Jharkhand Politics: तेल और तेल की राजनीतिक धार का सही अंदाजा तभी लगेगा, जब यह योजना पूरी तरह धरातल पर उतरेगी
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव कहते हैं ‘वैट कब कम करना है यह सरकार तय करेगी। भाजपा हमें सलाह न दे। बेहतर होगा कि वह अपनी पार्टी की सरकार वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर भी इसके लिए दबाव बनाए।’
रांची, प्रदीप शुक्ला। उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच चुनावी राज्यों में राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए किए जा रहे मुफ्त वादों के बीच झारखंड की गठबंधन सरकार द्वारा गरीबों को हर महीने अधिकतम 10 लीटर पेट्रोल की खरीद पर पर 250 रुपये सब्सिडी दिए जाने के निर्णय ने देशभर का ध्यान खींचा है। संभव है कई राज्य हेमंत सरकार की इस योजना को अमलीजामा पहनाने के तौर-तरीकों और उसके परिणामों पर गहरी निगाह जमाए हों। भविष्य में इससे होने वाले नफा-नुकसान का आकलन कर वह भी इस फामरूले को अपनाने बाबत विचार कर सकते हैं।
फिलहाल राज्य की गठबंधन सरकार अपने इस फैसले को महंगाई के खिलाफ लड़ाई में ‘मास्टर स्ट्रोक’ बताकर देश के सामने नजीर के रूप में पेश करने का प्रयास कर रही है। वहीं, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार की मंशा को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। विपक्षी पूछ रहे हैं जब केंद्र सरकार ने पेट्रोल की कीमतों पर वैट की दरों को घटाया है तो राज्य सरकार ने क्यों नहीं? इस योजना में इतनी तकनीकी जटिलताएं हैं कि असल लाभार्थियों तक इसका फायदा पहुंच भी पाएगा या नहीं।
सरकार के दो वर्ष पूरे होने के मौके पर पेट्रोल खरीद पर प्रति लीटर 25 रुपये सब्सिडी देने की घोषणा करते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (बाएं), साथ में शिबू सोरेन और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह (पीछे)। जागरण
खैर, 26 जनवरी से प्रदेश के सभी राशन कार्डधारियों के लिए यह सुविधा शुरू हो जाएगी। राज्य में करीब 30 लाख राशन कार्डधारी इसके दायरे में आएंगे। इनमें से जिनके पास मोटरसाइकिल होगी वह इसका लाभ ले सकेंगे। इसके लिए विधिवत मोबाइल एप लांच हो गया है। जिला स्तर पर लाभार्थियों के निबंधन का काम युद्ध स्तर पर शुरू हो गया है। कुछ तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं, जिन्हें तत्परता से दूर किया जा रहा है। 26 जनवरी तक बड़ी संख्या में लाभार्थियों का पंजीकरण हो सके, इसके लिए पीडीएस दुकानदारों की मदद ली जा रही है।
राज्य सरकार का आकलन है कि इस योजना पर हर वर्ष करीब 900 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। स्वाभाविक है इस राजस्व की भारपाई वह अन्य मदों से करने का प्रयास करेगी, लेकिन फिलहाल इस योजना को लेकर राज्य में काफी उत्साह है। गठबंधन सरकार के सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राजद इसे ऐतिहासिक फैसला बता रहे हैं। गठबंधन सरकार महंगाई को लेकर केंद्र पर लगातार हमलावर रही है। महंगाई बढ़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि है। कुछ महीने पहले जब केंद्र ने पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में कमी की थी तब राज्य की हेमंत सरकार पर भी काफी दबाव बना था। उस समय भाजपा शासित तमाम राज्यों ने अपने स्तर पर भी लोगों को राहत दी थी। भाजपा और आजसू इसी का हवाला देकर लगातार वैट की दरों में कटौती की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार हमेशा यह हवाला देती रही कि झारखंड में पड़ोसी राज्यों के मुकाबले पहले से ही वैट कम है।
अब जब सरकार ने सभी राशन कार्डधारकों के लिए यह फैसला लिया है तो फिर से इसकी मांग शुरू हो सकती है। आजसू के मुखिया सुदेश महतो ने इस छूट को जनता के साथ छल करार दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने सरकार से ही सवाल पूछा है, ‘पेट्रोल सब्सिडी योजना का एप तो लांच कर दिया, लेकिन यह नहीं बताया कि कितने कार्डधारियों के पास एंड्रायड फोन है और कितने के पास मोटरसाइकिल? पेट्रोल पंपों पर भी अभी कोई व्यवस्था नहीं है।’ उन्होंने आशंका जताई है कि इस योजना का फायदा कुछ खास लोग उठा सकते हैं। बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके बैंक खाते से आधार नंबर और मोबाइल फोन नंबर लिंक नहीं हुआ है। एक बड़ी समस्या राशन कार्ड से मोबाइल नंबर का पंजीकरण न होना भी सामने आएगा। राशन के लिए यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन पेट्रोल सब्सिडी लेने के लिए इसे जरूरी बनाया गया है। जो भी हो, तेल और तेल की राजनीतिक धार का सही-सही अंदाजा तभी लग सकेगा, जब यह योजना पूरी तरह धरातल पर उतरेगी।
[स्थानीय संपादक, झारखंड]