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आउटसोर्सिंग के सवाल पर घिरी सरकार

रांची झारखंड विधानसभा में आउटसोर्सिंग से जुड़े सवाल ने सोमवार को राज्य सरकार को मुश्किल में डाल दिया। सीपी सिंह द्वारा तारांकित प्रश्न काल में इस संदर्भ में उठाए गए सवाल को लेकर सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी सरकार को घेरा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Mar 2021 08:28 PM (IST)Updated: Mon, 15 Mar 2021 08:28 PM (IST)
आउटसोर्सिंग के सवाल पर घिरी सरकार
आउटसोर्सिंग के सवाल पर घिरी सरकार

रांची : झारखंड विधानसभा में आउटसोर्सिंग से जुड़े सवाल ने सोमवार को राज्य सरकार को मुश्किल में डाल दिया। सीपी सिंह द्वारा तारांकित प्रश्न काल में इस संदर्भ में उठाए गए सवाल को लेकर सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी सरकार को घेरा। संसदीय कार्यमंत्री स्थिति को स्पष्ट करने में असहज दिखे और इस अहम सवाल को आगे के लिए टाल दिया गया।

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सीपी सिंह ने राज्य मुख्यालय से लेकर ब्लॉक अंचल कार्यालयों में प्रोग्रामर-कंप्यूटर ऑपरेटरों से जुड़े सवाल को उठाते हुए कहा कि सरकार ने आउटसोर्सिंग के लिए टेंडर निकाला है। यदि पूर्व से कार्य कर रहे लोग अक्षम हैं, तो उन्हें लिया क्यों गया और यदि वे इतने दिनों से अनियमित रूप से नियुक्त हैं, तो उन्हें हटाया क्यों नहीं गया। आउटसोर्सिंग एजेंसियों की कार्यपद्धति को भी स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि ये एजेंसियां पैसा कुछ लेती हैं और देती कुछ हैं। सवाल पर संसदीय कार्यमंत्री ने स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की। कहा, जो लोग पुराने हैं उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। इस पर सीपी सिंह ने कहा कि सरकार स्पष्ट करे कि जो लोग पहले से कार्य कर रहे हैं, उन्हें हटाया नहीं जाएगा और जो मानदेय उन्हें मिल रहा है उससे कम नहीं मिलेगा।

प्रदीप यादव ने सीपी सिंह की बात को आगे बढ़ाया। कहा, कंप्यूटर ऑपरेटरों ने दस साल तक सेवा दी, अब वाह्य एजेंसी उनका जीना दूभर कर देगी। उन्होंने न्यायालय का हवाला देते हुए कहा कि किसी अस्थायी को हटाकर, अस्थायी की बहाली नहीं हो सकती। भानु प्रताप शाही ने कहा कि गढ़वा जिले में कंप्यूटर ऑपरेटरों को हटा दिया गया है, अन्य जिलों में हटाने की तैयारी चल रही है। रणधीर सिंह और विनोद सिंह ने भी आउटसोर्सिंग को गलत ठहराया। आलमगीर आलम ने अनुबंधकर्मियों को लेकर बनी समिति का हवाला दे स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की। इस पर प्रदीप यादव ने कहा, जब सरकार ने समिति बना दी है, तो समिति की रिपोर्ट आने का इंतजार किया जाए। यह भी कहा कि कोई कोर्ट चला जाता है, तो सरकार मान लेती है। सदन में मामला उठेगा, तो क्या सरकार नहीं मानेगी। सीपी सिंह ने स्पीकर से अनुरोध किया कि वे सरकार को निर्देशित करने का काम करें कि कंप्यूटर ऑपरेटरों के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। सत्ता पक्ष के इरफान अंसारी भी सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखे।

चौतरफा घिरे आलमगीर आलम ने जवाब के लिए समय मांगा। कहा, मूल प्रश्न से हटकर जवाब देने में परेशानी होती है। सारे विभाग की तैयारी करके कोई नहीं आता। सरकार गंभीर है, इस विषय पर विचार विमर्श करेंगे। सीपी सिंह ने स्पीकर से अनुरोध किया कि इस प्रश्न को पुट (आगे के लिए रख लिया जाए) कर लिया जाए और संसदीय कार्यमंत्री पूरी तैयारी करके आएं। सीपी सिंह ने अनुरोध को स्वीकार करते हुए स्पीकर रबीद्र नाथ महतो ने इसे पुट कर लिया।

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जेल में चिकित्सकों के पदस्थापन का सरकार ने दिलाया भरोसा :

राज्य की जेलों में चिकित्सकों की कमी को राज्य सरकार जल्द दूर करेगी। संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने मथुरा महतो के सवाल पर सदन को यह भरोसा दिलाया है। मथुरा महतो ने तारांकित प्रश्न काल में हजारीबाग सेंट्रल जेल का हवाला देते हुए सवाल उठाया था कि वहां केवल एक ही चिकित्सक पदस्थापित है। कैदियों की परेशानी हो रही है। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि सरकार कब तक चिकित्सकों का पदस्थापन करेगी।

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