Move to Jagran APP

Jharkhand News: नौकरी से बर्खास्‍त हो सकती हैं IAS पूजा सिंघल... बिहार के Ex DGP अभयानंद ने कहा, सोलह आने सच...

Jharkhand News भ्रष्‍टाचार के संगीन आरोपों में प्रवर्तन निदेशालय के हत्‍थे चढ़ीं झारखंड कैडर की आइएएस पूजा सिंघल नौकरी से बर्खास्‍त हो सकती हैं। केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय संपत्ति व अन्‍य निजी जानकारी छुपाने के मामले में उनपर कार्रवाई करने की तैयारी में है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 07:32 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 07:33 PM (IST)
Jharkhand News: नौकरी से बर्खास्‍त हो सकती हैं IAS पूजा सिंघल... बिहार के Ex DGP अभयानंद ने कहा, सोलह आने सच...
Jharkhand News:झारखंड कैडर की आइएएस पूजा सिंघल और बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद।

रांची, [प्रदीप सिंह]। Jharkhand News झारखंड कैडर की निलंबित आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय को हर वर्ष दिए जाने वाले संपत्ति की विवरणी में आधी-अधूरी जानकारी दी। उन्होंने तथ्यों को छिपाया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी के बाद उनके पास अकूत संपत्ति के खुलासे से जहां सतर्कता एजेंसियों के कान खड़े हैं, वहीं केंद्र सरकार भी जानकारी छिपाने के आरोप में कार्रवाई कर सकती है। इसमें सेवा से बर्खास्तगी तक संभव है। नियमानुसार अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को हर वर्ष जनवरी माह में मंत्रालय को चल-अचल संपत्ति का ब्योरा देना पड़ता है।

loksabha election banner

सिंघल के यहां से ईडी की छापेमारी में मिले दस्तावेज और उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट के यहां से मिली भारी नकदी (19.31 करोड़ रुपये) इस ओर इशारा करते हैं कि उन्होंने ब्योरा में तथ्यों को छिपाया। मंत्रालय को दी गई जानकारी में उन्होंने राजारहाट, कोलकाता में 30 लाख रुपये का एक घर, रांची के कांके में 7800 वर्ग फुट का भूखंड, जो उन्हें 88000 रुपये में मिला, रांची में 1.10 करोड़ रुपये का 4,500 वर्ग फुट का वाणिज्यिक स्थान और रांची में 80 लाख रुपये का दूसरा घर का जिक्र किया है। इसके मुताबिक उनके पास लगभग 2.20 करोड़ रुपये की संपत्ति है।

करीबियों की संपत्ति का जिक्र वार्षिक रिटर्न में नहीं

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निलंबित आइएएस पूजा सिंघल के विभिन्न ठिकानों से मिले दस्तावेज उनके वार्षिक रिटर्न से मेल नहीं खाते। अबतक ईडी की जांच में यह पाया गया है कि कई संपत्तियां उनके करीबी सहयोगियों के नाम पर हैं। इन व्यावसायिक उपक्रमों में सबसे प्रमुख पल्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल है। इसका संचालन उनके पति अभिषेक झा करते हैं। इसके निदेशकों में अमिता झा, सिद्धार्थ सिंघल, दीप्ति बनर्जी और इशिता पुरवार शामिल हैं। इस अस्पताल पर एचडीएफसी बैंक का लगभग 26 करोड़ रुपये और यस बैंक का लगभग पांच करोड़ रुपये का ऋण बताया जाता है।

क्या है नियम

केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के नियम 18 के तहत प्रत्येक अखिल भारतीय केंद्रीय सेवा अधिकारी को सालाना संपत्ति की घोषणा करनी होती है। इसमें उसके स्वामित्व या अधिग्रहण या पट्टे या गिरवी पर उसके द्वारा अपने स्वामित्व में नाम या उनके परिवार के किसी सदस्य के नाम पर या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर शेयर, डिबेंचर और नकद के अलावा विरासत में मिली या उसके द्वारा स्वामित्व वाली बैंक जमा राशि शामिल है। इसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लिए गए ऋण और अन्य देनदारियों का भी ब्योरा देने का प्रविधान है।

1983 में मैंने अवैध खनन रोका तो पांच माह में हटा दिया : अभयानंद

झारखंड में अवैध खनन और उससे जुड़े ताकतवर लोगों पर बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक अभयानंद ने अपना अनुभव इंटरनेट मीडिया पर साझा किया है। उन्होंने लिखा है - झारखंड के साहिबगंज जिले के खदानों की आर्थिक शक्ति की चर्चा मीडिया पर हो रही है। मेरी करीब 40 वर्ष पूर्व की स्मृतियां ताजा हो उठीं। वर्ष 1983 का वर्षांत। मेरा पदस्थापन साहिबगंज जिले के पुलिस अधीक्षक के रूप में हुआ। तब बिहार का विभाजन नहीं हुआ था। मुझे इस जिले के संबंध में लेश मात्र की भी जानकारी नहीं थी। मैं 24 घंटे में समझ गया कि इस जिले में सरकारी पैसे की लूट और खनिज संपदा की लूट, दो ही समस्याएं हैं।

पाकुड़ में विश्व स्तरीय ग्रेनाइट उपलब्ध था, जिसको बड़े तथाकथित खान मालिक, जो कानूनी रूप से मात्र खान पट्टेदार थे, कौड़ियों के भाव ट्रेन से बाहर भेज रहे थे। मालगाड़ी में भी वजन की हेराफेरी कर उस जमाने में भी करोड़ों का चूना राजकीय राजस्व को लगा रहे थे। इधर साहिबगंज की गरीबी स्पष्ट दिखती थी। आदिवासी और पहाड़िया दया के पात्र थे, खान के मजदूर। "मालिक" की संज्ञा में थे बड़े-बड़े धन्ना सेठ, जिनका साहिबगंज के आर्थिक विकास से कोई लेना-देना नहीं था, मगर उनका उत्तरोत्तर विकास स्पष्ट दिखता था।

मैंने खनन में हो रही धांधली में लगभग 50 कांड दर्ज कराकर अनुसंधान शुरू किया। खलबली मची। नतीजा - पांच महीने में मेरा तबादला न सिर्फ साहिबगंज से, बल्कि बिहार राज्य से बाहर भारत सरकार के आइबी में हो गया। खान मजदूरों ने बड़ा आंदोलन खड़ा किया। रोड रुका, ट्रेनें रुकीं। सरकार चिंतित हुई तो दुमका के कमिश्नर, जो एक बहुत ही ईमानदार आइएएस पदाधिकारी थे, को साहिबगंज भेजा गया कि प्रभार शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हो जाए। सहसा दो गंभीर बातों का ज्ञान छह साल की नौकरी में ही हो गया।

  1. पैसे की शक्ति से बच पाना असंभव है।
  2. सरकार किसी भी राजनीतिक पार्टी की हो, संचालन पैसा ही करती है।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.