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निजी विश्‍वविद्यालय व संस्थानों में नामांकन को JCECEB लेगी प्रवेश परीक्षा Ranchi News

Jharkhand. राज्यपाल की स्वीकृति के बाद संबंधित अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। पांच वर्ष तक परीक्षाओं का डिजिटल डाटा सुरक्षित रहेगा।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 08:01 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 07:36 AM (IST)
निजी विश्‍वविद्यालय व संस्थानों में नामांकन को JCECEB लेगी प्रवेश परीक्षा Ranchi News
निजी विश्‍वविद्यालय व संस्थानों में नामांकन को JCECEB लेगी प्रवेश परीक्षा Ranchi News

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (जेसीईसीईबी) अब स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों में भी नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करेगा। अभी तक यह डिप्लोमा तथा डिग्री स्तर के पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए ही प्रवेश परीक्षा का आयोजन करती थी। वहीं, अब सभी निजी विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थानों को इसके माध्यम से ही नामांकन लेना होगा।

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इसके लिए संबंधित अधिनियम में संशोधन किया गया है। विधानसभा से पारित संशोधित विधेयक पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति के बाद इसके लागू होने की अधिसूचना जारी कर दी गई। झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा (संशोधन) अधिनियम, 2019 के अनुसार, राज्य के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों एवं संस्थानों में डिप्लोमा, स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन जेसीईसीईबी द्वारा किया जाएगा।

इसमें बीएड, फिशरी, डेयरी, फार्मेसी आदि पाठ्यक्रम भी शामिल हैं। निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थानों में भी नामांकन इसी परीक्षा के माध्यम से होगा। संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद के गठन को लेकर भी इसमें संशोधन किया गया है। पूर्व के अधिनियम में कई शब्द बिहार से जुड़े थे, जिनकी जगह पर झारखंड जोड़ा गया है। राजस्व पर्षद के सदस्य इसके अध्यक्ष बने रहेंगे।

संशोधित अधिनियम में यह भी प्रावधान किया गया है कि पर्षद द्वारा आयोजित की जानेवाली विभिन्न परीक्षाओं से संबंधित उत्तर पुस्तिका, ओएमआर शीट का परिणाम आदि एक वर्ष तक सुरक्षित रखे जाएंगे, जबकि इन सभी का डिजिटल डाटा पांच वर्ष तक सुरक्षित रखा जाएगा। पूर्व में ओएमआर शीट व उत्तर पुस्तिका एक वर्ष तक सुरक्षित रखे जाने का प्रावधान तो था, लेकिन डिजिटल डाटा पांच वर्ष तक रखने का जिक्र नहीं था।


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