Jharkhand: CM हेमंत सोरेन ने लिए ताबड़तोड़ फैसले, झारखंड में काबू किया कोरोना... आप भी जानिए
Jharkhand News Hemant Soren झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अथक प्रयास का परिणाम ही है कि झारखंड में कोरोना महामारी इतनी जल्दी काबू में आ गया। वर्तमान में झारखंड सबसे कम संक्रमण वाले राज्यों में शुमार है। कभी सर्वाधिक कोरोना संक्रमण में टॉप फाइव राज्यों में पहुंच गया था।
रांची, [प्रदीप सिंह]। Jharkhand News, Hemant Soren झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर आई तो देखते-देखते संक्रमण की स्थिति भयावह हो गई। प्रत्येक दिन मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ रही थी। सरकार जितने नए सामान्य, ऑक्सीजन या आइसीयू बेड की व्यवस्था कर रही थी, उससे कई गुना मरीज बढ़ जाते थे। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वयं कमान संभाली। युद्धस्तर पर लगातार अथक प्रयास किए। भारतीय प्रशासनिक सेवा के परिणामपरक अफसरों की अलग-अलग टीम बनाकर स्थिति से निपटने के प्रयास में वे शिद्दत से लगे स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह लागू कर कई सख्त निर्णय लिए। आवश्यक पाबंदियां लगाई, जिसका बेहतर परिणाम सबके सामने है।
अप्रैल के अंतिम सप्ताह व मई के पहले सप्ताह में झारखंड में महाराष्ट्र सहित उन टॉप पांच राज्यों में शामिल हो गया था, जहां संक्रमण दर सबसे अधिक था। अब स्थिति यह है कि झारखंड सबसे कम संक्रमण वाले शीर्ष पांच राज्यों में शामिल हो गया है। झारखंड उन चार राज्यों में शामिल हैं जाह पॉजिटिविटी रेट दो फीसद से भी कम हो गई है। संभावित तीसरी लहर में बच्चों को बचाने के लिए देश भर के विशेषज्ञों से नेशनल वेबिनार करनेवाला झारखंड पहला राज्य है। देशभर के विशेषज्ञों ने इसकी सराहना की। बच्चों के लिए अलग वार्ड, आइसीयू पहले से तैयार करने की पहल की जा रही है।
वर्तमान में झारखंड की स्थिति यह है कि रिकवरी रेट सहित कई स्वास्थ्य इंडीकेटर में राज्य राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। राज्य में रिकवरी रेट 95 फीसद है, जबकि देश में यह दर 90 फीसद ही है। राज्य में संक्रमण कम होने का प्रमुख कारण यहां कोरोना जांच की रफ्तार बढ़ना भी रहा है। यहां वर्तमान में प्रतिदिन 50 हजार से अधिक सैंपल की जांच हो रही है। जब यह बात सामने आई कि गांवों में भी कोरोना का संक्रमण पहुंच गया है तो मुख्यमंत्री ने गांवों में सघन स्वास्थ्य जांच अभियान चलाने का निर्णय लिया।
अबतक लगभग एक करोड़ लोगों की स्वास्थ्य जांच हो चुकी है। राहत की बात यह है कि गांवों में कोई खास संक्रमण नहीं मिला है। जो भी संक्रमण मिला है वह आठ-नौ जिलों में ही सिमटा है। इसकी एक अच्छी बात यह रही कि इस जांच अभियान से उन लोगों की भी पहचान हो सकी जिनमें टीबी, मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि के लक्षण थे। अब इनका भी उपचार हो सकेगा।
- -देश में 35 प्रतिशत आक्सीजन आपूर्ति करने वाला नंबर एक राज्य। ओड़िशा, गुजरात समेत अन्य प्रांत पीछे।
- - कोविड सर्किट का निर्माण, आक्सीजन की उपलब्धता के लिए पहल।
- - रिकवरी रेट सहित कई इंडिकेटर में राष्ट्रीय औसत से बेहतर।
- -जांच दर बढ़ाई। प्रतिदिन 50 हजार और विशेष अभियानों में एक लाख से अधिक सैंपल की रोजाना जांच।
- - ग्रामीण स्तर पर सर्वे और रैपिड एजटीजन जांच कार्यक्रम।
- -तीव्र गति से टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर अधिकाधिक फोकस।
सात जिलों में स्थापित हो रही आरटीपीसीआर लैब में 15 दिनों में जांच होगी शुरू
राज्य सरकार अधिक से अधिक कोरोना जांच सुनिश्चित करने के लिए लगातार लैब की संख्या बढ़़ाने पर जोर दे रही है। राज्य के सात जिलों में आरटी-पीसीआर लैब की स्थापना का काम चल रहा है। वहीं, राज्य सरकार ने सात अन्य जिलों में भी इस तरह की लैब स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसपर कैबिनेट की स्वीकृति ली जाएगी। वर्तमान में राज्य के सात जिलों राची, जमशेदपुर, बोकारो, देवघर, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला तथा गोड्डा में आरटी-पीसीआर लैब स्थापित की जा रही है।
इसकी जिम्मेदारी मनोनयन के आधार पर प्रेज्ञा फाउंडेशन को दी गई है। वहीं, जिन सात अन्य जिलों में आरटी-पीसीआर लैब स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, उनमें गिरिडीह, चतरा, खूंटी, गढ़वा, पाकुड़, रामगढ़ तथा सिमडेगा शामिल हैं। राज्य नोडल पदाधिकारी (कोरोना जांच) नमन प्रियेश लकड़ा के अनुसार, जिन सात जिलों में लैब की स्थापना के कार्य चल रहे हैं वहां 15 दिनों में काम पूरा हो जाएगा।
इसके बाद आइसीएमआर से अनुमति लेकर वहां जांच शुरू की जाएगी। उनके अनुसार, राज्य सरकार आरटी-पीसीआर से अधिक से अधिक कोरोना जांच करना चाहती है। रैपिड एंटीजन टेस्ट में निगेटिव रिपोर्ट आने पर लक्षण वाले लोगों की भी समय पर आरटी-पीसीआर से कोरोना जांच हो सकेगी। वर्तमान में आठ सरकारी लैब में आरटी-पीसआर से जांच हो रही है, जबकि चार लैब को आउटसोर्स किया गया है।