संसदीय मामलों के जानकार अयोध्या नाथ मिश्र ने कहा, सही है जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने का निर्णय
संसदीय मामलों के जानकार अयोध्या नाथ मिश्र ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग करने का निर्णय सही है।
संजय कुमार, रांची : संसदीय मामलों के जानकार अयोध्या नाथ मिश्र ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग करने का निर्णय पूरी तरह से सही व व्यवहारिक है। पिछले पांच माह से विधानसभा निलंबित थी। नियम के अनुसार छह माह में विधानसभा का कम से कम एक बार सत्र बुलाना आवश्यक है। पीडीपी सरकार से भाजपा के समर्थन वापसी के बाद से कोई भी मोर्चा या दल सरकार बनाने के लिए आगे नहीं आया था। निलंबित विधानसभा का छह माह 19 दिसंबर 2018 को पूरा हो जाता। इतने कम समय में चुनाव कराना संभव दिख नहीं रहा था। ऐसी परिस्थिति में राज्यपाल के सामने विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए केंद्र को सिफारिश करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
मिश्र सोमवार को दैनिक जागरण की ओर से कार्यालय में आयोजित जागरण विमर्श में बोल रहे थे। विषय था, जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करना कितना सही है? लोकतांत्रिक प्रक्रिया है किसी विधानसभा को भंग किया जाना अयोध्या नाथ मिश्र ने कहा कि किसी भी विधानसभा को भंग किया जाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। कभी स्वार्थ को लेकर भंग कर दिया जाता है तो कभी संवैधानिक प्रक्रिया के तहत भंग करना पड़ता है। जम्मू-कश्मीर में विषम परिस्थितियां पैदा हो गई थी। पांच माह पूर्व वहां की सरकार के चले जाने से विकास की प्रक्रिया बाधित हो रही थी। इस बीच किसी भी मोर्चा ने सरकार बनाने के लिए आग्रह नहीं किया।
इतने दिनों तक राज्यपाल इंतजार करते रहे। विधानसभा निलंबन के पांच माह पूरे हो गए थे। इसलिए लोकतंत्र के आईने में राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निर्णय सही है। उन्होंने कहा कि राज्य या केंद्र में किसी भी दल को बहुमत नहीं होने पर आपस में न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाकर समझौता कर लेते हैं, परंतु बाद में निजी स्वार्थ सामने आ जाता है। उन्होंने चाणक्य के सूत्र वाक्य समान उद्देश्य के लिए भूत से भी समझौता कर लेते हैं को बताते हुए कहा कि यह स्थिति कई जगहों पर है। फैक्स पर तो त्यागपत्र भी मंजूर नहीं होता : एक सवाल के जवाब में मिश्र ने कहा कि सरकार बनाने के लिए सदेह उपस्थित होकर राज्यपाल को ज्ञापन देना चाहिए था।
10 दिन पहले राज्यपाल को जानकारी देनी चाहिए कि कौन-कौन दल मिलकर सरकार बनाएगी। फैक्स पर तो किसी का त्यागपत्र भी मंजूर नहीं होता है। एक बार वहां के राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए पीडीपी और भाजपा को मौका दिया था, परिणाम सामने है। इसलिए फिर वहीं गलती नहीं कर सकते थे। लोकतंत्र में निर्वाचित प्रतिनिधियों को सचेष्ट होना होगा अयोध्या नाथ मिश्र ने कहा कि 70 वर्ष बाद भी देश में लोकतंत्र मजबूत नहीं हो रहा है। सांसद एवं विधायक अपने कर्तव्यों का सही से निर्वहन नहीं करते हैं। दोनों सचेष्ट हो जाए तो परिणाम भी दिखेगा। जनता को भी जागरूक होना होगा।