Jharkhand Assembly: मानसून सत्र में शैडो मिनिस्टर के रूप में दिखेंगे भाजपा के कई विधायक
Jharkhand Assembly Monsoon Session बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा विधायक सरकार पर हमलावर होंगे। मानसून सत्र से ही भाजपा अपनी इस रणनीति पर अमल करेगी।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड विधानसभा के छोटे ङ्क्षकतु अहम मानसूत्र सत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच टकराव तय है, लेकिन सत्र के दौरान मुख्य विपक्षी दल भाजपा की भूमिका और रणनीति थोड़ी अलग होगी। भाजपा, राज्य सरकार के समानांतर अपने तेजतर्रार विधायकों को शैडो मिनिस्टर (छाया मंत्री) के रूप में पेश करेगी। भाजपा की यह शैडो कैबिनेट तार्किक तरीके से सदन में अपनी बातों को रखेगी।
राज्य सरकार के हर मंत्री की काट में एक विधायक को विशेष तौर पर इसकी जवाबदेही सौंपी जाएगी, जबकि शैडो कैबिनेट की कमान भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ही संभालेंगे। पिछले दिनों भाजपा प्रदेश कार्यसमिति बैठक में पार्टी के सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह ने शैडो मिनिस्टर का सुझाव दिया था, जिस पर प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने अमल का भरोसा दिलाया था। राज्य सरकार के किस मंत्री की काट में किस मंत्री को शैडो मिनिस्टर के रूप में पेश किया जाएगा, यह अभी तक तय नहीं हुआ है।
पूर्ववर्ती सरकार के मंत्री संभाल सकते हैं कमान
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के छह मंत्री दोबारा जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं, जाहिर है इन्हें संबंधित विभाग के मंत्रियों से निपटने की जवाबदेही दी जाएगी। मसलन शिक्षा के मसले पर पूर्व मंत्री नीरा यादव सरकार पर हमलावर होंगी तो कृषि के मामले में पूर्व मंत्री रणधीर सिंह। अन्य तेज तर्रार युवा विधायकों को भी शैडो मिनिस्टर के तौर पर पेश किया जाएगा। शैडो मिनिस्टर या शैडो कैबिनेट का कंसेप्ट इंग्लैंड का बताया जाता है। कुछ अन्य यूरोपीय देशों ने भी इसका अनुसरण किया है।
'जनता ने भाजपा को चुनाव में बुरी तरह हराया है। पांच साल तक जब इनकी सरकार रही तो पूरा मंत्रिमंडल बना नहीं पाए। महज आठ माह ही सत्ता से बाहर रहने पर इनकी बेचैनी बाहर आने लगी है। बेहतर होगा कि ये रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएं, वरना भविष्य में जनता इन्हें सदा के लिए छाया मंत्रिमंडल गठित करने का ही फरमान सुना देगी।' -राजेश ठाकुर, कार्यकारी अध्यक्ष, झारखंड प्रदेश कांग्रेस।
'भाजपा का सत्ता का नशा अभी तक चूर नहीं हुआ है। इनका सरकार में वापस आने का सपना अब पूरा नहीं हो पाएगा। इन्हें छाया मंत्रिमंडल से ही काम चलाना पड़ेगा। अभी तक ये अपने बीच से एक नेता नहीं चुन पाए हैं। विधानसभा में सचेतक चयनित नहीं कर पाए हैं। दरअसल भाजपा स्वयं असमंजस में है और जनता में भ्रम फैलाकर राजनीतिक फायदा लेना चाहती है। इनकी असलियत जनता समझती है।' -सुप्रियो भट्टाचार्य, महासचिव, झामुमो।