Jharkhand IAS Pooja Singhal: नई मुश्किलों में हेमंत सोरेन... चौक-चौराहे पर उनकी ही चर्चा; जानें इसकी बड़ी वजह
Hemant Soren Mine Lease Case झारखंड सीएम हेमंत सोरेन अपने नाम पर खदान लेने के मामले में चौतरफा घिरते दिख रहे हैं। चुनाव आयोग का नोटिस हाई कोर्ट में सीबीआइ जांच की सुनवाई आइएएस पूजा सिंघल से मिले गोपनीय दस्तावेज और ईडी की मनी लांड्रिंग जांच से मुश्किलें बढ़ीं है।
रांची, [जागरण स्पेशल]। Hemant Soren Mine Lease Case झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने नाम पर खदान लीज लेने के मामले में संवैधानिक संस्थानों की जांच में चौतरफा घिरते दिख रहे हैं। इस मामले में पहले ही चुनाव आयोग ने उन्हें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए के तहत संभावित अयोग्यता का नोटिस दिया है। वहीं झारखंड हाई कोर्ट में उनके खिलाफ खदान लीज लेने और शेल कंपनियां चलाने की सीबीआइ जांच की मांग वाली दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर गर्मी की छुट्टियों में भी विशेष सुनवाई हो रही है। भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों में गिरफ्तार सरकार की खान व उद्योग सचिव आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल से मिले हड़कंप मचाने वाले दस्तावेज भी उनकी और सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाली हैं। वहीं मनरेगा घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय, ईडी की जांच अब खान विभाग और झारखंड में हो रहे करीब 4000 करोड़ के अवैध खनन कारोबार, बड़े पैमाने पर हो रही मनी लांड्रिंग पर केंद्रित हो गई है। बहरहाल, चार अलग-अलग मोर्चे पर घिरने से हेमंत सोरेन की मुश्किलें बेहद बढ़ गई हैं। राज्य में सियासी संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। पक्ष-विपक्ष में तल्खी और कड़वाहट कभी भी हालात को विस्फोटक बना सकते हैं। इन घटनाक्रमों के बीच राजभवन से राज्यपाल रमेश बैस भी पूरे मामले पर नजदीकी नजर रखे हुए हैं। राजनीतिक उथलपुथल भरे माहौल में यहां कभी भी कुछ भी संभव है। आइए विस्तार से जानते हैं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ अलग-अलग स्तर पर चल रही चार कार्रवाइयों के बारे में...
पहला मोर्चा : चुनाव आयोग ने दिया अयोग्यता का नोटिस, जवाब देने में टालमटोल
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भारत निर्वाचन आयोग ने अपने नाम पर खदान लीज लेने के मामले में नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में उन्हें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए के तहत संभावित अयोग्यता की कार्रवाई के बारे में पूछा गया है। आयोग ने कहा है कि क्यों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए? इस मामले में पहले चुनाव आयोग ने हेमंत को अपना पक्ष रखने के लिए 10 दिनों का समय दिया था। लेकिन, उन्होंने अपनी मां की गंभीर बीमारी का हवाला देते हुए आयोग से एक महीने की मोहलत मांगी। बाद में हालांकि आयोग ने अंतत: 10 दिनों का अतिरिक्त समय उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए दिया है। सरकार और हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से इस मामले में देश के कई नामचीन विधि विशेषज्ञों से परामर्श लिया गया है। संभव है इस मामले में हेमंत सोरेन जल्द ही अपना जवाब चुनाव आयोग को भेज दें।
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दूसरा मोर्चा : झारखंड हाई कोर्ट में सीबीआइ जांच कराने पर विशेष सुनवाई
झारखंड उच्च न्यायालय में हेमंत सोरेन के अपने नाम पर खदान लीज लेने के मामले में सीबीआइ जांच कराने की मांग वाली एक याचिका दाखिल की गई है। जबकि दूसरी याचिका हेमंत सोरेन, भाई बसंत सोरेन और उनके करीबियों द्वारा शेल कंपनियां चलाने की सीबीआइ जांच कराने से जुड़ी है। इन दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर गर्मी की छुट्टियों में भी हाई कोर्ट विशेष सुनवाई हो रही है। इस मामले में झारखंड सरकार भी पक्षकार बनी है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल अदालत में बेहद तार्किक तरीके से हेमंत सोरेन का पक्ष रख रहे हैं। वे दोनों याचिकाओं को खारिज करने की मांग कोर्ट से कर रहे हैं। जबकि कोर्ट ने उनसे पूछा कि अब जबकि सरकार के खान सचिव आइएएस पूजा सिंघल का भ्रष्टाचार उजागर हो गया है। तो सरकार सीबीआइ जांच की विरोध क्यों कर रही है। इस मामले में जांच एजेंसी ने हाई कोर्ट को बेहद सनसनीखेज दस्तावेज सौंपे हैं। हाई कोर्ट ने इन मामलों की सुनवाई के क्रम में हेमंत सोरेन के राजधर्म पर सवाल उठाए और कहा कि मुख्यमंत्री की बात छोड़ भी दें तो एक विभागीय मंत्री के तौर पर हेमंत सोरेन का अपने नाम पर खदान लेकर विभाग से उपकृत होना, क्या ये पद का दुरुपयोग Misuse of Post नहीं है? कोर्ट ने कपिल सिब्बल से कहा कि अगर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए को अगर किनारे भी रख दें तो विभागीय मंत्री के तौर पर दोहरा लाभ लेने के इस मामले में वे क्या सफाई देंगे?
