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त्रुटियों के चलते नहीं हुई मोटरयान निरीक्षकों की बहाली, शीघ्र सरकार निकालेगी निदान

रांची झारखंड विधानसभा के पंचम बजट सत्र में सोमवार को अल्प सूचित प्रश्न के दौरान चाईबासा के झामुमो विधायक दीपक बिरूआ ने राज्य में मोटरयान निरीक्षकों (एमवीआइ) की कमी पर सवाल उठाया। मंत्र ीने कहा कि सरकार इसका शीघ्र समाधान निकालेगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Mar 2021 07:49 PM (IST)Updated: Mon, 15 Mar 2021 07:49 PM (IST)
त्रुटियों के चलते नहीं हुई मोटरयान निरीक्षकों की बहाली, शीघ्र सरकार निकालेगी निदान
त्रुटियों के चलते नहीं हुई मोटरयान निरीक्षकों की बहाली, शीघ्र सरकार निकालेगी निदान

रांची : झारखंड विधानसभा के पंचम बजट सत्र में सोमवार को अल्प सूचित प्रश्न के दौरान चाईबासा के झामुमो विधायक दीपक बिरूआ ने राज्य में मोटरयान निरीक्षकों (एमवीआइ) की कमी पर सवाल उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने 2016 में मोटरयान निरीक्षक के 18 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था। लिखित परीक्षा भी हुई, लेकिन अब तक बहाली नहीं हो सकी। प्रदेश में दस एमवीआइ हैं, जिनमें केवल दो स्थायी और शेष संविदा पर कार्यरत हैं। परिणाम घोषित होने के चार साल के बाद भी सफल अभ्यर्थियों को बहाल नहीं किया जा सका।

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इस सवाल के जवाब में सरकार की ओर से मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि परीक्षा में 12 अभ्यर्थी सफल हुए थे, जिनके प्रमाण पत्रों की जांच हुई तो अंतिम रूप से 11 का चयन हुआ था। मोटरयान निरीक्षक की बहाली में कुछ तकनीकी दिक्कतें उत्पन्न हो गई थीं। त्रुटियों के चलते सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हो सकी थी। सरकार गंभीरता पूर्वक शीघ्र ही इसका निदान निकालेगी।

अल्प सूचित प्रश्न के दौरान ही बोकारो के विधायक बिरंची नारायण ने सवाल उठाया कि खोरठा भाषा राज्य के दो प्रमंडलों उत्तरी छोटानागपुर व संताल परगना की मातृभाषा होने के साथ-साथ राज्य के 15 जिलों की पूरी या अंशत: संपर्क भाषा है। यह राज्य के सबसे बड़े क्षेत्र की आम बोलचाल की मुख्य भाषा है। क्या सरकार इसे द्वितीय राजकीय भाषा का दर्जा देने पर विचार रखती है। इस सवाल के जवाब में सरकार की ओर से मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि खोरठा राज्य की दूसरी राजभाषा के रूप में नौ साल पहले ही अधिसूचित की जा चुकी है।

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वीर कुंवर सिंह जयंती पर अवकाश की मांग की :

हुसैनाबाद से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक कमलेश कुमार सिंह ने अल्प सूचित प्रश्न के रूप में सवाल उठाया कि सिपाही विद्रोह के समय ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लोहा लेने वाले वीर कुंवर सिंह की जयंती पर उनके सम्मान में संयुक्त बिहार के समय 23 अप्रैल को अवकाश मिलता था। अलग राज्य बनते ही झारखंड में अवकाश नहीं मिलता है। यहां भी 23 अप्रैल को वीर कुंवर सिंह की जयंती पर अवकाश मिलना चाहिए। सरकार की ओर से इस सवाल पर कोई ठोस जवाब नहीं मिला।

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