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श्रमायुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी ग्लोबल स्किल समिट से मिले रोजगार की जांच

राज्य ब्यूरो रांची पिछली सरकार में वर्ष 2018 तथा 2019 में आयोजित ग्लोबल स्किल समिट में युवाओं को दिए गए रोजगार की जांच होगी। राज्य सरकार ने इसके लिए श्रमायुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित की है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Mar 2021 08:10 PM (IST)Updated: Thu, 18 Mar 2021 08:10 PM (IST)
श्रमायुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी ग्लोबल स्किल समिट से मिले रोजगार की जांच
श्रमायुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी ग्लोबल स्किल समिट से मिले रोजगार की जांच

राज्य ब्यूरो, रांची : पिछली सरकार में वर्ष 2018 तथा 2019 में आयोजित ग्लोबल स्किल समिट में युवाओं को दिए गए रोजगार की जांच होगी। राज्य सरकार ने इसके लिए श्रमायुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित की है। श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने बुधवार को सदन में यह जानकारी विभिन्न विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा के बाद सरकार के जवाब के क्रम में दी। इस समिट के माध्यम से वर्ष 2018 में 26,676 युवाओं तथा वर्ष 2019 में 1,06,619 युवाओं को ऑफर लेटर दिए गए थे। स्किल समिट में वर्ष 2018 में एक दिन में सर्वाधिक संख्या में रोजगार देने के लिए लिम्का बुक ऑफ रिका‌र्ड्स में दर्ज किया गया था।

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मंत्री ने श्रमिकों को उनके लिए संचालित योजनाओं की जानकारी देने तथा उनका लाभ दिलाने के लिए सभी पंचायतों में एक-एक श्रमिक मित्रों की स्थापना की भी घोषणा की। साथ ही कहा कि श्रमिकों की सहायता के लिए श्रमिक सहायता केंद्र खोले गए हैं जिसका टॉल फ्री नंबर भी जारी किया गया है। उन्होंने जिला मुख्यालयों में कौशल प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की भी घोषणा की। उन्होंने पिछले दिनों चेन्नई के केपी मिल्स के साथ हुए करार के तहत 25 हजार युवाओं को रोजगार मिलने की जानकारी देते हुए कहा कि अन्य बड़ी कंपनियों को भी बुलाकर युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी होगा। उन्होंने पिछली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मोमेंटम झारखंड के नाम पर रोज दिवाली-होली मना रहे थे और हाथी उड़ा रहे थे। वर्तमान सरकार ने लॉक डाउन में हवाई चप्पल पहननेवाले मजदूरों को हवाई जहाज से लाने का काम किया। झारखंड श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलानेवाला पहला राज्य बना। इससे पहले श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण, ऊर्जा, उद्योग, खान एवं भूतत्व विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा हुई। भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने कटौती प्रस्ताव लाते हुए कहा कि लॉकडाउन में लौटनेवाले सभी श्रमिकों को राज्य में ही रोजगार देने की घोषणा मुख्यमंत्री ने कही थी, लेकिन मजदूर फिर दूसरे राज्यों में पलायन कर गए। भाजपा के ही विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि झामुमो ने अपने घोषणा पत्र में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पास बेरोजगारों को क्रमश: पांच व सात हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी, लेकिन सिर्फ तकनीकी योग्यता रखनेवाले बेरोजगारों को ही महज पांच हजार रुपये दिए जा रहे हैं। प्रतिदिन एक कप चाय का ही पैसा सरकार देगी। कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि उद्योग लाने पर पिछली सरकार में जो लूट हुई वह सामने आनी चाहिए। उद्योगों को कौड़ी के भाव जमीन दी गई। जो उद्योग एमओयू की शर्तें पूरी नहीं करती उनसे जमीन वापस ली जानी चाहिए। दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि पिछली सरकार ने उद्योगों के विकास पर हाथी उड़ाने का ही काम किया। कंबल घोटाला से झारक्राफ्ट की बदनामी हुई। सरफराज अहमद ने श्रमिकों के लिए संचालित योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। सरकार के जवाब के क्रम में विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया। इस बीच श्रम विभाग के 4,46,95,79,000 रुपये की अनुदान मांग पारित हो गई।

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मंत्री विभागों पर रखें निगरानी, लें अधिकारियों की क्लास : सरयू

विधायक सरयू राय ने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्री अपने विभागों पर नजर रखें। विभाग सदन में जो प्रतिवेदन रखते हैं, उनमें कुछ भी नया नहीं होता है। प्रतिवेदन में कोई गंभीरता नहीं दिखती। मंत्री सूचनाएं लेने के लिए अधिकारियों की क्लास लें, उनसे सवाल पूछें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री दिल्ली जाकर उद्योग लगाने का आमंत्रण दे रहे हैं। इससे बेहतर होगा कि सरकार राज्य में पहले से संचालित उद्योगों को सु²ढ़ करे। यही उद्योग एम्बेसडर का काम करेंगे।

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