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तीसरा मोर्चा : आइएएस पूजा सिंघल ने पूछताछ में खोले गहरे भेद
भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों में गिरफ्तार झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार की खान व उद्योग सचिव आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद बतौर मुख्यमंत्री उन पर सीधे सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि पूजा सिंघल उनकी बेहद करीबी अफसरों में शामिल रहीं। अब पूजा सिंघल के ठिकानों से मिले हड़कंप मचाने वाले गोपनीय दस्तावेजों में करोड़ों रुपये के लेनदेन में बड़े-बड़े सफेदपोशों के नाम सामने आ रहे हैं। ऐसे में हेमंत सोरेन और उनकी सरकार के लिए पूजा सिंघल प्रकरण कम मुश्किलें बढ़ाने वाली नहीं हैं। जिस तरह मनरेगा घोटाले से शुरू हुई प्रवर्तन निदेशालय की जांच राज्य के खान विभाग तक पहुंची है, उससे संभव है कि अगले कुछ दिनों में झारखंड में करीब 4000 करोड़ के अवैध खनन के काले कारोबार का पर्दाफाश हो जाए। आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल, उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन कुमार आदि ने अब तक की पूछताछ में भ्रष्टाचार के रुपये नीचे से लेकर ऊपर तक अफसर और सफेदपोशों तक पहुंचाने की पुष्टि की है। ईडी अब पूरे रैकेट का भंडाफोड़ करने में जुटी है। पूजा सिंघल के दूसरे पति अभिषेक झा के अबतक गिरफ्तार नहीं होने और सरकारी गवाह बनने की अपुष्ट खबर भी हेमंत सोरेन और सरकार की बेचैनी बढ़ाने वाली है। अभिषेक झा को काला धन का बड़ा निवेशक बताया गया है।
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चौथा मोर्चा : ईडी ने कहा, सत्ता के शीर्ष की भूमिका संदिग्ध
झारखंड में मनरेगा घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय सतर्कता एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय, ईडी ने अबतक की जांच में सत्ता शीर्ष की भूमिका को संदिग्ध बताया है। बीते दिन झारखंड हाई कोर्ट में एजेंसी ने इससे जुड़े गोपनीय साक्ष्य जमा कराए हैं। ईडी ने हेमंत सोरेन सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आइएएस पूजा सिंघल के WhatsApp Chat और उनसे पूछताछ में अहम खुलासे हुए हैं। व्हाटसएप में राज्य की किसी बड़ी रसूखदार महिला को पैसे दिए जाने की बात भी निकलकर सामने आई है। ईडी ने कहा कि पूजा के ठिकानों पर छापेमारी में मिले दस्तावेजाें की जांच में पता चला है कि मनरेगा और खान घोटाले के पैसे शेल कंपनियों में लगाकर मनी लांड्रिंग की गई है। हेमंत सोरेन के बेहद करीबी रहे झामुमो के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल के हवाले से कई शेल कंपनियों के नाम जुटाए गए हैं। भ्रष्टाचार के द्वारा अर्जित किया गया पैसा होटल, रेस्टोरेंट आदि कई धंधे में लगाने की जानकारी मिली है। ईडी की जांच अभी जारी है। संभव है कि प्रवर्तन निदेशालय की अगली कार्रवाई से आने वाले दिनों में हेमंत सोरेन की मुश्किलें और बढ़ जाएं।
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