आदिवासी जमीन मसले पर सदन गरमाया, लोबिन हेम्ब्रम ने दी धमकी- दोषी पर कार्रवाई नहीं हुई तो दिखा दूंगा...
Jharkhand Assembly Budget Session आदिवासी जमीन के हस्तांतरण के मामले पर आज झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन में जबर्दस्त हंगामा हुआ। पक्ष और विपक्ष के नेता स्पीकर के आसन के समक्ष आकर बहस करने लगे।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Budget Session झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आज फिर सदन में हंगामा हुआ। आदिवासी जमीन के हस्तांतरण के मसले पर सदन गरमाया। पक्ष विपक्ष के अधिकतर विधायक स्पीकर के आसन के सामने पहुंचे। इस दौरान पक्ष-विपक्ष के विधायकों के बीच विधानसभा की कमेटी बनाने को लेकर जोरदार बहस हुई। सरकार के जवाब से विधायक संतुष्ट नहीं हुए। सभा की कार्यवाही 12.45 तक के लिए स्थगित कर दी गई।
गोड्डा में चयनित 26 आंगनबाड़ी सेविका सहायिका को सालभर बाद भी ज्वाइनिंग नहीं कराने और डीसी-डीडीसी का जवाब संतोषजनक नहीं मिलने, व्यवहार सही नहीं रहने पर विधायक लोबिन हेम्ब्रम अनशन पर बैठ गए थे। विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने विधानसभा अध्यक्ष को इसकी सूचना दी। अध्यक्ष के निर्देश पर मंत्री बादल पत्रलेख और विधायक विरंची नारायण उन्हें मनाकर सदन में लाए। सदन में आकर विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने धमकी दी कि अगर दोषी अफसरों पर कार्रवाई नहीं हुई तो दिखा दूंगा।
एचईसी की खाली जमीन रैयतों को वापस कराने की मांग पर पक्ष-विपक्ष एक, हंगामा
एचईसी की खाली जमीन रैयतों को वापस कराने के मसले पर सदन में सोमवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के सुर एक से नजर आए। एचईसी द्वारा खाली जमीन रैयतों को वापस करने के बजाए उसे ऊंची कीमत पर बाहर के लोगों को बेचे जाने पर दोनों ही पक्षों के विधायक खफा दिखे। हालांकि इस अहम मुद्दे पर माइलेज लेने की होड़ हंगामे का कारण भी बनीं और विधानसभा की कार्यवाही पहली पाली में 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
दरअसल, ध्यानाकर्षण के दौरान कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप ने यह मामला उठाते हुए कहा कि एचईसी की जमीन का हस्तांतरण गलत तरीके से किया गया है। रैयतों की जमीन ट्रांसफर करने की गलत परंपरा शुरू की गई है। लिहाजा इस मामले की जांच के लिए विधानसभा की कमेटी बनाई जाए। सवाल के जवाब में प्रभारी मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि विस्थापितों की समस्या सिर्फ एचईसी की ही नहीं है, यह विषय पूरे राज्य का है। इस मामले की समीक्षा की जाएगी।
खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इस मामले में गंभीर हैं। इसलिए सरकार पूरे राज्य में रैयतों से ली गई जमीन की जांच कराएगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद सरकार उचित निर्णय लेगी। मंत्री के इस जवाब से सत्ता के साथ-साथ विपक्ष के सदस्य भी असंतुष्ट दिखे। इस मामले में विधायक दीपक बिरूआ, नवीन जायसवाल सहित कई विधायक विस्थापितों की भावनाओं से सदन को अवगत कराना चाहते थे। नतीजा शोरगुल बढ़ गया। सत्ता पक्ष के राजेश कच्छप, इरफान अंसारी, अंबा प्रसाद व दीपक बिरूआ आसन के समक्ष आकर पूरे मामले की जांच विधानसभा की कमेटी से कराने की मांग करने लगे।
कुछ देर बाद भाजपा के भी तमाम विधायक आसन के समक्ष आ गए। स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की। कहा, यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। सरकार जांच करने के लिए तैयार है तो, सरकार की दृष्टि को देखना चाहिए। लेकिन सदस्य सुनने को तैयार नहीं थे। मंत्री आलमगीर आलम ने अपने विधायकों को अपने-अपने सीट पर जाने की अपील की, लेकिन वे नहीं माने। अंतत: शोरगुल और हंगामा देख स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
इधर, केंद्रीय कृषि कानून पर चर्चा के पूर्व भाजपा के विधायक काला कुर्ते, काला टी-शर्ट और काली कमीज पहनकर सदन पहुंचे। बाबूलाल मरांडी और सीपी सिंह के अलावा सभी के कपड़े काले हैं। अपर्णा सेन गुप्ता काली साड़ी में आई हैं। झारखंड माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक सदन में पेश हुआ। इसकी सदन से स्वीकृत मिली। इसके बाद विपक्ष का हंगामा शुरू हो गया। विपक्ष ने कहा कि इस विधेयक पर राज्यपाल की अनुमति आवश्यक है। मंत्री ने कहा कि फाइल में अनुमति ली गई है। वहीं, कृषि बिल पर चर्चा शुरू होते ही भाजपा विधायकों का हंगामा शुरू हो गया। विधायक आसन के सामने पहुंच गए। नारे लगाने लगे। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने आग्रह किया कि टेबल नहीं ठोकिए। इसके बाद सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।