जाता है।

राज्य के चंद नेता पैसे की ताकत पर लोगों को दिल्ली ले जाते हैं और राज्य में पार्टी के बारे में झूठी कहानी बनाने के एकमात्र उद्देश्य के साथ उन्हें होटलों में ठहराते हैं। विडंबना यह है कि ये तथाकथित वरिष्ठ नेता इस तरह की गतिविधियों पर तो पैसा खर्च करने को तैयार हैं, पर उनमें से एक भी 5000 रुपये प्रति माह पार्टी हित में योगदान करने को तैयार नहीं हैं। किसी भी राजनीतिक दल का उद्देश्य उन मुद्दों को उठाना और उनके लिए लड़ना है जो लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। मैंने कभी भी व्यक्तिगत लाभ को प्राथमिकता नहीं दी और इसलिए मैं 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान जमशेदपुर के अपने पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र से नहीं लड़ा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि झारखंड में गठबंधन बना रहे और हम एक मजबूत मोर्चा बना सकें।

हालांकि मेरे विचार में झारखंड में हमारे सभी वरिष्ठ नेता केवल अपने परिवारों के लिए लड़ते हैं। एक नेता अपने लिए बोकारो से सीट चाहता है और पलामू से अपने बेटे के लिए। एक नेता हटिया से अपने भाई के लिए सीट चाहता है तो दूसरा नेता घाटशिला से अपनी बेटी के लिए और खूटी से खुद के लिए सीट चाहता है। एक अन्य नेता जामताड़ा से अपने बेटे के लिए, मधुपुर से अपनी बेटी के लिए और महागामा से अपने लिए सीट चाहते हैं । एक नेता अबतक लड़े तमाम चुनाव हारकर भी गुमला से एक सीट चाहते हैं। पार्टी के ये नेता आलाकमान द्वारा सावधानी से तैयार किए गए गठबंधन का तभी तक समर्थन करते हैं जबतक की उनकी अपनी सीट सुरक्षित है और अगर उसे इनकार किया जाता है, तो वह तबाही मचाते हैं।

में केवल यह चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी अपनी मूल जड़ों पर वापस जाए और उन मुद्दों को उठाए जो आम लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। यह महत्वपूर्ण है कि हमारे पास अच्छे लोग हों चाहे वो विपक्ष में हों या सरकार में। बजाय इसके, अब हमारे पास ओछे स्वार्थ वालों की एक लंबी सूची है। उनका एकमात्र उद्देश्य सत्ता हथियाना, टिकट बेचना या चुनाव के नाम पर धन इकट्ठा करना है। एक गर्वित भारतीय और पुलिस वीरता पुरस्कार के सबसे कम उम्र के विजेताओं में से एक और जमशेदपुर में माफिया का सफाया करने के रूप में, मैं आत्मविश्वास से कह सकता हूं कि सबसे खराब से खराब अपराधी भी मेरे इन सहयोगियों से बेहतर दिखते हैं।

फिर भी, आपने मुझे जो भी सहयोग दिया है, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा। मैं एक इंसान के रूप में आपके साहसिक कदम और शालीनता का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं। आपने मुझे जो अवसर दिया, उसके लिए में आपका सदैव आभारी रहूंगा। मैं जिला और ब्लॉक अध्यक्षों की एक महान टीम के साथ काम करने के लिए खुद को भाग्यशाली मानता हूं। मैं सीएलपी नेता आलमगीर आलम का यहां खास जिक्र और सराहना करना चाहता हूं, जो मेरे एक प्रतिष्ठित सहयोगी रहे हैं। मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि केंद्र में पार्टी के कुछ अच्छे नेताओं के साथ काम करने का मौका मिला।

ये सभी आम आदमी की लड़ाई लड़ते हैं और उन्होंने ही मुझे दिखाया है कि एक स्वार्थविहीन राजनेता सही नियत के साथ क्या कुछ प्राप्त नहीं कर सकता और दूसरी तरफ उन तथाकथित वरिष्ठ नेताओं ने मुझे दिखाया कि राजनीति में क्या नहीं होनी चाहिए। भ्रष्टाचार या किसी भी प्रकार के गलत समझौते के लिए मेरी शून्य सहिष्णुता, मुझे अपना काम प्रभावी ढंग से करने से रोकती है। अतः कृपया इस पत्र को झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफे के तौर पर मेरे औपचारिक पत्र के रूप में स्वीकार करें। आपके साथ काम करना एक सम्मान की बात है और मैं आपको हर उस चीज में शुभकामनाएं देता हूं जो आप भविष्य में करने को तत्पर हों ।

सादर

डॉ अजय कुमार

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