Jharkhand: स्थानीयता का कानून न मानने वालों पर सरकार सख्त, मंडराने लगा नौकरियों पर खतरा
Jharkahnd Politics New तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय कर्मियों की बहाली स्थानीय लोगों के बीच से ही करने के कानून की अनदेखी कर रिम्स प्रबंधन ने बड़े पैमाने पर बहालियां कीं।
रांची (राज्य ब्यूरो)। तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय कर्मियों की बहाली स्थानीय लोगों के बीच से ही करने के कानून की अनदेखी कर रिम्स प्रबंधन ने बड़े पैमाने पर बहालियां कीं। इनमें कई मामलों में नियमावली का उल्लंघन हुआ। स्वास्थ्य विभाग के स्तर से बनी चंद्र शेखर उरांव कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इन गड़बडिय़ों का उल्लेख भी किया जिसके बाद शुरू हुई जांच में अब परत-दर-परत गड़बडिय़ों का पर्दाफाश हो रहा है। स्वास्थ्य सचिव ने विभिन्न बिंदुओं पर रिम्स प्रबंधन से जवाब मांगा है। मजेदार बात यह है कि उस वक्त चयन कमेटी की सदस्य रहीं मंजू गाड़ी अब रिम्स निदेशक की प्रभार में हैं और जांच में तमाम लोग फंसते नजर आ रहे हैं।
राज्य सरकार को शिकायत मिली है कि रिम्स में बड़े पैमाने पर बाहरी लोगों की नियुक्ति तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय पदों पर हुई है। सूत्रों की मानें तो बहाली के लिए निकले विज्ञापन में यह शर्त भी नहीं दी गई थी कि पद झारखंड के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित है। अब बहाल हुए तमाम लोगों से स्थानीय होने का प्रमाणपत्र मांगकर उस वक्त गलती करनेवाले लोग अपनी गलती छिपाने में लगे हैं।
माना जा रहा है कि रिम्स प्रबंधन के जवाब के बाद स्वास्थ्य विभाग कड़ी कार्रवाई का निर्देश दे सकता है। ज्ञात हो कि रघुवर सरकार ने जब स्थानीय नीति की घोषणा की थी तो यह सुनिश्चित कर दिया था कि राज्य के तमाम सरकारी संस्थानों में तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों की बहाली झारखंड के स्थानीय लोगों के बीच से होगी। जिलास्तर पर यही पद जिले के लोगों के लिए आरक्षित हो चुके हैं।
स्थानीय नीति में परिवर्तन करेगी हेमंत सरकार
राज्य सरकार ने स्थानीय नीति में परिवर्तन करने का निर्णय किया है। फिलहाल इस बाबत गठित की जाने वाली कमेटी को मंजूरी की फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय में है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि 2016 में बनी स्थानीयता नीति में त्रुटियां हैं। नीति घोषित होने के बाद कई संगठनों ने इसका विरोध किया था। राज्य सरकार इसका अध्ययन कर त्रुटियों का निराकरण करेगी।
झामुमो 1932 के खतियान को स्थानीय नीति का आधार बनाना चाहती है। सहयोगी कांग्रेस ने फिलहाल इस मुद्दे पर सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है। पार्टी नेताओं का कहना है कि पूर्व में भी स्थानीयता को लेकर कमेटियां गठित होती रही हैं। इसे अंतिम फैसले के तौर पर देखना जल्दबाजी होगी। भाजपा ने इसे महज राजनीति करार देते हुए कहा है कि पूर्व में घोषित स्थानीय नीति की स्वीकार्यता थी।
स्थानीयता का कट आफ डेट 15 नवंबर 1985
पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार ने स्थानीयता नीति परिभाषित करते हुए इसका कट आफ डेट 15 नवंबर 1985 निर्धारित किया था। राज्य गठन के 15 वर्ष पहले से यहां निवास कर रहे लोगों को स्थानीय का दर्जा दिया गया था।