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झारखंड चैंबर ने कहा- कोविड मरीजों को जीवनरक्षक दवाई व आक्सीजन नहीं मिल पाना चिंतनीय

राज्य में कोविड मरीजों के लिए राज्य के निजी व सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिविर की कमी के कारण मरीजों को समय पर इंजेक्शन के नहीं मिलने पर चिंता झारखंड चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष ने चिंता जाहिर की। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखा।

By Vikram GiriEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 10:32 AM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 10:32 AM (IST)
झारखंड चैंबर ने कहा- कोविड मरीजों को जीवनरक्षक दवाई व आक्सीजन नहीं मिल पाना चिंतनीय
झारखंड चैंबर ने कहा- कोविड मरीजों को जीवनरक्षक दवाई व आक्सीजन नहीं मिल पाना चिंतनीय। जागरण

रांची, जासं । राज्य में कोविड मरीजों के लिए राज्य के निजी व सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिविर की कमी के कारण मरीजों को समय पर इंजेक्शन के नहीं मिलने पर चिंता झारखंड चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष ने चिंता जाहिर की। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखा। चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा ने पत्र में कहा कि इंजेक्शन के स्टाक की कमी के कारण विभिन्न अस्पतालों में भर्ती संक्रमितों के परिजनों को अपने स्तर से इंजेक्शन की व्यवस्था करने को कहा जा रहा है।

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झारखंड में रेमडेसिविर की खपत के अनुरूप आपूर्ति नहीं होने के कारण यह समस्या बनी हुई है। जहां आपूर्ति हो भी रही है तो यह अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों को नहीं मिल पा रही है। ऐसे में मरीजों को इंजेक्शन का एक डोज पडने के बाद दूसरे डोज के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। उन्होंने पत्र में आग्रह किया गया कि वर्तमान में लोगों के समक्ष जारी इस स्वास्थ्य संकट के शीघ्र समाधान के लिए जीवनरक्षक दवाईयां तथा ऑक्सीजन सिलेंडर की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराने की पहल की जाय।

वहीं महासचिव राहुल मारू ने कहा कि वर्तमान समय में बाजार में नियमित रूप से आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति बनाए रखना अतिआवश्यक है। जीवनरक्षक इंजेक्शन की कमी को लेकर स्थिति अनियंत्रित हो रही है। इसपर सरकार को चिंतन करने की जरूरत है। चैंबर के हेल्थ उप समिति के चेयरमेन डा अभिषेक रामधीन ने कहा कि पिछले वर्ष महामारी का इतना अधिक प्रसार नहीं हुआ था। किंतु सरकारी स्तर पर अधिकाधिक संख्या में क्वारंटाइन व आईसोलेशन सेंटर्स की व्यवस्था की गई थी। इसके साकारात्मक परिणाम आये थे।

अतः सरकार को इस दिशा में भी विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने राज्य के सभी निजी अस्पतालों को 50 फीसदी बेड कोविड मरीजों के लिए आरक्षित रखने का निर्देश दिया है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह उचित भी है किंतु यह विचारणीय है कि किसी स्पेशलिटी अस्पतालों में जहां केवल आंख या कान का ईलाज होता है, वहां कोविड मरीजों के ईलाज के लिए जरूरी अन्य संसाधनों यथा- दवा, इंजेक्शन, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं हैं। ऐसे में इन अस्पतालों में किस प्रकार कोविड मरीजों का सुगमतापूर्वक उपचार संभव है? यदि निजी अस्पताल संचालक ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करना भी चाहें, तो वर्तमान समय में यह बाजार में उपलब्ध ही नहीं है। ऐसे नर्सिंग होम में मरीजों के उपचार हेतु पर्याप्त संख्या में डाॅक्टर व नर्स की भी अनुपलब्धता है।


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