Jharkhand News: हेमंत सरकार पर ग्रहों का फेर... 11 के मंगल पर भारी पड़ रहा 28 का शनि...
Hemant Soren News झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी लड़खड़ा रही है। ग्रहों का ऐसा फेर चल रहा कि कौन सा दिन भारी पड़ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है। चर्चा है कि चुनाव आयोग और हाई कोर्ट के चंगुल में फंसी हेमंत सरकार अंकों में उलझी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Hemant Soren News यहां अभी गली-कूचे, चौक-चौराहों पर बस भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार का शोर है। खान लीज लेने के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी लड़खड़ा रही है। ग्रहों का ऐसा फेर चल रहा है कि कौन सा दिन भारी पड़ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। चर्चा है कि चुनाव आयोग और हाई कोर्ट के चंगुल में बुरी तरह फंसी हेमंत सोरेन सरकार ग्रहों-नक्षत्रों के फेर में फंस गई है। हेमंत सोरेन पर अंकों की गणना-मनना का काला साया मंडरा रहा है। राज्य ब्यूरो के हमारे सहयोगी आनंद मिश्र के साथ यहां पढ़ें हमारा विशेष साप्ताहिक कॉलम खरी-खरी...
अंकों की माया
सियासत के बाजार के अपने ही जोखिम हैं। उतार-चढ़ाव लगा रहता है लेकिन इस बार तो जोखिमों का जखीरा सामने आया है। कुर्सी पर संकट है तो सदस्यता जाने वालों की कतार में दोनों ही खेमों के लोग खड़े हैं। सेहत दुरुस्त रहे इसके लिए अब प्लान बी पर हो रहा मंथन। सत्ता के गलियारे में चर्चा है कि सब अंकों की माया है। 11 के गणित से जो पाया है, उस पर अब 28 माह का साया है। ये अंक बार-बार कुछ कर गुजरने को सामने आया है। पहली बार इसने पतली गली, खंभा बचा निकल जाने वाले अफसरों को भी धरा है। मैडम के बाद ये नंबर औरों को भी दबोचेगा। सो सेटलमेंट का दौर शुरू हो गया है। जितनी जल्दी हो पुराना निपटारा करने की कोशिश में जुटे हैं कुछ आला हुजूर।
उम्मीदों का लिबास
'''' उम्मीदों का लिबास तार-तार ही सही, पर सी लेना चाहिए, कौन जाने कब किस्मत मांग ले''''। इन्हीं चंद लाइनों को हाजिर-नाजिर जान कमल दल के टोले से आधा दर्जन दावेदारों ने उच्च सदन की आस में बायोडाटा जमा कर दिया है। वाजिब तर्क के साथ कुछ कतरने भी चस्पा की हैं। मालूम है हकीकत इन्हें भी, सामने हैवी वेट मौजूद हैं। उनकी न में इनकी किस्मत छिपी है, और हां में हकीकत। उम्मीद पर दुनिया कायम है, सो अपना फर्ज निभाए जाते हैं। जी फाइव के रोल पर भी टिकी हैं निगाहें इनकी। अब तक कुछ हलचल नहीं है उस खेमे में। पिछले सत्र में बड़ी-बड़ी बातें की थी, अब सन्नाटा है। पुरानी फिल्मों की तरह पूरा मामला निपटने के बाद जैसे पुलिस की जीप सायरन बजाते पहुंचती थी, कुछ उसी अंदाज में होगी जी फाइव की एंट्री। तब तक के लिए संयम बरते और हवन करें।
बिजली, पानी की दिक्कत तो पहले से ही थी, अब दारू का भी टोटा है। तमाम इकोनामिक वारियर्स दुकान-दुकान भटक रहे हैं। पसंद का ब्रांड गायब है। सियासी उठापटक के बीच इस अहम मुद्दे की चर्चा तक कोई नहीं करता। मय के दीवाने दो कुल्ला लगा कर किसी को दो-चार उच्च कोटि की गलियां और चंद सस्ते शेर सुनाने को तरस गए हैं। अब सरकार हुजूर ने ऐसे किया क्यों, ये हालत बने क्यों। इस पर चर्चा बेमानी है। नेक मंशा को समझें। पूरे विभाग का नाम उत्पाद एवम मद्य निषेध है। लेकिन किसी ने अब तक मद्य निषेध की ओर ध्यान ही नहीं दिया। ये कदम उसी नेक दिशा में बढ़ा है। तो कोसे नहीं, उम्दा काम के लिए कुछ नंबर दें। पेट्रोल सब्सिडी की तरह ये जरा दूजे किस्म का दांव चला है हुजूर ने।
सलाह में दम है...
हुजूर का पुष्पा लुक अब पुराना हो चुका है। दाढ़ी क्या बढ़ाई, यहां-वहां चर्चा शुरू हो गई। इन्होंने भी पूरा मजा लिया मुस्करा कर। वैसे भी सारा राज इनकी मुस्कान में ही छिपा है। जब कसमें खाकर बोलते थे तो लगता ही नहीं था कि ऐसे बदल लेंगे पाला। जब कसम तोड़ी तो अरमान ने उबाल मारा, लेकिन न इधर के रहे न उधर के। सामने वाले ने ऐसा लटकाया कि पूछो मत। अब खुद पर भी आफत आ गई है। पिछले दरवाजे से एंट्री का भी चांस बन रहा है, लेकिन अनुभवी लोगों ने सलाह दी थी कि खिचड़ी को किनारे से ठंडा कर खाइएगा तो ठीक रहेगा। हड़बड़ी में बीच से खाने पर जीभ जलने का खतरा बराबर का है। अब ये गलती भी हो चुकी है। बराबरी करने के लिए कम कूंद-फांद नहीं कर रहे, लेकिन मौका मिलने पर कहीं दूसरा झपटा मार देगा तो नरभसा जाएंगे।