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झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने आदिवासियों के लिए कह दी बड़ी बात... आप भी जानिए

Jharkhand CM Hemant Soren Narendra Modi प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई गवर्निंग काउंसिल की बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग से कॉलम देने का मामला उठाया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 08:55 AM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 08:09 PM (IST)
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने आदिवासियों के लिए कह दी बड़ी बात... आप भी जानिए
Jharkhand CM Hemant Soren झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand CM Hemant Soren, Narendra Modi झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग कॉलम की मांग एक बार फिर केंद्र सरकार के समक्ष उठाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुए नीति आयोग की गवर्निंग कॉउंसिल की बैठक में मुख्यमंत्री ने इस बात को रखा। उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा से पारित कर हमने सरना आदिवासी धर्म कोड की मांग से संबंधित प्रस्ताव भेजा है। उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार इस पर सहानुभूति पूर्वक विचार करेगी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस वर्चुअल बैठक में केंद्रीय मंत्री व विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए।

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तार्किक तरीके से अपनी बात को रखते हुए कहा कि आदिवासी हितों की सुरक्षा के लिए आदिवासी मंत्रालय का निर्माण हुआ। संविधान में पांचवीं और छठी अनुसूची भी आदिवासी हित के लिए बनाई गई है। आदिवासी समाज एक ऐसा समाज है, जिसकी सभ्यता, संस्कृति, व्यवस्था बिल्कुल अलग है। आदिवासियों को लेकर जनगणना में अपनी जगह स्थापित करने की मांग वर्षों से रखी जा रही है। इस संबंध में भेजे गए प्रस्ताव पर भारत सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार करे। इस अवसर पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, प्रधान सचिव हिमानी पांडेय, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का व अन्य उपस्थित थे।

संक्रमण काल में राशि की हुई कटौती

मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमण काल में झारखंड को मिलने वाली हिस्सेदारी में कटौती का मामला भी उठया। कहा, केंद्र सरकार द्वारा बजट में झारखंड को दिया जानेवाला शेयर 1750 करोड़ होता है। लेकिन इसे 1200 करोड़ कर दिया गया। इससे राज्य को करोड़ो का नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही, कोरोना संक्रमण काल मे डीवीसी द्वारा राज्य सरकार के खाते से 2131 करोड़ रूपये की कटौती कर ली गई, जबकि झारखंड के लिए इस मुश्किल दौर में यह फंड जरूरी था। क्योंकि यह श्रमिक प्रधान राज्य है।

यूनिवर्सल पेंशन लागू करने पर विचार करे केंद्र सरकार

नीति आयोग की गवर्निंग कॉउंसिल बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्यहित के अन्य विषयों को भी उठाया। कहा, अक्सर क्षेत्र भ्रमण के क्रम में वृद्धों से बात करने का अवसर प्राप्त होता है। उनकी यह शिकायत रहती है कि उन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। संबंधित पदाधिकारी बताते हैं कि टारगेट पूर्ण हो चुका है। कहा, क्या यूनिवर्सल पेंशन देकर ऐसे वृद्धों को लाभान्वित नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार द्वारा 2007 के बाद से पेंशन की राशि में वृद्धि नहीं की गई है।हालांकि राज्य सरकार राज्य कोष से इसको बढ़ाया है। पेंशन को यूनिवर्सल करने पर केंद्र सरकार विचार करे।

ग्रामीण क्षेत्रों के सशक्तिकरण से आत्मनिर्भर बनेगा देश

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीणों की क्रय शक्ति बढ़ाना चाहती है। इसके लिए कृषि, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और आधारभूत संरचना के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। लाह और रेशम की खेती को राज्य सरकार कृषि का दर्जा देने की दिशा में काम कर रही है। मुझे लगता है कि भारत आत्मनिर्भर देश तभी बनेगा, जब ग्रामीण क्षेत्र का सशक्तिकरण होगा। ग्रामीणों का आर्थिक संसाधन कैसे बढ़े, इस पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।

मनरेगा की मजदूरी दर में की जाए वृद्धि

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड श्रमिक प्रधान राज्य है। इनके लिए रोजगार सृजन कैसे हो, इसपर विचार करने की जरूरत है। केंद्र सरकार द्वारा 202 रुपये मजदूरी दर तय की गई है। जो देश के अन्य राज्यों से कम है। केंद्र सरकार इस अंकित मजदूरी दर में वृद्धि करे। साथ ही मजदूरों के लिए बने कानून पर पुनः विचार करने की भी जरूरत है। सशक्त कानून के अभाव में बिचौलिए श्रमिकों के हितों की अनदेखी कर देते हैं। अभी हाल ही उत्तराखंड में एनटीपीसी और बीआरओ के लिए कार्य करने गए श्रमिकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

खनन क्षेत्र में पार्टनरशिप के तहत कार्य हो

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड खनिज प्रधान राज्य है। राज्य और केंद्र के बीच इन मुद्दों को लेकर चर्चा होती रहती है, लेकिन यह लाभदायक साबित नहीं हो रहा है। खनन की रॉयल्टी, डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट फंड के अतिरिक्त केंद्र सरकार पार्टनरशिप की दिशा में विचार करे। इससे यहां के लोगों को आगे बढ़ने में आसानी होगी। क्योंकि यहां के लोगों को सिर्फ आर्थिक पीड़ा ही नहीं, मानसिक रूप से विस्थापन का दंश भी झेलना पड़ता है ।

फारेस्ट क्लीयरेंस को लचीला बनाया जाए

मुख्यमंत्री ने फारेस्ट क्लीयरेंस से जुड़े मसलों को भी उठाया। कहा, झारखंड का बड़ा हिस्सा जंगल -झाड़ी से आच्छादित है। किसी भी तरह के उद्योग स्थापित करने में राज्य सरकार के उद्योग और उद्यमियों को फारेस्ट क्लीयरेंस लेने में परेशानी होती है। साथ ही, अधिग्रहित की गई जमीन के एवज में समतुल्य जमीन उपलब्ध कराने में परेशानी होती है। केंद्र सरकार इन विषयों पर विचार करते हुए इसे लचीला बनाने की दिशा में काम करे तो झारखंड जैसे प्रदेश को भी उद्योग स्थापित करने में आसानी होगी।


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