Move to Jagran APP

झारखंड चैंबर ने ज्रेडा की निविदा पर उठाए सवाल, कहा- नए नियम से छोटे उद्यम‍ियों को होगा नुकसान

Jharkhand News JREDA Ranchi चैंबर ने कहा कि ज्रेडा की निविदा में अव्यवहारिक शर्त से राज्य के छोटे उद्यमी काम से बाहर होंगे। चैंबर अध्‍यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि उद्यमियों को अतिरिक्त बोझ के बहाने बाहर करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 05:47 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 05:54 PM (IST)
झारखंड चैंबर ने ज्रेडा की निविदा पर उठाए सवाल, कहा- नए नियम से छोटे उद्यम‍ियों को होगा नुकसान
Jharkhand News चैंबर ने कहा कि ज्रेडा की निविदा में अव्यवहारिक शर्त से छोटे उद्यमी काम से बाहर होंगे।

रांची, जासं। फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने शनिवार को ऊर्जा विभाग के सचिव को पत्राचार कर ज्रेडा द्वारा निर्गत निविदा पर अविलंब रोक लगाने का आग्रह किया है। उर्जा सचिव को प्रेषित इस पत्र की प्रति निदेशक-उद्योग एवं ज्रेडा निदेशक को भी दी गई है। चैंबर ने कहा कि झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी यानि ज्रेडा द्वारा सरकारी भवनों में सोलर प्लांट लगाने के लिए निर्गत निविदा की अव्यवहारिक शर्त से राज्य के छोटे व लघु उद्योगों के समक्ष कठिनाइयां उत्पन्न होंगी।

loksabha election banner

पत्र के माध्यम से कहा गया कि विगत कई वर्षों से ज्रेडा द्वारा कार्य करवाने में राज्य के एमएसएमई को झारखंड प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के तहत ईएमडी एवं टेंडर फी में छूट दी जाती रही थी। इसके फलस्वरूप बड़ी संख्या में राज्य के छोटे उद्यमी लाभान्वित हो रहे थे। साथ ही राज्य के लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा था। लेकिन वर्तमान में ज्रेडा द्वारा निर्गत नई निविदा में नए नियम लाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि वैसे उद्यमी जो सोलर पैनल, बैटरी या इंवर्टर का निर्माण करते हैं, उन्हें ही प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के तहत लाभ मिलेगा।

निविदा के इस प्रविधान से राज्य के एक ही उद्योग को फायदा होगा एवं अभी तक कार्यरत 150 से अधिक उद्यमियों को अतिरिक्त वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ेगा। निविदा में पात्रता के लिए एक छोटे उद्यमी पर कम से कम 7.5 लाख रुपये का आर्थिक बोझ आएगा। निविदा की शर्त से उद्यमियों की शिकायत पर चैंबर भवन में एक बैठक भी हुई। बैठक में चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि राज्य के छोटे उद्योगों के सहायतार्थ राज्य सरकार द्वारा प्रोक्योरमेंट पॉलिसी लाई गई थी। इसमें स्पष्ट है कि ऐसे वित्तीय बोझ से एमएसएमई को सहायता दी जाय।

लेकिन ज्रेडा द्वारा निर्गत यह निविदा सरकार की पॉलिसी के खिलाफ है। निविदा की अव्यवहारिक शर्त से न सिर्फ वित्तीय बोझ के कारण राज्य के छोटे, सामान्य, आदिवासी या महिला उद्यमी बाहर हो जाएंगे, बल्कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में बाहर के उद्यमी यहां आ जाएंगे। इससे यहां काम करने वाले लोगों का रोजगार भी छिन जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार ने निर्माण व सेवा क्षेत्र के सभी एमएसएमई को प्रोक्योरमेंट में प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है।

लेकिन सेवा क्षेत्र के नाम पर यहां के उद्यमियों को अतिरिक्त बोझ के बहाने बाहर करना दुर्भाग्यपूर्ण है। आग्रह किया गया कि राज्य के छोटे, मध्यम वर्ग के सामान्य, आदिवासी एवं महिला उद्यमियों को ऐसे वित्तीय बोझ से बचाया जाए। बैठक में चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा के अलावा उपाध्यक्ष राहुल साबू, दीनदयाल बरनवाल, महासचिव राहुल मारू, सह सचिव रोहित अग्रवाल, विकास विजयवर्गीय एवं कार्यकारिणी सदस्य अमित शर्मा उपस्थित थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.