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मेडिकल प्रोटेक्शन बिल की तर्ज पर पेशेंट प्रोटेक्शन बिल की उठी मांग

रांची झारखंड विधानसभा में स्वास्थ्य चिकित्सा व शिक्षा पर चर्चा के दौरान मंगलवार को भाकपा माले से बगोदर के विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि मेडिकल प्रोटेक्शन बिल की तरह पेशेंट प्रोटेक्शन बिल भी बनाया जाए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 09:15 PM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 09:15 PM (IST)
मेडिकल प्रोटेक्शन बिल की तर्ज पर पेशेंट प्रोटेक्शन बिल की उठी मांग
मेडिकल प्रोटेक्शन बिल की तर्ज पर पेशेंट प्रोटेक्शन बिल की उठी मांग

रांची : झारखंड विधानसभा में स्वास्थ्य, चिकित्सा व शिक्षा पर चर्चा के दौरान मंगलवार को भाकपा माले से बगोदर के विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि मेडिकल प्रोटेक्शन बिल की तरह पेशेंट प्रोटेक्शन बिल भी बनाया जाए। मेडिकल प्रोटेक्शन बिल जहां डॉक्टरों के हित में है, वहीं मरीजों के हित के बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए। विनोद कुमार सिंह ने कहा कि एक दिन पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह घोषणा की है कि सड़क दुर्घटना में मरने वालों के आश्रित को एक लाख रुपये मिलेंगे। सड़क दुर्घटना के जख्मी को अस्पताल पहुंचाने वाले को भी विशेष इनाम मिलेंगे। यह सराहनीय कदम है, लेकिन घायल के इलाज की पर्याप्त व्यवस्था हो, इसपर सरकार को विचार करना चाहिए।

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बगोदर के विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा सिर में चोट के मामले आते हैं, लेकिन इसके इलाज की पूरी व्यवस्था नहीं है। ग्रीन कार्ड वालों को आयुष्मान कार्ड से वंचित किया गया है, इसे जोड़ा जाना चाहिए। आयुष्मान भारत योजना के तहत केंद्र सरकार ने 27 बीमारियों की सूची जारी की है, लेकिन राज्य में कोयला, सीमेंट के क्षेत्रों काम करने वाले गरीबों की बहुत-सी बीमारियां इस सूची में नहीं हैं। इतना ही नहीं, आयुष्मान भारत के नाम पर प्राइवेट अस्पताल मालामाल हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि सरकार का पैसा सरकारी अस्पतालों को बेहतर बनाने में काम आ सके।

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अनंत कुमार ओझा ने की साहिबगंज में मेडिकल कॉलेज खोलने की मांग :

साहिबगंज के विधायक अनंत कुमार ओझा ने सदन में राज्य की स्वास्थ्य जांच व चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि साहिबगंज में साढ़े बारह लाख की आबादी पर एक भी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है। सदर अस्पताल की हालत खराब है। साहिबगंज में एक मेडिकल कॉलेज व अस्पताल होना चाहिए, ताकि वहां के आसपास के लोगों को इलाज के लिए अन्यत्र नहीं जाना पड़े।

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जितनी फसलों को नुकसान हो, उसी के अनुरूप मुआवजा मिले :

विधायक विकास कुमार मुंडा ने सदन में यह सवाल रखा कि हाथी से फसलों को नुकसान होता है, तो एकमुश्त राशि देने का प्रविधान है। उन्होंने सदन से मांग की है कि जितनी फसलों को नुकसान हो, उसी के अनुरूप मुआवजा मिले। विकास कुमार मुंडा ने शादी-विवाह या अन्य आयोजनों में चलने वाले थर्मोकोल के प्लेट को बंद कराने की मांग की। कहा कि इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। इसके बदले पत्ते वाले प्लेट को लागू कराया जाए। इससे ग्रामीणों को रोजगार भी मिलेगा और स्वास्थ्य तथा प्रकृति की रक्षा भी होगी। विकास कुमार मुंडा ने इलेक्ट्रिक और सीएनजी से संचालित होने वाले वाहन पर सरकार को पहल करने की मांग की।

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प्रदीप यादव ने स्कूलों के खोलने पर घोषणा पत्र याद दिलाया :

विधायक प्रदीप यादव ने शिक्षा पर चर्चा के दौरान अपना व सरकार के घोषणा पत्र का याद दिलाया। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार ने राज्य के 4000 स्कूलों को बंद करा दिया था। कांग्रेस व झामुमो के घोषणा पत्र में था कि सभी बंद पड़े स्कूलों को चालू कराया जाएगा। इसपर सरकार को विचार करना चाहिए। वर्तमान में स्थिति यह है कि उच्च शिक्षा तक 75 फीसद ग्रामीण बच्चे नहीं पहुंच पाते हैं। वर्तमान में 73 बच्चों पर एक शिक्षक हैं। सरकार को शिक्षा पर और बेहतर प्रयास करने की जरूरत है। शिक्षकों के पास भी कई शिकायतें होती हैं, जिसके लिए एक न्यायाधिकरण का गठन हो, ताकि वे अपनी शिकायत कर सकें। उन्होंने राशि के सदुपयोग पर जोर दिया। उदाहरण दिया कि पलामू में बाघ परियोजना के लिए साढ़े तेरह करोड़ रुपये दिए गए हैं, जबकि वहां एक भी बाघ नहीं बढ़ा है। ऐसी स्थिति में उक्त राशि देने की क्या जरूरत है। इस राशि का दूसरे सकारात्मक क्षेत्र में सदुपयोग होना चाहिए।

