Jharkhand Budget 2020: हेमंत सरकार ने सबको साधा, दूर की शिक्षा-स्वास्थ्य की बाधा
Jharkhand Budget Session देश और दुनिया में जो हालात हैं उसे देखते हुए कहा जा सकता है इस विकास दर को पाना सरकार के लिए काफी चुनौती भरा होगा।
रांची, [प्रदीप शुक्ला]। Jharkhand Budget 2020 मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गठबंधन सरकार के मंगलवार को पेश पहले बजट को यदि एक लाइन में परिभाषित करना हो तो कहा जा सकता है, इसमें सभी वर्गों की चिंता की गई है और यह सबका बजट है। जैसा कि सरकार गठन के साथ ही मुख्यमंत्री कहते रहे हैं प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को देश भर के लिए नजीर बनाना है तो उन्होंने बजट में इसकी भरपूर चिंता भी की है।
शिक्षा के बजट में ही सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, बेरोजगार युवाओं को सहयोग राशि, 50 साल से ऊपर के सभी व्यक्तियों को राशन, 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त सहित कई ऐसी योजनाएं हैं जिनके जरिये हर वर्ग को साधने की कोशिश की गई है। कृषि के बजट में कटौती की गई है, लेकिन किसानों की 50 हजार तक कर्ज माफी की घोषणा कर उनकी झोली भी खाली नहीं रहने दी गई है। रोजगार पैदा कैसे होंगे इस पर बजट में कोई स्पष्ट सोच नहीं दिख रही है। इसी तरह आधारभूत संरचना के प्रति बजट में बेरुखी दिखी जो आने वाले समय में बेरोजगारी बढ़ा सकती है। दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की चौतरफा गूंज का असर राज्य के बजट पर दिख रहा है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यह घोषणा कर चुके हैं कि वह राज्य की शिक्षा व्यवस्था को दिल्ली से भी बेहतर बनाएंगे। पिछले साल के बजट के मुकाबले शिक्षा में करीब दो प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी उनके इस लक्ष्य को साधने की दिशा में उठाया गया पहला कदम माना जा सकता है। सरकारों को यह समझ में आ रहा है कि बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के बिना संपूर्ण विकास का सपना बेमानी है। मलिन बस्तियों में मुहल्ला क्लीनिक, दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में तैनात डाक्टरों के लिए अलग से भत्ता, एपीएल के सभी परिवारों को आयुष्मान योजना का लाभ सहित अन्य तमाम ऐसे प्रावधान बजट में किए गए हैं जो गांव और गरीबों को राहत पहुंचा सकते हैं। कुपोषण इस राज्य के लिए हमेशा बदनुमा दाग रहा है। स्वास्थ्य योजनाएं यदि धरातल पर ठीक से उतरती हैं तो इसका बड़ी आबादी को फायदा पहुंच सकता है। वैसे पूर्व रघुवर सरकार भी अटल मुहल्ला क्लीनिक के जरिये हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की कोशिश कर ही रही थी।
बड़े बहुमत से आई हेमंत सरकार जनता को ज्यादा से ज्यादा लाभ सीधे देना चाहती थी। बेरोजगारों को भत्ता देना बुरा नहीं है, लेकिन नौकरियां बढ़ें, इसके भी इंतजाम उतनी ही गंभीरता से होने चाहिए थे जो नदारद दिख रहे हैं। फिलहाल इस बजट से तो युवा निराश ही होंगे, क्योंकि स्नातक को प्रतिवर्ष पांच हजार और परास्नातक को सात हजार रुपये का जो प्रावधान किया गया है उससे शायद ही किसी का भला हो। इसका नकारात्मक असर दिखने भी लगा है।
बजट से पहले बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए नियोजनालयों पर पंजीकरण के लिए उमड़ रही भीड़ पिछले दो दिनों से नदारद है। हालांकि सरकार ऐसा वादा कर रही है कि भविष्य में भत्ता देने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि राज्य में रोजगार के पर्याप्त संसाधन पैदा किए जाएंगे। उम्मीद की जानी चाहिए, सरकार इसको लेकर पूरी तरह गंभीर बनी रहेगी। आधारभूत संरचना में निवेश भी दीर्घकाल में किसी राज्य के लिए फायदेमंद ही होता है। इसी तरह उद्योग-धंधों के लिए भी बजट में कोई खास प्रावधान नहीं किए गए हैं। यह सेक्टर थोड़ा मायूस है।
पूर्ववर्ती रघुवर सरकार की मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना (प्रति एकड़ पांच हजार रुपये) पर भी ग्रहण लग गया है, क्योंकि बजट में इसके लिए धनराशि का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। सरकार ऐसे किसानों की नाराजगी मोल तो नहीं ही लेगी, ऐसे में देखने वाली बात यही होगी, इन्हें कैसे संतुष्ट किया जाएगा? वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने इस वर्ष राज्य की विकास दर आठ प्रतिशत से ऊपर रखने का लक्ष्य साधा है, लेकिन यह संभव कैसे होगा?
देश और दुनिया में जो हालात हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है इस विकास दर को पाना सरकार के लिए काफी चुनौती भरा होगा। योजनाओं के लिए धनराशि का जुगाड़ करना भी सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द होगा। सरकार ने राज्य के आर्थिक हालात पर श्वेतपत्र जारी किया है जिसमें राज्य का खजाना खाली बताया गया है। हेमंत सोरेन सरकार पहले बजट में यह संदेश देने में तो कामयाब रही ही है कि समाज में जो आखिरी पायदान पर खड़ा है उसे जल्द और ज्यादा फायदा देंगे।
[स्थानीय संपादक, झारखंड]