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झारखंड की अदालत में वॉट्सएप पर हुई केस की सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- क्या मजाक है?

झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव व उनकी पत्नी निर्मला देवी 2016 के दंगा मामले में आरोपित हैं। उन्हें शीर्ष अदालत ने पिछले साल जमानत दी थी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 04:42 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 05:12 PM (IST)
झारखंड की अदालत में वॉट्सएप पर हुई केस की सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- क्या मजाक है?
झारखंड की अदालत में वॉट्सएप पर हुई केस की सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- क्या मजाक है?

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव व उनकी विधायक पत्नी निर्मला देवी पर दर्ज मामले की सुनवाई वॉट्सएप कॉल के जरिये किए जाने पर हैरानी जताई है।

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झारखंड में हजारीबाग की एक अदालत में न्यायाधीश ने वॉट्सएप कॉल के जरिये आरोप तय करने का आदेश देकर इन आरोपितों को मुकदमे का सामना करने को कहा। झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव व उनकी पत्नी निर्मला देवी 2016 के दंगा मामले में आरोपित हैं। उन्हें शीर्ष अदालत ने पिछले साल जमानत दी थी। इन्होंने यह शर्त लगाई थी कि वे भोपाल में रहेंगे और अदालती कार्यवाही में हिस्सा लेने के अतिरिक्त झारखंड में प्रवेश नहीं करेंगे। हालांकि, आरोपितों ने अब शीर्ष अदालत से कहा है कि आपत्ति जताने के बावजूद निचली अदालत के न्यायाधीश ने 19 अप्रैल को वॉट्सएप कॉल के जरिये उनके खिलाफ आरोप तय किया।

न्यायमूर्ति एसए बोबडे व न्यायमूर्ति एलएन राव की पीठ ने इस दलील को गंभीरता से लेते हुए कहा कि झारखंड में क्या हो रहा है। इस प्रक्रिया की अनुमति नहीं दी जा सकती है और हम न्याय प्रशासन की बदनामी की अनुमति नहीं दे सकते। पीठ ने झारखंड सरकार की ओर से उपस्थित वकील से कहा कि हम यहां वॉट्सएप के जरिये मुकदमा चलाए जाने की राह पर हैं। इसे नहीं किया जा सकता। यह किस तरह का मुकदमा है। क्या यह मजाक है। पीठ ने दोनों आरोपियों की याचिका पर झारखंड सरकार को नोटिस जारी किया और दो सप्ताह के भीतर राज्य से इसका जवाब देने को कहा। आरोपितों ने अपने मामले को हजारीबाग से नई दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की है। झारखंड के वकील ने शीर्ष अदालत से कहा कि साव जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं और ज्यादातर समय भोपाल से बाहर रहे हैं, जिसकी वजह से मुकदमे की सुनवाई विलंबित हो रही है।

इस पर पीठ ने कहा कि वह अलग बात है। अगर आपको आरोपी के जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने से समस्या है तो आप जमानत रद करने के लिए अलग आवेदन दे सकते हैं। हम साफ करते हैं कि जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने वाले लोगों से हमें कोई सहानुभूति नहीं है। दंपती की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने कहा कि आरोपी को 15 दिसंबर, 2017 को शीर्ष अदालत ने जमानत दी थी और उन्हें जमानत की शर्तों के तहत मध्य प्रदेश के भोपाल में रहने का निर्देश दिया गया था। मुकदमा भोपाल में जिला अदालत और झारखंड में हजारीबाग की जिला अदालत से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये चलाने का निर्देश दिया गया था। तन्खा ने कहा कि भोपाल व हजारीबाग जिला अदालतों में ज्यादातर समय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग संपर्क बहुत खराब रहता है और निचली अदालत के न्यायाधीश ने वॉट्सएप कॉल के जरिये 19 अप्रैल को आदेश सुनाया।

पीठ ने तन्खा से पूछा कि दोनों आरोपियों के खिलाफ कितने मामले लंबित हैं। तनखा ने बताया कि साव के खिलाफ 21 मामले जबकि उनकी पत्नी के खिलाफ नौ मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा कि दोनों नेता हैं और राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) द्वारा भूमि अधिग्रहण किेए जाने के खिलाफ विभिन्न प्रदर्शनों का नेतृत्व किया है और इनमें से ज्यादातर मामले उन आंदोलनों से जुड़े हैं। चूंकि दोनों ये मामले दायर करने के समय विधायक थे इसलिये उनके खिलाफ इन मामलों में मुकदमा दिल्ली की विशेष अदालत में अंतरित किया जाना चाहिये, जो नेताओं से संबंधित मामलों पर विशेष तौर पर विचार कर रही है। साव व उनकी पत्नी 2016 में ग्रामीणों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प से संबंधित मामले में आरोपित हैं। इसमें चार लोग मारे गए थे। 7 अगस्त, 2013 में हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री बने थे। 


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