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रामचंद्र सिंह ने की मेदिनीनगर के डीएफओ को हटाने की मांग :

विधायक रामचंद्र सिंह ने सदन को बताया कि पलामू व्याघ्र परियोजना में कोई काम नहीं हो रहा है। वन भूमि का दुरुपयोग हो रहा है, लेकिन गरीबों का काम नहीं हो रहा है। मेदिनीनगर वन प्रमंडल में गरीबों का एक भी काम नहीं हो रहा है। विधायक ने सदन से मांग की कि मेदिनीनगर के जिला वन पदाधिकारी को हटाया जाए, ताकि गरीबों का भला हो सके।

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नीरा यादव के सवाल पर दीपिका पांडेय सिंह ने पूर्व की सरकार को घेरा :

कोडरमा की विधायक नीरा यादव ने शिक्षा पर चर्चा के दौरार सदन को बताया कि वर्तमान की सरकार में शिक्षा के क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ है। इसपर विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि पूर्व की डबल इंजन की सरकार में शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी। संताल परगना में 19 स्कूलों की मान्यता अधर में है, यह डबल इंजन की सरकार की देन है। हालांकि, इस दरम्यान नीरा यादव ने अपनी चर्चा जारी रखी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को उनके आवासीय क्षेत्र में ही स्थानांतरित किया जाए, ताकि वे अपना व संस्थान दोनों का भला का सकें।

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प्रधानमंत्री के चलते फैला कोरोना : डा. इरफान

जामताड़ा के कांग्रेस विधायक डा. इरफान अंसारी ने स्वास्थ्य व शिक्षा पर चर्चा के दौरान सदन में यह कह दिया कि राज्य में 18 साल तक भाजपा ने शासन किया और राज्य को लूटने का काम किया, लेकिन एक भी अस्पताल नहीं बनाया। इसपर विपक्ष ने इरफान का प्रतिकार भी किया। डा. इरफान ने कहा कि कोरोना महामारी को रोका जा सकता था। जब लॉकडाउन लगा, उसके एक महीने पहले ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को लॉकडाउन का सुझाव दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए लॉकडाउन नहीं लगाया। जब कोरोना संक्रमित बड़ी संख्या में भारत पहुंच गए, तब यहां लॉकडाउन लगा, जिसके चलते कोरोना का संक्रमण पूरे देश में फैला। इसके बावजूद हेमंत सरकार में कोरोना को नियंत्रित करने की दिशा में बेहतर काम हुआ, जिसके चलते रिकवरी दर अधिक और मृत्यु दर कम रहा।

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संसाधनों का उपयोग भी होना चाहिए : लंबोदर महतो

विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि राज्य में डाक्टरों की कमी है। स्वास्थ्य की स्थिति खराब है। इसके बावजूद सरकार ने बजट में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया है, जो सराहनीय है। लंबोदर महतो ने कहा कि कोरोना काल में सरकार ने वेंटिलेटर की खरीद की, लेकिन वह फंक्शनल नहीं हो सका। सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए कि संसाधनों का उपयोग हो सके। विधायक ने बोकारो में सेल की जमीन पर अस्पताल खोलने की मांग की।

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नवनिर्मित स्वास्थ्य केंद्र को शीघ्र शुरू करे सरकार : समरी लाल

कांके के विधायक समरी लाल ने बुढ़मू, खलारी में बने नवनिर्मित स्वास्थ्य केंद्रों को शुरू करने की मांग सदन के सामने रखी। उन्होंने कहा कि राज्य में जिला सदर अस्पतालों का हाल बेहाल है। कहीं भी कोई बीमार पड़ता है, तो उसे रिम्स भेज दिया जाता है। ऐसा क्यों? अगर जिला के अस्पताल ठीक होते, तो रिम्स पर भार नहीं पड़ता। समरी लाल ने रिम्स में मेडाल से कराई जाने वाली जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर मेडाल को ही जांच करना है, तो रिम्स के पैथोलोजी विभाग को बंद कर देना चाहिए। समरी लाल ने पोस्टमार्टम विभाग में काम करने वालों को कोरोना काल में काम करने के दौरान भी प्रोत्साहन राशि नहीं मिलने की शिकायत की और सरकार से मांग की कि उन्हें भी संक्रमण काल में काम करने का पुरस्कार मिलना चाहिए।

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