Jharkhand Budget Session: रघुवर सरकार ने जिस कंपनी को दिया काम उसकी होगी जांच, हंगामा
चाईबासा में सात आदिवासियों के नरसंहार की भाजपा ने राज्य सरकार से न्यायिक जांच कराने की मांग की है। बुधवार को सदन की कार्यवाही के बीच भाजपा सदस्यों ने वेल में आकर नारेबाजी की।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Budget Session झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में बुधवार को कार्यवाही के दौरान एक बार फिर भाजपा सदस्यों ने हंगामा किया और वेल में आकर नारेबाजी की। इस बीच स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने भाजपा विधायक और पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह को आसन का सम्मान करने की कड़ी नसीहत दी। राज्य की पूर्ववर्ती रघुवर सरकार द्वारा रायपुर की अग्रवाल इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को पलामू की सड़क का ठेका की जांच राज्य सरकार कराएगी।
इतना ही नहीं, राज्य सरकार जांच के क्रम में कंपनी की तत्कालीन सरकार से निकटता की भी जांच करेगी। बुधवार को विधानसभा में प्रभारी मंत्री बादल ने सरयू राय द्वारा अल्पसूचित प्रश्न काल में उठाए गए इससे संबंधित मामले के जवाब के क्रम में यह भरोसा दिलाया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि विधानसभा की कमेटी इस मामले की जांच करेगी। राय ने पूर्व मुख्यमंत्री का नाम लिए बगैर उनके कंपनी के साथ रिश्तों के तार जोड़े और तत्कालीन महाधिवक्ता अजीत कुमार को भी लपेटा।
सरयू राय ने कहा कि रायपुर, छत्तीसगढ़ की कंपनी अग्रवाल ग्लोबल इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम को हंटरगंज-पांडेपुर,-प्रतापपुर पथ के चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण का काम 79.33 करोड़ की लागत पर मार्च-2017 में निविदा समिति द्वारा आवंटित हुआ। जबकि कंपनी का रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत निबंधन ही 13 मार्च 2017 को हुआ था। उन्होंने पूछा कि कंपनी को कार्य का पर्याप्त अनुभव नहीं था। सवाल उठाया कि इस कंपनी में क्या खासियत थी कि उसे यह काम दिया गया? उन्होंने यह भी कहा कि उक्त कंपनी को मेराल-बाना-अंबखोरिया पथ का काम भी निविदा समिति द्वारा तीन अक्टूबर 2019 को आवंटित हुआ था, जिसे अनियमित ठहराते हुए उच्च न्यायालय द्वारा रद कर दिया गया था। नगण्य अनुभव के बावजूद इस कंपनी को पथ निर्माण विभाग द्वारा अन्य कार्य भी आवंटित हुए हैं, जिससे प्रभावशाली व्यक्तियों का निहित स्वार्थ जुड़ा था।
विधानसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सेनिटाइजर लगाती नर्सेज।
राय ने यह भी कहा कि रायपुर का एक बड़ा होटल भी इसी कंपनी का है। जिसमें एक बहुत प्रभावशाली व्यक्ति के बेटे की शादी हुई थी। उन्होंने इस पूरे मामले की जांच एसीबी से कराने की मांग की। जवाब में प्रभारी मंत्री बादल ने कहा कि यह नई कंपनी नहीं है, कंपनी का पुनर्गठन हुआ था। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायालय के निर्णय के आलोक में कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने तत्कालीन महाधिवक्ता के हवाले से लिए गए निर्णय का भी हवाला दिया।
इस पर राय ने कहा कि तत्कालीन महाधिवक्ता ने तीन ऐसे मामलों में सरकार को सलाह दी, जिससे सरकार को नुकसान हुआ। तत्कालीन महाधिवक्ता के कार्यकलाप संदेहास्पद रहे हैं। राय ने कहा कि आखिर सरकार जांच से क्यों डरती है? जांच समिति तो बननी ही चाहिए। प्रभावशाली लोग उपकृत हुए हैं। यह सवाल भी उठाया कि शादी हुई, कितना खर्च हुआ, किसने खर्च उठाया? यह सामने आना चाहिए।
मंत्री बादल ने स्पष्ट किया कि सरकार बदले की भावना से कोई कार्य नहीं करना चाहती है। प्रदीप यादव ने भी कहा कि यह बड़ा आरोप है। सरकार को जांच करानी चाहिए। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पथ निर्माण विभाग तत्कालीन मुख्यमंत्री के पास था। एसआइटी गठित की जाए। विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि सरकार कह रही है कि मामला विचाराधीन है। मेरे मामले में भी ऐसा ही था लेकिन एसीबी से जांच कराई गई थी।
हेमंत सरकार को इस तरह के लोगों को बचाना नहीं चाहिए। इतना कहते ही सरयू राय के साथ-साथ प्रदीप यादव, बंधु तिर्की और राजेंद्र सिंह खड़े हो गए। इधर, विपक्ष में भी भाजपा विधायकों ने खड़े होकर विरोध दर्ज कराया। स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने कहा कि सदस्य चुनौती दे रहे हैं तो जांच होनी चाहिए। दबाव बढऩे पर प्रभारी मंत्री ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि सरकार बदले की भावना से कार्य नहीं करेगी। लेकिन यदि कोई आपत्ति है तो इसकी जांच विधानसभा कमेटी बनाकर की जा सकती है। मंत्री के स्पष्ट उत्तर के बाद सदस्य शांत हुए।